सागर। चुनावी साल में भाजपा को विधानसभा चुनाव (mp assembly elections 2023) में हार का डर सता रहा है. भाजपा अपनी पुरानी गलती सुधार कर जयंत मलैया (Jayant Malaiya) को मनाने की कोशिश में जुट गई है. इसका नजारा दमोह में जयंत मलैया के 75 वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव में देखने को मिला. पहले उपचुनाव और फिर नगरीय निकाय चुनाव में हार के बाद जयंंत मलैया की ताकत का भाजपा को अंदाजा लग गया. बुंंदेलखंड के सफल उद्योगपति और जैन समुदाय में प्रभावी होने के कारण भाजपा को ये डर सताने लगा कि दमोह के अलावा जयंंत मलैया के कारण उन्हें और नुकसान ना उठाना पड़े.
बीजेपी को हार का सामना: जयंत मलैया को नाराज करने के बाद नतीजा ये हुआ कि जब दमोह में उपचुनाव हुआ, तो बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. भाजपा नेताओं ने जयंत मलैया को जिम्मेदार माना और उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए उन्हें नोटिस थमा दिया. इस बात पर जयंत मलैया जमकर नाराज हो गए और जब उन्होंने सियासी ताकत का अंदाजा भाजपा को कराया तो भाजपा को नगरीय निकाय चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा.
उपचुनाव के बाद से मलैया नाराज: दरअसल मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद बिना जरूरत के कांग्रेस विधायक राहुल लोधी को तोड़कर भाजपा ने उपचुनाव के हालात बनाए. 2018 में दमोह सीट पर जयंंत मलैया को हराकर राहुल लोधी विधायक बने थे. उपचुनाव में भाजपा से चुनाव लड़े राहुल लोधी की करारी हार हुई. पार्टी ने आनन फानन में हार के बाद जयंत मलैया को नोटिस थमा दिया और उनके बेटे सिद्धार्थ सहित समर्थकों को निलंबित कर दिया. पार्टी के कदम से जयंंत मलैया आहत हो गए और उनके बेटे सिद्धार्थ ने पार्टी छोड़ दी. जयंंत मलैया तो शांत रहे, लेकिन बेटे सिद्धार्थ ने पंचायत और निकाय चुनाव में प्रत्याशी मैदान में उतारकर भाजपा को खासा नुकसान पहुंचाया.
2023 में भाजपा को था हार का खतरा: इसके अलावा जैन समुदाय के मतदाता भी भाजपा से छिटक ना जाएं और बुंंदेलखंड में नुकसान ना हो जाए. जयंंत मलैया भले खामोश थे, लेकिन उनके बेटे सिद्धार्थ लगातार दमोह विधानसभा में सक्रिय थे. ऐसे में पार्टी को लगा कि यदि मलैया नाराज रहे तो 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बुंंदेलखंड की विधानसभा सीटें हार सकती है. इन हालातों को ध्यान में रखकर भाजपा नेतृत्व ने मलैया के सामने बैकफुट पर जाना ही बेहतर समझा.
असंतुष्ट नेताओं का मंच ना बन अमृत महोत्सव: जयंत मलैया अपनी ताकत का एहसास कराने के लिए लंबे समय से एक बड़े कार्यक्रम की रूपरेखा बना रहे थे चर्चा तो यह थी कि, जयंत मलैया की 75 वीं सालगिरह पर होने वाले अमृत महोत्सव में भाजपा के असंतुष्ट नेताओं के साथ दूसरे दलों के नेताओं को भी एक मंच पर लाया जाए और जयंत मलैया की इस तैयारी का भाजपा को अंदाजा लग गया. आयोजन की जिम्मेदारी भी असंतुष्ट पूर्व मंत्री अजय विश्नोई के कंधों पर डाली गई. भाजपा को एहसास हो गया कि ऐसे में 2023 में मुश्किलें खड़ी होंगी और भाजपा ने पूरी ताकत जयंंत मलैया को मनाने में लगा दी और मंच पर भाजपाई दिग्गज पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर,पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ सभी प्रमुख नेताओं ने शिरकत की.
गलती भी स्वीकारी और गुणगान भी किया: जयंत मलैया के अमृत महोत्सव का मंच भाजपा से नाराज नेताओं का मंच नहीं बन पाया और जहां शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, व्ही डी शर्मा और दूसरे नेता जयंत मलैया का गुणगान करते नजर आए. तो कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले दिनों उनके साथ पार्टी द्वारा किए गए व्यवहार पर माफी मांग ली. कैलाश विजयवर्गीय ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि उपचुनाव के बाद जयंत मलैया को नोटिस देना पार्टी की गलती थी और मैंने भोपाल से लेकर दिल्ली तक विरोध किया था, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गयी. इतने बड़े और पार्टी के समर्पित नेता को एक छोटी सी शिकायत पर नोटिस दिया जाना पार्टी की गलती थी. उन्होंने कहा कि जयंत मलैया ने पार्टी को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए बहुत मेहनत की है.