सागर। रेहली विधानसभा क्षेत्र के गढ़ाकोटा तहसील की कुढ़ई ग्राम पंचायत के कानमढ़ गांव में एक ऐसा तालाब है, जो प्राचीन मूर्तियों की खान के रूप में जाना जाता है. इतना ही नहीं इस तालाब से निकलने वाली मूर्तियों के बारे में कहा जाता है कि मूर्तियां पहले स्थानीय लोगों को स्वप्न में दिखती हैं और खुद बताती हैं कि वो तालाब में किस जगह पर हैं. इसी तरह इस तालाब से एक मूर्ति निकली थी, जिसे श्रीदेव कालिया नाथ के नाम से लोग पूजते हैं, जोकि चंद्रनागेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित प्रतिमा से मिलती-जुलती है. मंदिर के पास एक गुफा भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस गुफा का रास्ता सीधे नर्मदा नदी के बरमान घाट तक जाता है, यहां एक सिद्ध महात्मा रहते थे, जो रोजाना शाम को गुफा के रास्ते नर्मदा नदी में स्नान करने जाते थे और सुबह वापस आकर पूजा करते थे.
उज्जैन के चंद्रनागेश्वर मंदिर से तुलना
श्रीदेव कालियानाथ मंदिर ग्राम कानमढ़ तहसील गढ़ाकोटा विकास खंड रहली जिला सागर में स्थित है, यह मंदिर दमोह-बलेह मार्ग पर तहसील मुख्यालय से 19 किमी दूर और दमोह से 26 किमी की दूरी पर है. मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है. मुख्य रूप से यह मंदिर नाग देवता के लिए समर्पित है. यहां पर हनुमान, भगवान गणेश की और भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा विराजमान है. मंदिर में 12 स्तंभ के ऊपर एक विशाल शिला रखी हुई है, जिसके बारे में लोगों का कहना है कि ये काफी प्राचीन है. मंदिर के नजदीक एक शिलालेख है, जिस की लिपि के बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं है. मुगल काल में यहां की प्रतिमाओं को खंडित किया गया था, खंडित प्रतिमाओं के अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं.
अकल्पनीय! इस मंदिर में अदृश्य शक्ति करती है पूजा, आज भी रहस्य बरकरार
प्राचीन गुफा कौतूहल का विषय
इस मंदिर से नौरादेही अभ्यारण की सीमा प्रारंभ होती है, मंदिर से लगी अभ्यारण्य की सीमा में एक बेहद ही सुंदर गुफा है, जिसकी लंबाई लगभग 5 से 8 मीटर है, जिसके बारे में ग्रामीण बताते हैं कि ये गुफा नर्मदा नदी के बरमान घाट तक जाती है, कानमढ़ मंदिर में पहले एक महात्मा रहते थे, जो रोजाना शाम को इसी गुफा के जरिए नर्मदा नदी के बरमान घाट तक जाते थे और सुबह स्नान करके वापस आते थे. फिर मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे.
पुरातत्व विभाग कर रहा अध्ययन
तालाब में निकल रही मूर्तियां और स्थानीय लोगों के दावे को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने इस इलाके में अध्ययन शुरू किया है. फिलहाल पुरातत्व विभाग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा है,विभाग का कहना है कि प्राचीन काल में घने जंगलों के बीच कोई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर होगा, जिसकी मूर्तियां इस तालाब से निकल रही हैं. फिलहाल पुरातत्व विभाग मूर्तियों की कला और शैली के आधार पर इनकी प्राचीनता का पता लगाने की कोशिश कर रहा है.