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नई सरकार में बुंदेलखंड से किसको मिलेगा मौका, मंत्री पद की दावेदारी के लिए यहां लंबी है फेहरिस्त

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 6, 2023, 4:13 PM IST

Who will minister from Bundelkhand: एमपी में चुनाव परिणाम के बाद अब नई सरकार का गठन जल्द ही होना है.ऐसे में जीत का चौका-छक्का लगाने वाले विधायक अब मंत्री बनने को बेताब हैं.पिछली सरकार में ही संभागीय मुख्यालय सागर से तीन कैबिनेट मंत्री थे.तीनों ने ही फिर जीत दर्ज की है और अब इस फेहरिश्त में दो और नए नाम जुड़ गए हैं तो नई सरकार में बुंदेलखंड से किसको मिलेगा मौका.पढ़िये ये खास खबर.

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नई सरकार में बुंदेलखंड से किसको मिलेगा मौका

सागर। एमपी विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद एक बार फिर भाजपा की नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बनी शिवराज सरकार में बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले से तीन कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे.जिनके पास भारी भरकम विभाग भी थे. लेकिन दोबारा सरकार बनने के बाद सागर से दावेदारों की संख्या बढ़ गई है. नई सरकार में किसको मौका मिलता है, ये अब चर्चा का विषय बन गया है.

अब किसकी खुलेगी किस्मत?: एक तरफ पिछली सरकार में रहे तीन कद्दावर पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं तो दूसरी तरफ लगातार 4-4 बार चुनाव जीते दो विधायक हैं. ऐसे में सागर जिले में भाजपा की 7 सीटों में से 5 विधायक मंत्री पद के दावेदार हैं. जिनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के नाम आते हैं और जिन विधायकों ने जीत का चौका मारा है उनमें शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया का नाम आता है. शैलेंद्र जैन जहां अल्पसंख्यक वर्ग तो प्रदीप लारिया अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं. एक तरफ कद्दावर और वजनदार नेताओं की जोर आजमाइश है तो दूसरी तरफ लगातार चार जीत हासिल करने वाले विधायक दावेदारी पेश कर रहे हैं.भाजपा की नई नवेली सरकार में सागर से किसकी किस्मत खुलती है ये दिल्ली में तय होगा.

गोपाल भार्गव का क्या है कद: कमलनाथ सरकार में नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव इस बार लगातार 9 वीं बार विधायक चुने गए हैं.गोपाल भार्गव के कद की बात करें तो 2003 से 2018 तक भाजपा से जो भी मुख्यमंत्री रहे, उनकी सरकार में गोपाल भार्गव कैबिनेट मंत्री रहे और इसके बाद नेता प्रतिपक्ष बने. 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद फिर पीडब्ल्यूडी मंत्री बने. 2023 में गोपाल भार्गव लगातार 9वीं बार चुनाव लड़े और जीते. गोपाल भार्गव मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावा कर रहे हैं.गोपाल भार्गव के पास लगातार 20 साल कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहा है.

भूपेन्द्र सिंह और गोविंद राजपूत की कितनी दावेदारी: शिवराज सिंह के करीबी भूपेंद्र सिंह की बात करें तो भूपेंद्र सिंह पहली बार 2013 में मंत्री बने, फिर कमलनाथ सरकार गिरने के बाद 2020 में मंत्री बने.भूपेंद्र सिंह साढ़े 8 साल मंत्री रहे हैं. एक बार फिर 2023 में जीतकर मंत्री पद के दावेदार हैं.बात गोविंद सिंह राजपूत की करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं. गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार में परिवहन एवं राजस्व मंत्री थे तो बगावत के बाद 2020 में शिवराज सरकार में भी परिवहन एवं राजस्व मंत्री रहे. गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार और शिवराज सरकार में 5 साल मंत्री रहे हैं.

सागर में दो नए दावेदार तैयार: सागर जिले की 8 सीटों में से भाजपा ने 7 सीटों पर कब्जा किया है. 2023 के चुनाव में दो विधायक और मंत्री पद के दावेदार हो गए हैं. इनमें सागर से शैलेंद्र जैन चौथी बार विधायक बने हैं और अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं. प्रदीप लारिया की बात करें तो नरयावली से प्रदीप लारिया चौथी बार विधायक बने हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि नए दावेदारों में किसी एक को मंत्री पद मिल सकता है.

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अन्य जिलों और अंचलों के दावे कितने मजबूत: सबसे अहम सवाल ये है कि आगामी सरकार में सागर जिले को कितना महत्व मिलता है. ये बीजेपी हाईकमान के लोकसभा चुनाव की योजना के अनुसार तय होगा. मार्च 2020 में बनी शिवराज सरकार में सागर जैसे जिले से तीन-तीन मंत्री बने थे तो कई जिले ऐसे थे जहां से एक भी मंत्री नहीं था. इंदौर जिले के अलावा जबलपुर और विंध्य से कम ही विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल पाई थी. इन हालातो में पिछली सरकार के तीन मंत्रियों में से एक या दो को त्याग करना पड़ सकता है और नए मंत्री पद के दावेदारों को राज्य मंत्री पद से संतोष करना पड़ेगा.

सागर। एमपी विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद एक बार फिर भाजपा की नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद बनी शिवराज सरकार में बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर जिले से तीन कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे.जिनके पास भारी भरकम विभाग भी थे. लेकिन दोबारा सरकार बनने के बाद सागर से दावेदारों की संख्या बढ़ गई है. नई सरकार में किसको मौका मिलता है, ये अब चर्चा का विषय बन गया है.

अब किसकी खुलेगी किस्मत?: एक तरफ पिछली सरकार में रहे तीन कद्दावर पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं तो दूसरी तरफ लगातार 4-4 बार चुनाव जीते दो विधायक हैं. ऐसे में सागर जिले में भाजपा की 7 सीटों में से 5 विधायक मंत्री पद के दावेदार हैं. जिनमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के नाम आते हैं और जिन विधायकों ने जीत का चौका मारा है उनमें शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया का नाम आता है. शैलेंद्र जैन जहां अल्पसंख्यक वर्ग तो प्रदीप लारिया अनुसूचित जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं. एक तरफ कद्दावर और वजनदार नेताओं की जोर आजमाइश है तो दूसरी तरफ लगातार चार जीत हासिल करने वाले विधायक दावेदारी पेश कर रहे हैं.भाजपा की नई नवेली सरकार में सागर से किसकी किस्मत खुलती है ये दिल्ली में तय होगा.

गोपाल भार्गव का क्या है कद: कमलनाथ सरकार में नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव इस बार लगातार 9 वीं बार विधायक चुने गए हैं.गोपाल भार्गव के कद की बात करें तो 2003 से 2018 तक भाजपा से जो भी मुख्यमंत्री रहे, उनकी सरकार में गोपाल भार्गव कैबिनेट मंत्री रहे और इसके बाद नेता प्रतिपक्ष बने. 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद फिर पीडब्ल्यूडी मंत्री बने. 2023 में गोपाल भार्गव लगातार 9वीं बार चुनाव लड़े और जीते. गोपाल भार्गव मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावा कर रहे हैं.गोपाल भार्गव के पास लगातार 20 साल कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहा है.

भूपेन्द्र सिंह और गोविंद राजपूत की कितनी दावेदारी: शिवराज सिंह के करीबी भूपेंद्र सिंह की बात करें तो भूपेंद्र सिंह पहली बार 2013 में मंत्री बने, फिर कमलनाथ सरकार गिरने के बाद 2020 में मंत्री बने.भूपेंद्र सिंह साढ़े 8 साल मंत्री रहे हैं. एक बार फिर 2023 में जीतकर मंत्री पद के दावेदार हैं.बात गोविंद सिंह राजपूत की करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं. गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार में परिवहन एवं राजस्व मंत्री थे तो बगावत के बाद 2020 में शिवराज सरकार में भी परिवहन एवं राजस्व मंत्री रहे. गोविंद सिंह राजपूत कमलनाथ सरकार और शिवराज सरकार में 5 साल मंत्री रहे हैं.

सागर में दो नए दावेदार तैयार: सागर जिले की 8 सीटों में से भाजपा ने 7 सीटों पर कब्जा किया है. 2023 के चुनाव में दो विधायक और मंत्री पद के दावेदार हो गए हैं. इनमें सागर से शैलेंद्र जैन चौथी बार विधायक बने हैं और अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं. प्रदीप लारिया की बात करें तो नरयावली से प्रदीप लारिया चौथी बार विधायक बने हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि नए दावेदारों में किसी एक को मंत्री पद मिल सकता है.

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अन्य जिलों और अंचलों के दावे कितने मजबूत: सबसे अहम सवाल ये है कि आगामी सरकार में सागर जिले को कितना महत्व मिलता है. ये बीजेपी हाईकमान के लोकसभा चुनाव की योजना के अनुसार तय होगा. मार्च 2020 में बनी शिवराज सरकार में सागर जैसे जिले से तीन-तीन मंत्री बने थे तो कई जिले ऐसे थे जहां से एक भी मंत्री नहीं था. इंदौर जिले के अलावा जबलपुर और विंध्य से कम ही विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल पाई थी. इन हालातो में पिछली सरकार के तीन मंत्रियों में से एक या दो को त्याग करना पड़ सकता है और नए मंत्री पद के दावेदारों को राज्य मंत्री पद से संतोष करना पड़ेगा.

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