सागर। मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इन दिनों राजधानी भोपाल में डेरा जमाया हुआ है. इसके साथ-साथ वो पूरे मध्यप्रदेश में दौरे कर रही हैं. कभी ग्वालियर चंबल में अवंती बाई लोधी की जयंती के कार्यक्रम में नजर आती हैं तो कभी बुंदेलखंड में जैन मुनि के दर्शन करने पहुंच जाती हैं तो कभी अपने गृह जिले टीकमगढ़ के कार्यक्रमों में नजर आती हैं. इन दौरों में उमाभारती अपने पुराने समर्थकों के साथ मेल- मुलाकात भी करती हैं और मध्यप्रदेश में सक्रिय होने की इच्छा भी जताती हैं. उमा भारती खासकर अपने सजातीय लोधी समाज के नेताओं को एकजुट कर रही हैं. इसके अलावा 2003 में विधानसभा चुनाव के समय जो नेता उमा भारती के करीब थे, उनसे भी मेल मुलाकात बढ़ा रही हैं.
शराबबंदी का मुद्दा उठाकर इरादे जता दिए हैं : मप्र में सक्रियता बढ़ाते हुए उमा भारती ने सबसे पहले प्रदेश में शराबबंदी का ऐलान कर अपनी ही सरकार को मुसीबत में डाल दिया. कोरोना और भारी भरकम कर्ज में डूबी शिवराज सरकार अपना खाली खजाना भरने के लिए वैसे भी शराब के भरोसे है. पिछले दिनों उन्होंने भोपाल में एक शराब दुकान पर पत्थर फेंककर अपने इरादे साफ कर दिए थे और अभी भी वह अपने बयान से पीछे नहीं हटने की बात कह रही हैं. उमा भारती की शराबबंदी सियासत के पीछे राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीधेतौर पर उमा भारती मध्यप्रदेश में सक्रिय होना चाहती हैं. 2012 में उन्हें उत्तर प्रदेश में सक्रिय किया गया था, लेकिन इसके बाद उत्तर प्रदेश की कमान योगी को सौंप दी गई और योगी दूसरी बार मुख्यमंत्री बन गए हैं. अब भाजपा की राजनीति में अपना वजूद कायम रखने के लिए उमा भारती अपने गृह प्रदेश में सक्रिय हो रही हैं.
लोकसभा चुनाव लड़ने का कर चुकी हैं ऐलान : उमा भारती ने 2019 में भले ही लोकसभा चुनाव ना लड़ने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन हाल ही में उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. मध्यप्रदेश में सक्रियता के कारण यह माना जा रहा है कि उमा भारती मध्यप्रदेश से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. उमा भारती मध्यप्रदेश में अलग-अलग 3 सीटों पर चुनाव लड़ चुकी हैं और जीत हासिल की. इनमें भोपाल, खजुराहो और टीकमगढ़ सीट शामिल हैं. उमाभारती मध्यप्रदेश से 2024 में अगर लोकसभा चुनाव लड़ती हैं तो उनकी नजर भोपाल संसदीय सीट पर हो सकती है. फिलहाल यहां प्रज्ञा ठाकुर सांसद हैं और दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता को हराकर लोकसभा पहुंची हैं. प्रज्ञा ठाकुर की बयानबाजी पार्टी के लिए ही मुसीबत की वजह बनती है. इसलिए उमा भारती को उम्मीद है कि भोपाल सीट से उन्हें फिर मौका मिल सकता है.
भोपाल नहीं तो खजुराहो और दमोह पर नजर : अगर उमा भारती भोपाल से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ती हैं तो खजुराहो और दमोह लोकसभा सीट ऐसी सीटें हैं, जो उमा भारती के लिए चुनाव लड़ने के लिए मुफीद हो सकती हैं. 2008 में हुए परिसीमन के बाद दमोह सीट जहां लोधी बाहुल्य सीट हो गई है और फिलहाल प्रहलाद पटेल सांसद है. पटेल उमा भारती के सजातीय हैं. वहीं खजुराहो सीट पर उमा भारती के लिए मुफीद है, क्योंकि यहां से वो पहले चुनाव जीत चुकी हैं और बुंदेलखंड इलाके में उनकी मजबूत पकड़ होने के साथ लोधी मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसी स्थिति में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है.
क्या फिर से सीएम बनना चाहती हैं उमा भारती : उमा भारती का दर्द कई बार झलक चुका है कि वो सरकारें बनाती हैं और मजे कोई और लेता है. ये बयान चाहे मध्यप्रदेश के संदर्भ में हो या फिर उत्तर प्रदेश के संदर्भ में हो, उमा भारती की पीड़ा को जाहिर करता है. 2018 में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद बनी बीजेपी की सरकार में अब गुटबाजी बढ़ गई है और मुख्यमंत्री पद के दावेदार लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कांग्रेस से भाजपा में पहुंचे ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में मजबूत होने के लिए मेहनत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गज भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते हैं. जिस प्रकार की परिस्थितियां बन रही है. उनको देखकर साफ है कि अगर भविष्य में बीजेपी की सरकार बनती है,तो मुख्यमंत्री पद के लिए मारामारी होगी और उमा भारती ऐसे में अपना दावा पेश कर सकते हैं. (Uma Bharti active in Bundelkhand) ( Uma Bharti collect her supporter)