ETV Bharat / state

9 साल के मासूम बेटे के साथ श्मशान में रहने को मजबूर लाचार पिता, नहीं मिली कोई सरकारी मदद

सागर के कुडारी गांव में मकान ढहने के बाद रामरतन आदिवासी अपने बेटे के साथ श्मशान में सोने को मजबूर है. पीड़ित का कहना है कि प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बाद भी उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.

श्मशान में सोने को मजबूर
author img

By

Published : Oct 19, 2019, 1:01 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 2:31 PM IST

सागर। वैसे तो सरकार वंचितों के लिए योजनाएं चलाने और उन्हें जन-जन तक मुहैया कराने के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर ये सारे दावे खोखले नजर आते हैं. जिले के कुडारी गांव में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां के रामरतन आदिवासी अपने बेटे के साथ श्मशान में सोने को मजबूर हैं, लेकिन इनकी मदद न तो समाज के लोगों ने की और न तो सरकारी नुमाइंदों ने. रामरतन आदिवासी के पास घर नहीं होने के कारण वे अपने 9 साल के बेटे के साथ श्मशान में सोने को मजबूर हैं. कई बार गुहार लगाने के बाद भी इस लाचार पिता की सुनने वाला कोई नहीं है.

श्मशान में सोने को मजबूर

जिले में हुई भारी बारिश रामरतन पर कहर बनकर टूटी है. पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश से रामरतन का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. आशियाना ढहने के बाद रामरतन ने हर किसी से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी. रामरतन मजदूर है और एक दिन में उसे 50 रुपए मिलते हैं. इसी में वह अपना और बेटा का पेट पालता है.

रामरतन आदिवासी के मुताबिक 7 साल पहले उसकी पत्नी की प्रसूति के दौरान मौत हो गई थी. उस वक्त भी उसे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिली थी. वहीं अब मकान गिरने के बाद भी उसे किसी भी सरकारी योजनाओं का न लाभ मिला और ना ही ग्राम पंचायत से किसी तरह का सहयोग. वे जैसे-तैसे अपना जीवनयापन कर रहे हैं. मामला सामने आने के बाद जिला पंचायत के एडिशनल सीईओ अब पीड़ित को न्याय दिलाने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

सागर। वैसे तो सरकार वंचितों के लिए योजनाएं चलाने और उन्हें जन-जन तक मुहैया कराने के लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर ये सारे दावे खोखले नजर आते हैं. जिले के कुडारी गांव में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. यहां के रामरतन आदिवासी अपने बेटे के साथ श्मशान में सोने को मजबूर हैं, लेकिन इनकी मदद न तो समाज के लोगों ने की और न तो सरकारी नुमाइंदों ने. रामरतन आदिवासी के पास घर नहीं होने के कारण वे अपने 9 साल के बेटे के साथ श्मशान में सोने को मजबूर हैं. कई बार गुहार लगाने के बाद भी इस लाचार पिता की सुनने वाला कोई नहीं है.

श्मशान में सोने को मजबूर

जिले में हुई भारी बारिश रामरतन पर कहर बनकर टूटी है. पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश से रामरतन का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. आशियाना ढहने के बाद रामरतन ने हर किसी से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी. रामरतन मजदूर है और एक दिन में उसे 50 रुपए मिलते हैं. इसी में वह अपना और बेटा का पेट पालता है.

रामरतन आदिवासी के मुताबिक 7 साल पहले उसकी पत्नी की प्रसूति के दौरान मौत हो गई थी. उस वक्त भी उसे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिली थी. वहीं अब मकान गिरने के बाद भी उसे किसी भी सरकारी योजनाओं का न लाभ मिला और ना ही ग्राम पंचायत से किसी तरह का सहयोग. वे जैसे-तैसे अपना जीवनयापन कर रहे हैं. मामला सामने आने के बाद जिला पंचायत के एडिशनल सीईओ अब पीड़ित को न्याय दिलाने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

Intro:सागर । जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमी6टर दूर कुडारी ग्राम में राम रतन आदिवासी की कहानी मानवता को शर्मसार करने वाली है रामरतन आदिवासी का बारिश में  मकान गिर गया था जिससे बाद से वह अपने 9 साल के मासूम बच्चे हनुमत सहित श्मशान में रहने को मजबूर है यह पिता पुत्र दोनों रात में श्मशान में सोते हैं तथा दिन में भी जब कोई काम नहीं होता तो यह आराम करने श्मशान चले जाते हैं

Body:इनके कष्ट की कहानियों का अंत यही नहीं हो जाता है  इन को सरकार की योजनाओं का न लाभ मिला और ना ही ग्राम पंचायत से किसी प्रकार का सहयोग यह जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रहे हैं इस परिवार की हालत इतने बद से बदतर है कि कभी-कभी इस परिवार के दोनों सदस्यों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है तथा कई बार पड़ोसी इनकी मदद करके खाना मुहैया कराते हैं

 राम रतन की पत्नी का करीब 7 वर्ष पहले प्रसूति के दौरान स्वर्गवास हो गया था उसकी मौत के बाद भी इसे किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं हुई रामरतन ने मकान गिरने के बाद ग्राम के सरपंच को इस संबंध में सूचित किया परंतु ना ही उसे कुटीर स्वीकृत हुई और ना ही मुआवजा रामरतन का मासूम बच्चा स्कूल भी पढ़ने नहीं जाता है इस मामले में प्रशासन अब पीड़ितों को न्याय दिलाने उनकी व्यवस्था करने और दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रहा है

बाइट हनुमत आदिवासी, रामरतन आदिवासी पीड़ित

बाइट पवन यादव, स्थानीय

राजेश पटेरिया एडिशनल सीईओ सागर जिला पंचायतConclusion:
Last Updated : Oct 19, 2019, 2:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.