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किसान ने प्रशासन के भरोसे न बैठकर खुद किया समस्या का हल, पुलिया टूटने के बाद बनाया लकड़ी का पुल

समनापुर गांव में एक किसान ने अपने और गांव के अन्य लोगों के लिए महज चार दिन में लकड़ी का एक पुल बना डाला.

पुलिया टूटने के बाद बनाया लकड़ी का पुल
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Published : Aug 6, 2019, 9:36 PM IST

सागर। जिले के रहली विधान सभा के समनापुर गांव में एक किसान ने अपने और गांव के अन्य लोगों के लिए महज चार दिन में लकड़ी का एक पुल बना डाला. दरअसल रहली के समनापुर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क पर नाले के उपर बनी पुलिया दो सालों से क्षतिग्रस्त है.

पुलिया टूटने के बाद बनाया लकड़ी का पुल

इस पुलिया के आसरे गांव के ही शिव प्रसाद कुर्मी के साथ कई किसान अपने खेतों के लिए जाते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में नाला उफान पर होता है, ऐसे में किसान अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते. पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदारों को गुहार लगाने के बाद भी समस्या का हल नहीं होने पर, शिव प्रसाद ने खुद ही अपने बेटे के साथ मिलकर नाले के उपर एक लकड़ी का पुल तैयार कर लिया. अब भारी बारिश में भी किसान और उनके परिवार उफनते नाले में लकड़ी के पुल के सहारे गांव और रहली तक आसानी से पहुंच जाते हैं. किसान शिव प्रसाद के भाई कहते हैं कि किसानों को खेत तक जाने में पांच किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था, बारिश के मौसम में उनका आना जाना भी बंद हो जाता था.

गांव के सरपंच का कहना है कि उन्होंने वाटरशेड कार्यक्रम में इस पुलिया को बनवाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसकी स्वीकृति नहीं मिली. बहरहाल भले ही प्रशासन स्तर पर किसानों की समस्या का हल न मिल सका हो, लेकिन किसी के भरोसे न बैठकर अपनी राह खुद बनाने वाले शिव प्रसाद कुर्मी ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है.

सागर। जिले के रहली विधान सभा के समनापुर गांव में एक किसान ने अपने और गांव के अन्य लोगों के लिए महज चार दिन में लकड़ी का एक पुल बना डाला. दरअसल रहली के समनापुर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क पर नाले के उपर बनी पुलिया दो सालों से क्षतिग्रस्त है.

पुलिया टूटने के बाद बनाया लकड़ी का पुल

इस पुलिया के आसरे गांव के ही शिव प्रसाद कुर्मी के साथ कई किसान अपने खेतों के लिए जाते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में नाला उफान पर होता है, ऐसे में किसान अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते. पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदारों को गुहार लगाने के बाद भी समस्या का हल नहीं होने पर, शिव प्रसाद ने खुद ही अपने बेटे के साथ मिलकर नाले के उपर एक लकड़ी का पुल तैयार कर लिया. अब भारी बारिश में भी किसान और उनके परिवार उफनते नाले में लकड़ी के पुल के सहारे गांव और रहली तक आसानी से पहुंच जाते हैं. किसान शिव प्रसाद के भाई कहते हैं कि किसानों को खेत तक जाने में पांच किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था, बारिश के मौसम में उनका आना जाना भी बंद हो जाता था.

गांव के सरपंच का कहना है कि उन्होंने वाटरशेड कार्यक्रम में इस पुलिया को बनवाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसकी स्वीकृति नहीं मिली. बहरहाल भले ही प्रशासन स्तर पर किसानों की समस्या का हल न मिल सका हो, लेकिन किसी के भरोसे न बैठकर अपनी राह खुद बनाने वाले शिव प्रसाद कुर्मी ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है.

Intro:
सागर। हालातों से हारकर खुदकुशी करने वाले किसानों की कहानी तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किसान की दास्तां सुनाते हैं जो न सिर्फ हालातों से लड़कर जीता, बल्कि दूसरों के लिए एक नज़ीर पेश की। खबर मध्यप्रदेश के सागर जिले के रहली विधान सभा के समनापुर गाँव से है जहां एक किसान ने अपने और गांव के अन्य लोगों के लिए महज़ चार दिन में लकड़ी का एक पुल बना डाला। दरअसल रहली के समनापुर गाँव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सड़क पर नाले के उपर बनी पुलिया दो सालों से क्षतिग्रस्त है| इस पुलिया के आसरे गांव के ही शिव प्रसाद कुर्मी के साथ कई किसान अपने खेतों को जाते हैं, लेकिन बारिश के मौसम में नाला उफान पर होता है, ऐसे में किसान और शिवप्रसाद अपने खेतों तक नहीं पहुच पाते थे| शिव प्रसाद बीते कई सालों से अपने परिवार के साथ अपने खेत में ही मकान बनाकर रह रहा था, ऐसे में पुलिया के क्षतिग्रस्त होने पर उसे और उसके परिवार के साथ अन्य किसानों को आने जाने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता था| पुल की मरम्मत के लिए ज़िम्मेदारों की गुहार लगाने के बाद भी समस्या का हल नहीं होने पर, शिव प्रसाद ने ख़ुद ही अपने बेटे के साथ मिलकर नाले के उपर एक लकड़ी का पुल तैयार कर लिया। अब भारी बारिश में भी उनका परिवार उफनते नाले में लकड़ी के पुल के सहारे गांव और रहली तक आसानी से पहुंच जाते हैं। किसान शिव प्रसाद के भाई कहते हें किसानों को खेत तक जाने में पांच किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था, बारिश के मौसम में उनका आना जाना ही बंद हो जाता था।
Body:वहीं गाँव के सरपंच का कहना है कि उन्होने वाटरशेड कार्यक्रम में इस पुलिया को बनवाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसकी स्वीक्रति नहीं मिली। बहरहाल भले ही प्रशासन स्तर पर किसानों की समस्या का हल न मिल सका हो लेकिन किसी के भरोसे न बैठकर अपनी राह खुद बनाने वाले शिव प्रसाद कुर्मी ने इस कहावत को चरितार्थ कर दिया है कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है।

बाइट 1शिव प्रसाद --किसान

बाइट 2--हर गोविन्द, भाई

बाइट3-शुभम पटेल, सरपंच
Conclusion:
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