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Damoh Suicide Case: बघेलखंड में आदिवासी तो बुंदेलखंड में दलित अत्याचार BJP के लिए बना मुसीबत, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी मुश्किल में

दमोह में दलित युवक विक्रम उर्फ विक्की रोहित की खुदकुशी के मामले में बीजेपी की परेशानी अब बढ़ने लगी है. मामले को भले ही सीआईडी को जांच के लिए सौंप दिया गया हो लेकिन कांग्रेस अब इसे मुद्दा बना रही है. बता दें युवक के सुसाइड नोट में प्रहलाद पटेल और बीजेपी नेता का नाम सामने आया था. कार्रवाई से नाराज केंद्रीय मंत्री ने पुलिस से सेवाएं लेने से इंकार कर दिया था.

Damoh Suicide Case
Prahlad patel
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Published : Jul 8, 2023, 10:20 AM IST

आदिवासी सुसाइड केस

दमोह। बघेलखंड के सीधी में आदिवासी युवक पर भाजपा विधायक के प्रतिनिधि द्वारा पेशाब करने के मामले में भाजपा की पूरी देश में किरकिरी हो रही है. उसी तरह बुंदेलखंड के दमोह एक दलित युवक विक्रम उर्फ विक्की रोहित की खुदकुशी के मामले में भाजपा की परेशानी बढ़ गयी हैं. इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल खडे़ हो रहे हैं और प्रहलाद पटेल की प्रतिक्रिया के बाद भाजपा के लिए मुसीबत और भी ज्यादा बढ़ गयी है. हालांकि केंद्रीय मंत्री की सार्वजनिक नाराजगी के बाद गृहमंत्री ने भले ही सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हों, लेकिन कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पार्टी स्तर पर एक कमेटी गठित की है, जो दमोह पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिलेगी. ये कमेटी कमलनाथ को रिपोर्ट सौंपेगी और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस रणनीति तैयार करेगी. फिलहाल केंद्रीय मंत्री की भूमिका पर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस काफी आक्रमक है.

राशन दुकान में की आत्महत्या: दरअसल 22 जून को राशन दुकान का सैल्समेन विक्रम रोहित उर्फ विक्की रोहित अपनी राशन दुकान पर मृत मिला था. मृतक विक्रम उर्फ विक्की दमोह के बजरिया वार्ड 3 में सद्भावना उपभोक्ता भंडार पर मृत मिला था जहां से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें चार लोगों को खुदकुशी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और सुसाइड नोट को आधार मानते हुए चारों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया गया था. दमोह सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह पहुंचे, तो आरोपी यशपाल ठाकुर के समर्थन में धर्मपुरा वार्ड के लोगों ने मुलाकात की और घटनाक्रम के बारे में बताया. इस बात पर मंत्री इतना बिफर गए कि उन्होंने पुलिस पर जल्दबाजी में बिना जांच किए मामला दर्ज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट हूं और न्याय मिलने तक मैं दमोह पुलिस की सेवाएं नहीं लूंगा. मंत्री के बयान के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गयी और मामले की सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं. दूसरी तरफ मंगलवार को दलित समाज के लोग मंत्री के खिलाफ खडे़ हो गए और जमकर प्रदर्शन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अस्पताल चौराहे पर धरना दिया. इस दौरान प्रहलाद पटेल के खिलाफ जमकर नारेबााजी हुई.

मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल: जिस तरह से इस घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने तेवर दिखाए हैं. उसको लेकर मंत्री की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं क्योकिं सुसाइड नोट में मंत्री के नाम का भी उल्लेख है. विपक्ष एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के पुलिस पर दबाब बनाने के तरीके और मध्यप्रदेश सरकार के दबाब में आने को लेकर मुद्दा बना रही है और मंत्री की नाराजगी के बाद मामले की जांच सीआईडी को सौंपे जाने को असंवैधानिक और गैरकानूनी बता रही है.

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कांग्रेस ने किया जांच कमेटी का गठन: कांग्रेस ने दमोह में अनुसूचित जाति वर्ग के युवक की खुदकुशी और खुदकुशी को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और उनके समर्थकों को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद मप्र कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी की अगुवाई में पांच सदस्यीय जांच कमेटी का किया है. दरअसल अनुसूचित जाति वर्ग के युवक की मौत के मामले को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस की ओर से पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन मध्य प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी की अगुवाई में किया है. इसके अलावा इस कमेटी में तरबर सिंह लोधी विधायक बंडा, मध्यप्रदेश कांग्रेस के सचिव राकेश राय, रेखा चौधरी पूर्व अध्यक्ष शहर कांग्रेस सागर और मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष अमित रामजी दुबे को शामिल किया है ये कमेटी दमोह जाकर जाकर वस्तु स्थिति का जांच प्रतिवेदन कमलनाथ को सौंपेगी.

केंद्रीय मंत्री और मप्र सरकार का असंवैधानिक और गैरकानूनी चेहरा उजागर: मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और दमोह मामले की कांग्रेस की जांच कमेटी के प्रमुख सुरेन्द्र चौधरी का कहना है कि इस घटना से इस प्रदेश के सांसद और केंद्रीय मंत्री के अलावा मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री का असंवैधानिक और गैरकानूनी चेहरा उजागर हुआ है. जो सांसद, विधायक और सरकार चुनी जाती है, वो संविधान की शपथ लेता है कि मैं संविधान को अक्षुण्ण रखूंगा, इस प्रकरण में ये बात साफ नहीं दिखाई पड़ रही है. पक्षपाती तौर पर चुना हुआ जनप्रतिनिधि इस तरीके से अत्याचारियों के पक्ष में खड़ा दिखाई देगा, तो संविधान कहां रह जाएगा. संविधान की रक्षा करना कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता है और इस प्रतिबद्धता को ध्यान रखते हुए हमारे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जो कमेटी बनायी है वो कमेटी पीड़ित परिवार से मिलने जाएगी और पूरे घटनाक्रम का अध्ययन करेगी और पीड़ित प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने का काम करेगी.

आदिवासी सुसाइड केस

दमोह। बघेलखंड के सीधी में आदिवासी युवक पर भाजपा विधायक के प्रतिनिधि द्वारा पेशाब करने के मामले में भाजपा की पूरी देश में किरकिरी हो रही है. उसी तरह बुंदेलखंड के दमोह एक दलित युवक विक्रम उर्फ विक्की रोहित की खुदकुशी के मामले में भाजपा की परेशानी बढ़ गयी हैं. इस मामले में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल खडे़ हो रहे हैं और प्रहलाद पटेल की प्रतिक्रिया के बाद भाजपा के लिए मुसीबत और भी ज्यादा बढ़ गयी है. हालांकि केंद्रीय मंत्री की सार्वजनिक नाराजगी के बाद गृहमंत्री ने भले ही सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हों, लेकिन कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पार्टी स्तर पर एक कमेटी गठित की है, जो दमोह पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिलेगी. ये कमेटी कमलनाथ को रिपोर्ट सौंपेगी और कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस रणनीति तैयार करेगी. फिलहाल केंद्रीय मंत्री की भूमिका पर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस काफी आक्रमक है.

राशन दुकान में की आत्महत्या: दरअसल 22 जून को राशन दुकान का सैल्समेन विक्रम रोहित उर्फ विक्की रोहित अपनी राशन दुकान पर मृत मिला था. मृतक विक्रम उर्फ विक्की दमोह के बजरिया वार्ड 3 में सद्भावना उपभोक्ता भंडार पर मृत मिला था जहां से एक सुसाइड नोट भी मिला था, जिसमें चार लोगों को खुदकुशी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था और सुसाइड नोट को आधार मानते हुए चारों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया गया था. दमोह सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह पहुंचे, तो आरोपी यशपाल ठाकुर के समर्थन में धर्मपुरा वार्ड के लोगों ने मुलाकात की और घटनाक्रम के बारे में बताया. इस बात पर मंत्री इतना बिफर गए कि उन्होंने पुलिस पर जल्दबाजी में बिना जांच किए मामला दर्ज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मैं पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट हूं और न्याय मिलने तक मैं दमोह पुलिस की सेवाएं नहीं लूंगा. मंत्री के बयान के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आ गयी और मामले की सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं. दूसरी तरफ मंगलवार को दलित समाज के लोग मंत्री के खिलाफ खडे़ हो गए और जमकर प्रदर्शन करते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अस्पताल चौराहे पर धरना दिया. इस दौरान प्रहलाद पटेल के खिलाफ जमकर नारेबााजी हुई.

मंत्री प्रहलाद पटेल की भूमिका पर सवाल: जिस तरह से इस घटनाक्रम को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने तेवर दिखाए हैं. उसको लेकर मंत्री की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं क्योकिं सुसाइड नोट में मंत्री के नाम का भी उल्लेख है. विपक्ष एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के पुलिस पर दबाब बनाने के तरीके और मध्यप्रदेश सरकार के दबाब में आने को लेकर मुद्दा बना रही है और मंत्री की नाराजगी के बाद मामले की जांच सीआईडी को सौंपे जाने को असंवैधानिक और गैरकानूनी बता रही है.

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केंद्रीय मंत्री और मप्र सरकार का असंवैधानिक और गैरकानूनी चेहरा उजागर: मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और दमोह मामले की कांग्रेस की जांच कमेटी के प्रमुख सुरेन्द्र चौधरी का कहना है कि इस घटना से इस प्रदेश के सांसद और केंद्रीय मंत्री के अलावा मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री का असंवैधानिक और गैरकानूनी चेहरा उजागर हुआ है. जो सांसद, विधायक और सरकार चुनी जाती है, वो संविधान की शपथ लेता है कि मैं संविधान को अक्षुण्ण रखूंगा, इस प्रकरण में ये बात साफ नहीं दिखाई पड़ रही है. पक्षपाती तौर पर चुना हुआ जनप्रतिनिधि इस तरीके से अत्याचारियों के पक्ष में खड़ा दिखाई देगा, तो संविधान कहां रह जाएगा. संविधान की रक्षा करना कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता है और इस प्रतिबद्धता को ध्यान रखते हुए हमारे प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जो कमेटी बनायी है वो कमेटी पीड़ित परिवार से मिलने जाएगी और पूरे घटनाक्रम का अध्ययन करेगी और पीड़ित प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने का काम करेगी.

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