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सागर में स्थापित होगा मध्य भारत का सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केन्द्र, IITM पुणे और सागर यूनिवर्सिटी के बीच हुआ करार - सागर में स्थापित होगा मध्य भारत का सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केन्द्र

मौसम संबंधित शोध और अनुसंधान के लिए सागर में मध्य भारत का सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केन्द्र बनाया जाएगा. आईआईटीएम पुणे और सागर विश्वविद्यालय के बीच हुए करार के बाद सागर विश्वविद्यालय अनुसंधान केन्द्र स्थापित करेगा.

सागर में स्थापित होगा मध्य भारत का सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केन्द्र
सागर में स्थापित होगा मध्य भारत का सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केन्द्र
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Published : Sep 23, 2021, 10:45 PM IST

सागर। मौसम से संबंधित शोध और अनुसंधान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के निर्देशन में आईआईटीएम पुणे और सागर विश्वविद्यालय के बीच हुए करार के तहत सागर में रिसर्च सेंटर स्थापित किया जा रहा है. मध्य भारत का ये सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केंद्र होगा. मध्य भारत में मौसम से संबंधित तमाम गतिविधियों और बदलाव पर इसकी पैनी नजर होगी. मौसम की भविष्यवाणी भी ज्यादा अपडेट और सटीक उपलब्ध हो सकेगी. सागर शहर की भौगोलिक स्थिति के कारण इस रिसर्च सेंटर को यहां स्थापित करने की तैयारी हो रही है.

सागर विश्वविद्यालय और आईआईटीएम के बीच करार
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संस्थान आईआईटीएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मीटियरोलॉजी) पुणे और डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के बीच हुए एक करार के तहत सागर में मध्यभारत का बड़ा मौसम अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की तैयारी चल रही है. उष्णकटिबंधीय मौसम वाले इलाकों की मौसम से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखने और मौसम अनुसंधान के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. सागर विश्वविद्यालय के फिजिक्स, व्यावहारिक भूगोल और व्यावहारिक भूगर्भ शास्त्र विभाग इसके शोध और अनुसंधान का हिस्सा होंगे. सागर विश्वविद्यालय द्वारा रिसर्च सेंटर के लिए सिंरोजा पहाड़ी पर 5 एकड़ जगह चिन्हित की गई है.

क्यों चुना गया सागर को ?
मौसम अनुसंधान के मध्य भारत के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर के लिए सागर शहर को चयनित किए जाने की वजह यहां की भौगोलिक स्थिति और जलवायु मानी जा रही है. सागर विश्वविद्यालय एक पहाड़ी पर स्थित है और मध्य भारत में रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए जरुरी ऊंचाई भी है. वहीं सागर एक ऐसा स्थान है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून की हवाएं यहां आकर आपस में मिलती हैं.

कैसा होगा रिसर्च सेंटर ?
सागर विश्वविद्यालय की सिंरोजा पहाड़ी पर प्रस्तावित मौसम अनुसंधान केंद्र करीब 5 एकड़ की भूमि पर बनाया जाएगा. यहां एक 200 फीट ऊंचा टावर भी लगाया जाएगा. जिसमें मौसम से संबंधित उपकरण लगाए जाएंगे. इसके अलावा मौसम अनुसंधान से समस्त जानकारियां और डाटा एकत्रित करने के लिए भी उपकरण लगाए जाएंगे.

हाई कोर्ट ने 8 कलेक्टर, 3 प्रमुख सचिव सहित 30 अधिकारियों को भेजा नोटिस, ये है वजह

किस तरह से काम करेगा रिसर्च सेंटर ?
मौसम अनुसंधान के लिए बनाया जा रहा ये विशेष रिसर्च सेंटर मौसम की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखेगा और संबंधित डाटा इकट्ठा करेगा, जो रिसर्च और एनालिसिस के लिए अहम होगा. कब, कहां और कैसी बारिश होगी. गर्मी के मौसम में कब कहां कैसा तापमान होगा और सर्दी के मौसम में कितनी सर्दी पड़ेगी. इसके सटीक पूर्वानुमान भी इस रिसर्च सेंटर द्वारा दिए जा सकेंगे. सबसे बड़ा फायदा इससे कृषि के क्षेत्र को होगा. मौसम से संबंधित डाटा और रिसर्च के आधार पर किसान अपनी फसल का चयन कर सकेंगे.

क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन ?
रिसर्च सेंटर से संबंधित गतिविधियां कोरोना महामारी के कारण रोक दी गई थी. फिलहाल कोरोना गाइडलाइन के अनुसार ही काम चल रहा है. जल्द ही इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से मार्गदर्शन मांगा जाएगा.

सागर। मौसम से संबंधित शोध और अनुसंधान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के निर्देशन में आईआईटीएम पुणे और सागर विश्वविद्यालय के बीच हुए करार के तहत सागर में रिसर्च सेंटर स्थापित किया जा रहा है. मध्य भारत का ये सबसे बड़ा मौसम अनुसंधान केंद्र होगा. मध्य भारत में मौसम से संबंधित तमाम गतिविधियों और बदलाव पर इसकी पैनी नजर होगी. मौसम की भविष्यवाणी भी ज्यादा अपडेट और सटीक उपलब्ध हो सकेगी. सागर शहर की भौगोलिक स्थिति के कारण इस रिसर्च सेंटर को यहां स्थापित करने की तैयारी हो रही है.

सागर विश्वविद्यालय और आईआईटीएम के बीच करार
भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संस्थान आईआईटीएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मीटियरोलॉजी) पुणे और डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के बीच हुए एक करार के तहत सागर में मध्यभारत का बड़ा मौसम अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की तैयारी चल रही है. उष्णकटिबंधीय मौसम वाले इलाकों की मौसम से संबंधित गतिविधियों पर नजर रखने और मौसम अनुसंधान के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि होगी. सागर विश्वविद्यालय के फिजिक्स, व्यावहारिक भूगोल और व्यावहारिक भूगर्भ शास्त्र विभाग इसके शोध और अनुसंधान का हिस्सा होंगे. सागर विश्वविद्यालय द्वारा रिसर्च सेंटर के लिए सिंरोजा पहाड़ी पर 5 एकड़ जगह चिन्हित की गई है.

क्यों चुना गया सागर को ?
मौसम अनुसंधान के मध्य भारत के सबसे बड़े रिसर्च सेंटर के लिए सागर शहर को चयनित किए जाने की वजह यहां की भौगोलिक स्थिति और जलवायु मानी जा रही है. सागर विश्वविद्यालय एक पहाड़ी पर स्थित है और मध्य भारत में रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए जरुरी ऊंचाई भी है. वहीं सागर एक ऐसा स्थान है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून की हवाएं यहां आकर आपस में मिलती हैं.

कैसा होगा रिसर्च सेंटर ?
सागर विश्वविद्यालय की सिंरोजा पहाड़ी पर प्रस्तावित मौसम अनुसंधान केंद्र करीब 5 एकड़ की भूमि पर बनाया जाएगा. यहां एक 200 फीट ऊंचा टावर भी लगाया जाएगा. जिसमें मौसम से संबंधित उपकरण लगाए जाएंगे. इसके अलावा मौसम अनुसंधान से समस्त जानकारियां और डाटा एकत्रित करने के लिए भी उपकरण लगाए जाएंगे.

हाई कोर्ट ने 8 कलेक्टर, 3 प्रमुख सचिव सहित 30 अधिकारियों को भेजा नोटिस, ये है वजह

किस तरह से काम करेगा रिसर्च सेंटर ?
मौसम अनुसंधान के लिए बनाया जा रहा ये विशेष रिसर्च सेंटर मौसम की पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखेगा और संबंधित डाटा इकट्ठा करेगा, जो रिसर्च और एनालिसिस के लिए अहम होगा. कब, कहां और कैसी बारिश होगी. गर्मी के मौसम में कब कहां कैसा तापमान होगा और सर्दी के मौसम में कितनी सर्दी पड़ेगी. इसके सटीक पूर्वानुमान भी इस रिसर्च सेंटर द्वारा दिए जा सकेंगे. सबसे बड़ा फायदा इससे कृषि के क्षेत्र को होगा. मौसम से संबंधित डाटा और रिसर्च के आधार पर किसान अपनी फसल का चयन कर सकेंगे.

क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन ?
रिसर्च सेंटर से संबंधित गतिविधियां कोरोना महामारी के कारण रोक दी गई थी. फिलहाल कोरोना गाइडलाइन के अनुसार ही काम चल रहा है. जल्द ही इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से मार्गदर्शन मांगा जाएगा.

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