सागर। वैसे ही बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज और प्रदेश की तमाम मेडिकल कॉलेज चिकित्सकों की कमी से जूझ रही हैं और कोरोना काल में तो यह समस्या काफी गंभीर बन गई है. इसके बावजूद सरकार ने बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के 30 कोविड मेडिकल ऑफिसर की सेवाएं समाप्त कर दी हैं. इसके अलावा प्रदेश की अन्य पांच मेडिकल कॉलेज में भी नियुक्त किए गए कोविड ऑफिसर की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं.
कोरोना का कहर कम होते ही फैसला
एक तरफ हो कोरोना के कहर के चलते प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेज और जिला चिकित्सालय डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. चिकित्सकों की कमी के चलते चिकित्सकों को बिना रुके, बिना थके, बिना आराम लगातार ड्यूटी करनी पड़ रही है. इन हालातों में भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक आदेश जारी करते हुए सागर की बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सहित प्रदेश की अन्य पांच मेडिकल कॉलेज भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा और इंदौर के कोविड मेडिकल ऑफिसर की सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मध्य प्रदेश की मिशन संचालक छवि भारद्वाज द्वारा 18 मई 2021 को स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा गया है और इस पत्र में इन सभी मेडिकल ऑफिसर की सेवाएं समाप्त करने को कहा गया है. माना जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के कारण सरकार ने यह फैसला लिया है.
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जान जोखिम में डालकर सेवाएं दे रहे डॉक्टर
अभी जब कोरोना का संक्रमण पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, ऐसी स्थिति में अचानक से कोविड-19 मेडिकल ऑफिसर की सेवाएं समाप्त करने के फैसले से डॉक्टर्स नाराज हैं. महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं दे रहे डॉक्टर सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं. सरकार के फैसले से वह अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. सरकार के इस फैसले को लेकर सेवाएं दे रहे डॉक्टर ने एक बार फिर पुनर्विचार की मांग की है. वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर की सेवाएं समाप्त करने से मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 वार्ड की व्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं.