सागर। 30 अक्टूबर को मध्य प्रदेश की एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीट के लिए चुनाव संपन्न हुए थे. चुनाव परिणाम के बाद सत्ताधारी दल बीजेपी में जश्न का माहौल है. भारतीय जनता पार्टी खंडवा लोकसभा सीट के साथ पृथ्वीपुर और जोबट विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही है. भाजपा की बड़ी जीत के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सबसे विश्वस्त और चुनाव प्रबंधन के महारथी माने जाने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह को श्रेय दिया जा रहा है.
भूपेंद्र सिंह को इन चारों उपचुनावों के लिए प्रबंधन की कमान सौंपी गई थी. उन्होंने भोपाल में कंट्रोल रूम स्थापित कर अपनी टीम के साथ भाजपा के लिए मुश्किल नजर आ रहे चुनाव को जिताने में सफलता हासिल की है. चुनाव परिणाम के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हमारे संवाददाता कपिल तिवारी से विशेष बात की. देखिए बातचीत के अहम पहलू...
सवाल: भाजपा के लिए बड़ी जीत हासिल हुई है, जनता ने जो आप पर विश्वास जताया है, इसका श्रेय किसको देंगे?
जवाब: जहां तक जीत के श्रेय की बात है, तो ये सारा श्रेय जनता को जाता है, जिन्होंने हमें चुनाव जिताया है. जहां तक नेतृत्व का सवाल है, तो शिवराज सिंह के नेतृत्व में हम लोगों ने चुनाव लड़ा है. जो हमारी भाजपा की सरकार है, उस सरकार के विकास के काम को जनता ने आशीर्वाद दिया और जनता ने मुहर लगाई है. जनता का आशीर्वाद शिवराज सिंह का नेतृत्व कार्यकर्ताओं का परिश्रम और सरकार के विकास की यह जीत है.
सवाल: एक बार फिर आप के चुनाव प्रबंधन पर भाजपा और मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया. आप उस पर खरे भी उतरे हैं, तो इस जीत को किस तरह से देखते हैं?
जवाब: निश्चित रूप से पार्टी ने मुझे एक काम सौंपा था. जब भी पार्टी ने जो काम दिया है, उसको पूरी निष्ठा और परिश्रम से किया है. इस बार पार्टी ने 4 सीटों के प्रबंधन का काम सौंपा था. 4 में से हम 3 सीटों पर जीते हैं. मुझे निश्चित रूप से प्रसन्नता है कि हम लोग अपना काम करने में सफल रहे हैं. हम लोगों को सफलता मिली है और इस परिणाम के बाद हम पूरी तरह से संतुष्ट हैं.
महाकाल के साथ मनाया धन तेरस, गुरुवार को रूप चौदस और दिवाली एक साथ मनेगी
सवाल: आमतौर पर आदिवासी वोट बैंक कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन जहां जोबट में आपने शानदार जीत हासिल की है. वहीं खंडवा की आदिवासी बाहुल्य विधानसभाओं में भी जीत हासिल हुई है. इस तरह के परिणाम को कैसे देखते हैं?
जवाब: कांग्रेस इस भ्रम में थी. हमेशा उन्होंने आदिवासियों और अनुसूचित जाति के नाम पर चुनाव जीते हैं, लेकिन कांग्रेस ने कभी आदिवासी या अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए काम नहीं किया है. यह बात हमारे आदिवासी और अनुसूचित जाति के वर्ग के लोगों को समझ आ रही है. इसलिए आप देख रहे हैं कि खंडवा लोकसभा में 5 आदिवासी विधानसभा और जोबट आदिवासी विधानसभा में हमारी जीत हासिल हुई है. इस तरह से 6 आदिवासी बाहुल्य विधानसभाओं में हमने जीत हासिल की है.
इसका मतलब ये है कि आदिवासी या बीजेपी के साथ है. शिवराज सिंह के नेतृत्व में आदिवासी समाज को विश्वास है. भाजपा सरकार की नीतियों पर आदिवासी समाज को विश्वास है. विशेष रूप से हमारी सरकार ने आदिवासी समाज के कल्याण के लिए जो फैसले किए हैं, उन निर्णयों की जीत है. चाहे वह पैसा एक्ट हो, वन भूमि के पट्टे दिलाने का मामला हो, चाहे हमारे आदिवासी समाज को स्वयं के उपयोग के लिए शराब बनाने की अनुमति हो या खाद्यान्न की द्वार प्रदाय योजना हो, इन सब चीजों को आदिवासी समाज ने समझा है और उस पर मुहर लगाई है.
इसी तरह अनुसूचित जाति का मतदाता बड़ी संख्या में बीजेपी के साथ पहले भी था और आज भी है. कांग्रेस को अब भ्रम नहीं होना चाहिए कि आदिवासियों और अनुसूचित जाति के नाम पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. अब लोग समझदार हो गए हैं और अपना अच्छा बुरा समझते हैं.
सवाल: जिस माहौल में चुनाव हुए उस दौरान पेट्रोल के दाम और महंगाई को लेकर माहौल था. कांग्रेस ने इस मुद्दे को उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. तो क्या इस परिणाम को लेकर आप मानते हैं कि जनता ने महंगाई को मुद्दा नहीं माना है?
जवाब: जनता ने स्पष्ट कर दिया है कि महंगाई तात्कालिक परिस्थितियों के हिसाब से होती है. कोई सरकार रहे, ये उतार-चढ़ाव हमेशा होते रहते हैं. कांग्रेस की सरकारें जब थी, तब भी महंगाई कई बार बड़ी है. उसके बाद जो सरकारें रही हैं, उनमें भी महंगाई बढ़ी और घटी, लेकिन महंगाई से गरीब का कल्याण प्रभावित ना हो पाए, इसका ध्यान हम लोगों ने रखा. महंगाई अंतर्राष्ट्रीय विषय भी है, जिसमें सरकार कुछ नहीं कर सकती है.
हम लोगों ने गरीबों को नवंबर तक फ्री राशन दिया, उनके खाते में पैसा डालने का काम किया. हमारी स्ट्रीट वेंडर योजना के माध्यम से गरीब लोगों के लिए 10, 20 और 50 हजार रूपए तक की राशि लोन के रूप में दी गई. हम लोगों ने गरीबों को महंगाई का एहसास नहीं होने दिया. हर व्यक्ति इस बात को समझता है कि महंगाई अंतरराष्ट्रीय कारणों से है. कुछ मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण भी हुई है, तो इन सब बातों को जनता समझती है.
जनकल्याण के काम जो हमारे प्रधानमंत्री कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के नेतृत्व पर जनता ने विश्वास जताया है. साथ ही जो बीजेपी का संगठन है, चाहे अध्यक्ष हो या महामंत्री हो, इन सब लोगों ने जो जमावट और कसावट की और एक-एक कार्यकर्ता चुनाव में विजय के लिए परिश्रम किया, तो जनता ने उसको आशीर्वाद दिया है.
कांग्रेस ने जीता रैगांव का रण: कल्पना वर्मा 12 हजार से ज्यादा वोटों से जीतीं
सवाल: इन चारों सीटों में पृथ्वीपुर को सबसे हाई प्रोफाइल सीट के रूप में देखा जा रहा था. पूर्व मंत्री स्वर्गीय बृजेंद्र सिंह राठौर की यह सीट थी. सहानुभूति लहर के लिहाज से उनके बेटे चुनाव मैदान में थे, तो इस तिलिस्म को आपने कैसे तोड़ा ?
जवाब: पहली चीज तो ये है कि वहां पर कोई सहानुभूति लहर जैसी चीज नहीं थी. दूसरी चीज ये कि पृथ्वीपुर में लंबे समय से कांग्रेस प्रत्याशी के परिवार के पास सीट रही है. वहां पर लंबे समय से कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. पृथ्वीपुर का विकास टीकमगढ़ और निवाड़ी की तरह नहीं हुआ है, तो लोगों को लगता था कि इतने लंबे समय से हम कांग्रेस को जिता रहे हैं, इसलिए विकास प्रभावित हो रहा है. लोगों को लगा कि हमें अगर विकास करना है, तो भाजपा के साथ जोड़कर ही हमारा विकास हो सकता है.
शिवराज सिंह से जुड़कर विकास हो सकता है. दूसरा जो उनके परिवार का आतंक था, उसको भी मतदाताओं ने नकारा है. इस चुनाव में ये भी सिद्ध हो गया है कि राजनीति में आप आतंक के बल पर चुनाव नहीं जीत सकते हैं. कुछ समय के लिए तात्कालिक लाभ मिल भी जाए, पर राजनीति में ये स्थाई नहीं है. राजनीति में तो आप विकास के आधार पर आगे बढ़ सकते हैं. विकास के आधार पर चुनाव जीत सकते हैं. विकास का विश्वास लोगों को भाजपा पर है, इसलिए हम चुनाव जीते हैं.
सवाल: कमलनाथ ने पूरे चुनाव प्रचार अभियान और मतदान के बाद भी आरोप लगाया है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भाजपा का बिल्ला जेब में रखकर काम किया. बीजेपी ने जमकर प्रशासन का दुरुपयोग किया, तो इन आरोपों को किस तरह से देखते हैं?
जवाब: यह सारा दुरुपयोग हम लोगों ने दमोह में क्यों नहीं किया? कमलनाथ जी से पूछना चाहते हैं कि अगर हम लोग दुरुपयोग करके जीत सकते, तो हम लोग दमोह में क्यों हार गए? वह तो कहते थे कि हम लोग दमोह मॉडल पर चुनाव लड़ेंगे, उनका दमोह मॉडल कहां गया? इसलिए सत्यता को स्वीकार करना चाहिए. राजनीति में जनता के बीच में कभी भी ऐसी बात नहीं करना चाहिए, जिससे जनता का विश्वास हमारे ऊपर से हटे..
तीन सीटों पर हार के बाद 'नाथ' का नया दांव, राहुल गांधी के भोलेपन से जनता प्रभावित होगी
जनता भगवान का स्वरूप होती है, इसलिए जनता के लिए काम करो. जनता के बीच सही बोलो, जनता के बीच छल कपट मत करो और नकारात्मक मुद्दे मत ले जाओ. जो काम हुआ है, उसको स्वीकार करो. आपकी जो कमियां है, उसको स्वीकार करो. यदि आपका इतना अच्छा था, तो आप की सरकार क्यों गिर गई, हम लोगों ने तो गिराई नहीं. आपकी सरकार आप नहीं चला सके.
जनता से आपने धोखा किया, विश्वासघात किया. इस धोखे का परिणाम अभी नहीं अगले चुनाव में भी भुगतेंगे. क्योंकि इतना धोखा, विश्वासघात कभी मध्य प्रदेश में नहीं हुआ है. जितना इस बार कांग्रेस में किया. उसकी सजा लंबे समय तक कांग्रेस भुगतेगी.
सवाल: 3 विधानसभा सीटों में आप कांग्रेस की 2 सीटें छीनने में कामयाब रहे, लेकिन आप अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे हैं?
जवाब: हमारी सीट हमारे हाथों से गई है. हमारी कुछ गलतियां और कमियां थी, जिसके कारण वह सीट हारे हैं. कांग्रेस इस गलतफहमी में ना रहे कि वह रैगांव सीट खुद जीती है. हमारी कुछ कमियां रही हैं, हम उस वजह से रैगांव में हारे हैं.
सवाल: बीजेपी लगातार ओबीसी के लिए काम कर रही है. 15 नवंबर को प्रधानमंत्री आदिवासियों के सम्मेलन में आ रहे हैं. तो क्या बीजेपी एक नए समीकरण को स्थापित करना चाह रही है?
जवाब: पहली बात ये है कि हमारे मध्य प्रदेश में 52 फीसदी ओबीसी हैं, जबकि आरक्षण 14 फीसदी है, यह कहां का न्याय है. इसलिए मध्य प्रदेश में और अन्य जगहों पर ओबीसी को 27% आरक्षण मिलना चाहिए. इस बात को अगर मध्य प्रदेश में कोई कह रहा है, तो वह बीजेपी कह रही है. हम लोगों ने हाईकोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा है. हम लोगों ने भारत के सॉलिसिटर जनरल और एडवोकेट जनरल को न्यायालय में जोड़ने का काम किया है. हाईकोर्ट ने तीन परीक्षाओं में 27% आरक्षण देने पर स्टे लगा दिया था, तो हम लोगों ने परीक्षाओं में 27% आरक्षण ओबीसी को देने का काम किया है, जो देश में पहली बार हुआ है.
धनतेरस पर CM की अपील, सरकारी खजाने में चल रही कड़की, सामान का पक्का बिल लें
इसलिए हम लोग पूरी तरह से इस पक्ष में है कि ओबीसी को 27% आरक्षण मिलना चाहिए, इसमें हम लोग कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. जहां तक आदिवासियों की बात है तो पिछले 28 उपचुनाव देखें, तो आदिवासी वोट हमें ही मिला था. इस उपचुनाव में भी देखें, तो खंडवा लोकसभा की 5 सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं और जोबट आदिवासी बाहुल्य सीट है.
हम लोग खंडवा भी और जोबट भी जीते हैं. इसका मतलब ये है कि आदिवासी वर्ग बीजेपी के साथ है. जो ताकतें चाहे कांग्रेस हो या जयस हो, आदिवासियों को भ्रमित करने और भड़काने का काम करते थे. आदिवासियों ने उन्हें बता दिया है कि बीजेपी आदिवासियों के विकास के लिए काम कर रही है और आदिवासी अब बीजेपी के साथ हैं.
सवाल: पंचायत चुनाव नगरीय निकाय चुनाव और फिर 2023 के विधानसभा चुनाव में उप चुनाव की जीत आगामी चुनाव में बीजेपी में कितना जोश भरने का काम करेगी?
जवाब: निश्चित रूप से इस परिणाम से हमारे कार्यकर्ता उत्साहित हैं और हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है. यह एक तरह से 2023 के चुनाव का सेमीफाइनल था, जिसमें हम लोगों को शानदार जीत मिली है. पंचायत चुनाव हो या नगरीय निकाय चुनाव, हम पूरे उत्साह के साथ लड़ेंगे और 2023 के चुनाव में हम सिर्फ जीत हासिल करेंगे.