सागर। बाल विवाह को लेकर भले ही सरकार कितने सख्त कानून बनाए और जन जागरूकता अभियान चलाए लेकिन जागरूकता की कमी और सामाजिक परिस्थितियों के चलते बाल विवाह का सिलसिला रुक नहीं रहा है. आलम ये है कि मध्यप्रदेश में हर साल होने वाले बाल विवाहों में करीब 20 फ़ीसदी बाल विवाह बुंदेलखंड में होते हैं. ताजा मामले में सागर जिले में एक दिन में आठ ऐसी शादियां रोकी गई है जिनमें लड़के या लड़की की उम्र शादी योग्य नहीं थी जानकारों की माने तो जागरूकता का अभाव गरीबी लड़की के घर से भाग जाने की बदनामी प्रेम प्रसंग जैसे मामलों के चलते बाल विवाह की कृति अभी भी चली आ रही है हालांकि महिला बाल विकास विभाग और पुलिस विभाग पर ऐसी शादियों की रोकने की जिम्मेदारी है लेकिन दोनों विभागों में समन्वय की कमी और जिम्मेदारी ना लेने के कारण बाल विवाह का सिलसिला लगातार चल रहा है.
एक दिन में रोकी गयी 8 शादियां: महिला बाल विकास विभाग और विशेष किशोर इकाई द्वारा बाल विवाह के रोकथाम का काम किया जाता है. दो मई को सीएसपी मकरोनिया को सूचना मिली थी कि बहेरिया थाने की कर्रापुर चौकी के मझगवां गांव में नाबालिग लड़का और लड़की की शादी कराई जा रही है. सीएसपी के निर्देश पर विशेष किशोर इकाई की टीम ने गांव में जाकर देखा,तो नाबालिग लड़के की बारात छतरपुर जाने वाली थी. विशेष किशोर इकाई द्वारा शादी को रोकने का काम किया, तो स्थानीय लोगों ने गांव में हो रही कम उम्र की दूसरी शादियां होने की जानकारी दी. मझगंवा में ही सागर के मोती नगर से एक बारात पहुंची थी, जिसमें लड़के की उम्र 18 और लड़की की उम्र 16 साल थी. यहां नाबालिग लड़की की दादी पुलिस की स्पेशल टीम से भिड़ गयी. मझगवां में ही दो सगे भाइयों की शादी हो रही थी और दोनों की बारात दमोह जानी थी, दोनों शादी योग्य नहीं थे. मझगवां गांव अकेले ही पांच बाल विवाह के सामने मामले सामने आए हैं. जिनमें 4 लड़के ऐसे पाए गए, जिनकी बारात जा रही थी और जिनकी शादी की उम्र नहीं थी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस लड़की से उनकी शादी हो रही थी, वह भी नाबालिग होंगी.
नरयावली में भी रोकी गई दो शादियां: नरयावली थाना के टीला बुजुर्ग गांव में विशेष किशोर ईकाई ने दो लड़कों की शादी रोकी. जिनमें एक लड़के की उम्र 17 साल और दूसरे की 20 साल थी. इसमें एक बारात सागर के बंडा जा रही थी और दूसरी बारात उत्तर प्रदेश जा रही थी.
नाबालिग लड़की अड़ गई शादी करने: विशेष किशोर इकाई को सुरखी थाना में 17 साल की लड़की की शादी होने की सूचना पर पुलिस पहुंची तो लड़की शादी की जिद पर अड़ गई और कहने लगी कि मेरी शादी मेरे पसंद के लड़के से हो रही है, मुझे कोई एतराज नहीं है. पुलिस ने काफी समझाइश दी, लेकिन लड़की जिद पर अड़ी रही. जब विशेष किशोर ईकाई ने लड़के को हिरासत में लेने की बात करी, तब जाकर लड़की शादी रुकवाने तैयार हुई.
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प्रदेश में सबसे ज्यादा बुंदेलखंड में बाल विवाह: जहां तक मध्य प्रदेश में होने वाले बाल विवाह की बात करें तो मध्यप्रदेश में मार्च 2020 से मार्च 2021 तक बाल विवाह के 521 मामले सामने आए हैं. वहीं वर्ष 2021-22 में प्रदेश में बाल विवाह के 1028 मामले सामने आए. खास बात ये है कि इसी अवधि में अब तक सिर्फ सागर जिले में बाल विवाह के 345 मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की विशेष किशोर इकाई द्वारा शादी रोकने या प्रकरण दर्ज करने की कार्रवाई की गई है. आंकड़ों पर गौर करें तो पूरे प्रदेश के 20 फीसदी बाल विवाह अकेले बुंदेलखंड में ही होते हैं.
क्यों नहीं रुक रहे बाल विवाह: विशेष किशोर इकाई के प्रभारी ज्योति तिवारी बताती हैं कि बाल विवाह ना रुकने के पीछे सबसे बड़ा कारण जागरूकता का अभाव देखने मिलता है। लोगों का मानना है कि 18 साल की उम्र के बाद लड़के और लड़की की शादी कर सकते हैं. लेकिन लड़के की उम्र 21 साल तय की गई है। 2 और 3 मई को सागर जिले में सामने आए 8 ऐसे मामलों में 6 मामले ऐसे थे। जिनमें लड़कों की उम्र 21 वर्ष से कम थी. इसके अलावा ज्यादातर गरीब परिवार के लोग बेटी को बोझ मानकर कम उम्र में शादी कर देते हैं। उनका ये भी मानना होता है कि जवान होती लड़की भाग सकती है, इसलिए उसकी जल्दी से जल्दी शादी कर दो। इसके अलावा कई मामले ऐसे होते हैं जिनमें कम उम्र में प्रेम प्रसंग के कारण लड़के लड़की शादी के लिए परिवार पर दबाव बनाते हैं और परिजनों को मजबूरी में शादी करनी पड़ती है.
क्या है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006: बाल विवाह पर रोक लगाने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई की जाती है. कानून के तहत बाल विवाह करने पर जुर्माने और कड़ी सजा का प्रावधान है. केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर बालिकाओं की भी विवाह की उम्र 21 साल कर दी है हालांकि कानून अभी लागू नहीं हुआ है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत, विवाह के समय लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए. अधिनियम के तहत बाल विवाह करने पर 2 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना हो सकता है. अधिनियम में प्रावधान है कि वर वधु के माता-पिता के अलावा विवाह कराने वाले पंड़ित, बैंडबाजे वाले और विवाह में भाग लेने वाले अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जा सकती है.