सागर। चितौरा डैम पर पानी को लेकर लड़ाई छिड़ती नजर आ रही है. यहां सेना के लगभग 15 जवानों को पानी पर निगरानी रखने के लिए तैनात किया गया है. ये सुरक्षाकर्मी बेबस नदी पर बने राजघाट परियोजना के डैम से चितौरा डैम एनीकट के बीच पानी की सुरक्षा करते हैं. आर्मी ने इस दूरी के बीच जितने भी गांव हैं, उन गांवों के किसानों को इस नदी का पानी लेने से रोक दिया है.
राजघाट डैम से चितौरा डैम एनीकट के बीच 12 किलोमीटर की दूरी है और इस बीच नदी किनारे बसे गांवों के किसान इसी नदी के पानी से खेतों की सिंचाई करते हैं, लेकिन ऐसा करने से अब आर्मी कैंट ने रोक लगा दी है, जिससे किसानों की फसल को पानी नहीं मिल पा रहा है और फसल सूख रही है. पानी की सुरक्षा में आर्मी के जवान चितौरा डैम और आसपास के इलाकों में पेट्रोलिंग करते हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि वे नदी में पंप लगाकर पानी लेते हैं, तो सेना के जवान उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं और उनकी मोटर भी जब्त कर लेते हैं. गांव के किसान कहते हैं कि नदी पानी का एक प्राकृतिक स्रोत है. इसका उपयोग करने से उन्हें क्यों रोका जा रहा है. चितौरा ग्राम पंचायत के सरपंच ब्रिजेंद्र ठाकुर का कहना है कि नदी के पानी पर पहरे के कारण इलाके की लगभग 1500 एकड़ जमीन प्रभावित हो रही है और किसान परेशान हो रहा है.
इस मामले में आर्मी के अधिकारी कहते हैं कि सागर कैंट में सेना के लगभग 8 हजार लोग परिवार समेत रहते हैं. इन लोगों को पानी की सुविधा के लिए सेना ने सागर नगर निगम से 16 लाख गैलन प्रतिदिन पानी देने का अनुबंध किया है. इस टाईअप के मुताबिक जब बेबस नदी पर बने राजघाट डैम से पानी छोड़ा जाता है, तो सेना इस पानी को 12 किलोमीटर दूर बने चितौरा डैम एनीकट पर रोकती है. रोके हुए पानी को फिल्टर किया जाता है और कैंट भेजा जाता है. अधिकारी का साफ तौर पर कहना है कि आर्मी अपने कोटे का पानी बचाने के लिए पेट्रोलिंग करती है.
जिले की नरयावली विधानसभा के विधायक प्रदीप लारिया का कहना है कि वे इस मामले को लेकर प्रशासनिक और सेना के अधिकारियों से बात कर मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे.