सागर। शहर में एक युवाओं की टोली सागर के कोने कोने को अपनी कलाकृतियों से सजा रही हैं. हाथों में पेंट ब्रश थामे ये युवा कोई प्रोफेशनल कलर पेंटर नहीं हैं. न ही इन्हें दीवारों को रंगने का कोई कांट्रेक्ट दिया गया है, लेकिन निःस्वार्थ भाव से अपने शहर को सुंदर और आकर्षक बनाने का काम कर रहे हैं.
इस टोली का नाम है "हम है इंसान". दरअसल शहर के एक स्कूल संचालक शुभम श्रीवास्तव को शहर की पुरानी बदरंग हो चुकी दीवारों को देखकर दुख हुआ. इन्हें देखकर दूसरे शहरों से आने वालों के मन में शहर के लिए नकारात्मक छवि बनती थी. इतने बड़े शहर की दीवारों को सुंदर बनाने के लिए साधन संसाधन नहीं थे, लेकिन शुभम ने "एकला चोलो रे" के सिद्धांत पर शहर के सौंदर्यीकरण का मन बनाया और धीरे-धीरे शुभम के साथ उसके कुछ दोस्त-साथी भी शरीक हो गए. कुछ महीने में ये कारंवा 150 लोगों का हो गया और इन्होंने इस टीम को नाम दिया "हम हैं इंंसान".
करीब तीन से चार माह में इस टीम ने शहर के सैंकड़ों दीवारों को अद्भुत कलाकृतियों से सुंदर बना दिया है. जहां कभी लोग थूक-थूक कर दीवारों को गंदा कर चुके थे. उन दीवारों को देखकर अब वहीं शहरवासी तारीफ करते हैं. शुभम की टीम में स्कूल कॉलेज के छात्र, शिक्षक और अन्य पेशे से जुड़े लोगों का साथ है, जो सप्ताह में एक दिन अपने शहर को देते हैं और एक साथ मिलकर शहर के चौक चौराहों को सुंदर बना रहे हैं.
ये कारवां दिनों दिन बढ़ता जा रहा है और दूसरों के लिए प्रेरणा दे रहा है. खास बात ये है कि ये सबकुछ ये युवा अपने जेब खर्च के पैसों से बिना किसी शासकीय सहायता के ये काम कर रहे हैं.