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Rewa News: सुअर पालकों ने खून से हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा पत्र, मुआवजे की कर रहे मांग

कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर 10 माह से प्रदर्शन पर बैठे सुअर पालकों ने शुक्रवार को खून से हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति व अन्य मंत्रियों के नाम पर कलेक्टर को पत्र सौंपा है. इस दौरान उन्होंने सरकार से सुअरों की मौत पर मुआवजे की मांग की है.

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Published : Aug 11, 2023, 6:59 PM IST

Rewa News
सुअर पालकों ने कलेक्टर को सौंपा पत्र
सुअर पालकों ने खून से हस्ताक्षर कर कलेक्टर को सौंपा पत्र

रीवा। कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर पिछ्ले 310 दिनों से धरने पर बैठे पशु पालकों का शुक्रवार को सब्र का बांध टूट पड़ा. सुअर पालकों ने खून से हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों के नाम कलेक्टर को पत्र सौंप कर अपना विरोध दर्ज कराया. साथ में उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की है. बता दें बीते 10 माह पूर्व अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के चलते हजारों सुअरों को इंजेक्शन देकर मार दिया गया था.

10 माह से धरना स्थल पर बैठे हैं सुअर पालकः दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में बंसल समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर पिछले 10 माह से कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए हैं. लोगों का कहना हैं कि सुअर पालन ही उनकी रोजी रोटी का एक जरिया था. अक्टूबर 2022 में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू नामक एक गंभीर बीमारी फैली और प्रशासन के निर्देश पर बिना इलाज किए ही इंजेक्शन देकर हजारों सुअरों को मार दिया गया, जबकि कई सुअर बीमारी से मर गए. उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की थी, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी.

अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के बाद मारे गए थे कई सुअरः संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह ने बताया कि, ''बसोर समाज का सुअर पालन ही रोजी-रोटी का जरिया था जिन्हें सीएम शिवराज की तानाशाह हुकूमत के नुमाइंदों ने अफ्रीकन स्वाइन फ्लू बीमारी के चलते बिना किसी इलाज के इंजेक्शन देकर मरवाने का काम किया था. सरकार के कानून में मुआवजे का प्रावधान होने के बाद भी अब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया. प्रदर्शनकारियों के पास रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. वह लगातार मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट रीवा के समक्ष 6 अक्टूबर 2022 से डेरा जमाए हुए हैं. उनका कहना है कि भले ही हमें भी कुर्बानी देनी पड़े, लेकिन बिना मुआवजा के यहां से नहीं हटेंगे. क्योंकि उनके पास अब कुछ बचा ही नहीं है वह इस देश का सबसे गरीब तबका है."

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राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा खून से हस्ताक्षरित पत्रः संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह का कहना है कि, ''बसोर समाज संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के तमाम मंत्रियों को इन 10 महीनों में पत्र भेजा, लेकिन सरकर ने हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं किया. आज आधा सैकड़ा से अधिक बंसल समाज के लोगों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकार के मंत्रियों को अपने खून से हस्ताक्षरित पत्र कलेक्टर को सौंपा है." इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि जल्द ही उनकी मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो लगातर वह 2023 और 2024 तक लगतार भाजपा का विरोध करेंगे.

सुअर पालकों ने खून से हस्ताक्षर कर कलेक्टर को सौंपा पत्र

रीवा। कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर पिछ्ले 310 दिनों से धरने पर बैठे पशु पालकों का शुक्रवार को सब्र का बांध टूट पड़ा. सुअर पालकों ने खून से हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों के नाम कलेक्टर को पत्र सौंप कर अपना विरोध दर्ज कराया. साथ में उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की है. बता दें बीते 10 माह पूर्व अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के चलते हजारों सुअरों को इंजेक्शन देकर मार दिया गया था.

10 माह से धरना स्थल पर बैठे हैं सुअर पालकः दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में बंसल समाज के लोग अपनी मांगों को लेकर पिछले 10 माह से कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए हैं. लोगों का कहना हैं कि सुअर पालन ही उनकी रोजी रोटी का एक जरिया था. अक्टूबर 2022 में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू नामक एक गंभीर बीमारी फैली और प्रशासन के निर्देश पर बिना इलाज किए ही इंजेक्शन देकर हजारों सुअरों को मार दिया गया, जबकि कई सुअर बीमारी से मर गए. उन्होंने सरकार से मुआवजे की मांग की थी, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी.

अफ्रीकी स्वाइन फ्लू के बाद मारे गए थे कई सुअरः संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह ने बताया कि, ''बसोर समाज का सुअर पालन ही रोजी-रोटी का जरिया था जिन्हें सीएम शिवराज की तानाशाह हुकूमत के नुमाइंदों ने अफ्रीकन स्वाइन फ्लू बीमारी के चलते बिना किसी इलाज के इंजेक्शन देकर मरवाने का काम किया था. सरकार के कानून में मुआवजे का प्रावधान होने के बाद भी अब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया. प्रदर्शनकारियों के पास रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. वह लगातार मुआवजे की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट रीवा के समक्ष 6 अक्टूबर 2022 से डेरा जमाए हुए हैं. उनका कहना है कि भले ही हमें भी कुर्बानी देनी पड़े, लेकिन बिना मुआवजा के यहां से नहीं हटेंगे. क्योंकि उनके पास अब कुछ बचा ही नहीं है वह इस देश का सबसे गरीब तबका है."

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राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा खून से हस्ताक्षरित पत्रः संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक शिव सिंह का कहना है कि, ''बसोर समाज संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में अपनी मांगों को लेकर केंद्र सरकार के तमाम मंत्रियों को इन 10 महीनों में पत्र भेजा, लेकिन सरकर ने हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं किया. आज आधा सैकड़ा से अधिक बंसल समाज के लोगों में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकार के मंत्रियों को अपने खून से हस्ताक्षरित पत्र कलेक्टर को सौंपा है." इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि जल्द ही उनकी मांगों का निराकरण नहीं हुआ तो लगातर वह 2023 और 2024 तक लगतार भाजपा का विरोध करेंगे.

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