रीवा। जल संसाधन विभाग में पदस्थ 9 अधिकारी कर्मचारियों के काले कारनामें मंगलवार को लोकयुक्त पुलिस की टीम ने उजागर कर दिए हैं. जल संसाधन विभाग में पदस्थ भ्रष्टाचार की सीमा लांघने वालें अफसरों के कारनामे ऐसे थे कि इनके द्वारा पुराने कार्य और जो कार्य हुए ही नहीं उसका भुगतान कराकर तकरीबन 10 करोड़ रुपए का बंदरबांट किया गया था. फर्जी तरीके से राशि का आहरण कर इनके द्वारा शासन को करोड़ों का चूना लगाया गया है. 14 सालों तक चली जांच के बाद लोकयुक्त पुलिस ने जल संसाधन विभाग के 9 अफसरों के विरुद्ध FIR दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है.
जल संसाधन विभाग के 9 अफसरों को बनाया आरोपी गया है
- राममूर्ति गौतम तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधान विभाग रीवा
- एमपी चतुर्वेदी अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग मंडल रीवा
- अजय कुमार आर्य तत्कालीन उपयंत्री जल संसाधान विभाग रीवा
- विनोद ओझा तत्कालीन उपयंत्री एवं अनुविभागीय आधिकारी जल संसाधान विभाग रीवा
- पीके पाण्डे अनुविभागीय आधिकारी जल संसाधान विभाग रीवा
- एस ए करीम तत्कालीन मुख्य अभियंता जल संसाधान विभाग रीवा
- आरपी पाण्डे तत्कालीन उपयंत्री जल संसाधान विभाग रीवा
- भूपेंद्र सिंह तत्कालीन अनुविभागीय आधिकारी जल संसाधान विभाग रीवा संभाग
- ओपी मिश्रा तत्कालीन उपयंत्री जल संसाधान विभाग रीवा
वर्ष 2009 में की गई थी भ्रष्टाचार की शिकायत: वर्ष 2009 में शिकायतकर्ता डॉ. आरबी सिंह राजेश सिंह ने राममूर्ति गौतम तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री जल संसाधान विभाग रीवा व अन्य आठ कर्मचारी व अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त में शिकायत दर्ज करवाई थी. शिकायतकर्ता ने जानकारी देते हुए बताया था कि गुरमा जलाशय के मार्डनाइजेशन वॉटर रिस्टेक्चरिंग में फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है.
ये खबरें भी पढ़ें |
शिकायत के 14 वर्ष बाद पूरी हुई जांच: 14 वर्ष बीत जाने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार की जांच पूरी की. इन अधिकारियों ने शासकीय राशि का गबन किया और शासन को करोड़ों रुपए की चपत लगाई. जलसंसाधन विभाग में पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों ने बांध के नीचे सीपेज डेम, पीचिंग कार्य, मुख्य नहर की सर्विस रोड वितरिका नहर, स्ट्रक्चरो की रिपेयरिंग, लाइनिंग, "निर्धारित स्पेसिफिकेशन में कार्य न कराकर गुणवत्ता विहीन मटेरियल का उपयोग किया, कुछ कार्य कराए बिगैर ही फर्जी तरीके से राशि क्यू भुगतान कराकर शासन के करोड़ों रुपए का बंदरबांट कर लिया.
लोकयुक्त एसपी गोपाल धाकड़ ने बताया की राजेश सिंह और डॉक्टर आरबी सिंह के द्वारा वर्ष 2009 में शिकायत दर्ज कराई गई थी. जलसंसाधन विभाग के अधिकारी कर्मचारीयों के द्वारा कराए गए कार्यों की जांच कराई गई है. कराए गए कार्यों में में घोर अनियमितताएं पाई गई है. प्रारंभिक जांच में जो दस्तावेज प्राप्त हुए हैं उसमें 4 करोड़ रुपए का फ्रॉड निकल कर सामने आया है. आगे की जांच में इस रकम की कीमत बढ़कर 10 करोड़ तक हो सकती है.