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लॉकडाउन में रीवा का अलहदा 'राजसी रंग' - रीवा का राज रंग

राजनीति, राजघराना और व्हाइट टाइगर सफारी के लिए मशहूर एमपी का शहर रीवा. इन दिनों ये शहर अलग ही रंग में रंगा नजर आता है. ये रंग है लॉकडाउन का. इस नए रंग को ईटीवी भारत खास आपके लिए लेकर आया है. इसमें आपको नए और पुराने दोनों ही रंग देखने को मिलेंगे. कल का रीवा आज काफी बदल गया है. यहां के चौक-चौराहे हों या फिर सदियों पुराने मंदिर, राजमहल हो या फिर मॉल, पर्यटन के केंद्र हों या फिर हमेशा गुलजार रहने वाला सिविल लाइन्स. सभी लॉकडाउन की नई रंगत में रंगे पुते हैं. ये रंग है रीवा का 'राजसी रंग'.

rewa in silence due to lockdown
लॉकडाउन में रीवा
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Published : May 3, 2020, 6:49 PM IST

Updated : May 4, 2020, 3:01 PM IST

रीवा। राजनीति, राजघराना और व्हाइट टाइगर सफारी के लिए मशहूर एमपी का शहर रीवा. इन दिनों ये शहर अलग ही रंग में रंगा नजर आता है. ये रंग है लॉकडाउन का. इस नए रंग को ईटीवी भारत खास आपके लिए लेकर आया है. इसमें आपको नए और पुराने दोनों ही रंग देखने को मिलेंगे. कल का रीवा आज काफी बदल गया है. यहां के चौक-चौराहे हों या फिर सदियों पुराने मंदिर, राजमहल हो या फिर मॉल, पर्यटन के केंद्र हों या फिर हमेशा गुलजार रहने वाला सिविल लाइन्स. सभी लॉकडाउन की नई रंगत में रंगे पुते हैं. ये रंग है रीवा का नया 'राजसी रंग'.

अलहदा 'राजसी रंग'

मार्केट में पसरा सन्नाटा
राजनीतिक गहमागहमी के लिए मशहूर रीवा इनदिनों लॉकडाउन पॉलिटिक्स में उलझा है. यहां की गलियां वीरान और सुनसान हैं. बाजार बंद हैं, मठ-मंदिरों और शिवाले भी बेजारी के रंग में डूबे है. राजनीतिक की चर्चाओं पर विराम है. आजकल ना तो यहां सड़कों पर लोग नजर आते हैं, ना ही पर्यटक दिखते हैं. राजनीति की बिसात पर शह मात देने वाले नए-पुराने राजनीतिकारों की हुंकार भी सुनाई नहीं पड़ती. राजघराने भी महलों तक सिमट चुके हैं. विंध्य अंचल की गोद में बसा रीवा इतिहास में कभी इतना शांत नहीं रहा, जितना कोरोना काल में है. यहां का राजघराना हमेशा से देश की राजनीती में अपनी अहम भूमिका निभाता रहा है. यहां के महल कभी सूने नहीं पड़े, लेकिन अब महल में सन्नाटा सा पसरा है. यही है रीवा का नया राज-रंग.

rewa in silence due to lockdown
फिर से गुलजार होगा रीवा

मंदिर, महल हुए मौन
यहां की तंग गालियां हो या फिर बाजार, सब सन्नाटे के राज-रंग में डूबे हैं. रीवा को कोरोना की नजर लगी है. शहर का रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टैंड, विश्व प्रसिद्ध मंदिर ऐसा लगता है जैसे सभी किसी जंग के बाद खामोशी की चादर ओढे बैठे हैं. नेता घरों में दुबके हैं, स्टे-होम, स्टे-सेफ का रट चारो ओर है. शहर का सबसे बड़ा शिल्पी प्लाजा धूल के धूमिल रंग से सना है. भीड़ का आदी सिरमौर चौराहा राजनेताओं की आमद का गवाह था, मगर अब इस पर भी सूनेपन का राजरंग चढ चुका है.

rewa in silence due to lockdown
राजसी रंग

मुकुंदपुर में हर तरफ मौन
रीवा से 15 किलोमीटर दूर दुनिया के पहले व्हाइट टाइगर सफारी में टाइगर तो दहाड़ते हैं मगर उनकी सफेदी को कोई निहारने वाला नहीं. रीवा का सैकड़ों साल पुराना किला देखने लोगों की रेलमपेल होती थी मगर अब यहां भी राज-काज ठप्प है. शहर के घंटाघर स्थित मंदिर से साई बाबा के दर्शन कर लोग अपने काम पर निलकते थे. लेकिन यहां भी वहीं सिर्द खामोशी है. कोरोना संक्रमण काल के बाद फिर जिंदगी नए राजरंग में नजर आएगी. इंतजार भी नई रंगत के साथ जिंदगी की रफ्तार पकड़ने का है. फिलहाल रीवा के इस नए-नवेले राजसी रंग का आप भी दीदार करें.

rewa in silence due to lockdown
सन्नाटे में मुकुंदपुर

फिर से गुलजार होगा रीवा
देश विदेश से पर्यटक रीवा स्थित सैकड़ों साल पुराना किला देखने आया करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते वो भी लोगों की नजरों से दूर हैं. शहर के बीच घंटा घर स्थित मंदिर से साईं बाबा के दर्शन कर लोग अपने काम पर निलकते थे. लेकिन यहां की स्थिति भी अब पहले से बिल्कुल अलग है. लॉकडाउन के एक महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद लोग आशा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के बाद एक बार फिर से जिंदगी अपनी रफ्तार पकड़ेगी और फिर से एक बार मंदिरों और बाजार सहित सड़कों पर लोग नजर आएंगे और रीवा पहले जैसै गुलजार हो जाएगा.

रीवा। राजनीति, राजघराना और व्हाइट टाइगर सफारी के लिए मशहूर एमपी का शहर रीवा. इन दिनों ये शहर अलग ही रंग में रंगा नजर आता है. ये रंग है लॉकडाउन का. इस नए रंग को ईटीवी भारत खास आपके लिए लेकर आया है. इसमें आपको नए और पुराने दोनों ही रंग देखने को मिलेंगे. कल का रीवा आज काफी बदल गया है. यहां के चौक-चौराहे हों या फिर सदियों पुराने मंदिर, राजमहल हो या फिर मॉल, पर्यटन के केंद्र हों या फिर हमेशा गुलजार रहने वाला सिविल लाइन्स. सभी लॉकडाउन की नई रंगत में रंगे पुते हैं. ये रंग है रीवा का नया 'राजसी रंग'.

अलहदा 'राजसी रंग'

मार्केट में पसरा सन्नाटा
राजनीतिक गहमागहमी के लिए मशहूर रीवा इनदिनों लॉकडाउन पॉलिटिक्स में उलझा है. यहां की गलियां वीरान और सुनसान हैं. बाजार बंद हैं, मठ-मंदिरों और शिवाले भी बेजारी के रंग में डूबे है. राजनीतिक की चर्चाओं पर विराम है. आजकल ना तो यहां सड़कों पर लोग नजर आते हैं, ना ही पर्यटक दिखते हैं. राजनीति की बिसात पर शह मात देने वाले नए-पुराने राजनीतिकारों की हुंकार भी सुनाई नहीं पड़ती. राजघराने भी महलों तक सिमट चुके हैं. विंध्य अंचल की गोद में बसा रीवा इतिहास में कभी इतना शांत नहीं रहा, जितना कोरोना काल में है. यहां का राजघराना हमेशा से देश की राजनीती में अपनी अहम भूमिका निभाता रहा है. यहां के महल कभी सूने नहीं पड़े, लेकिन अब महल में सन्नाटा सा पसरा है. यही है रीवा का नया राज-रंग.

rewa in silence due to lockdown
फिर से गुलजार होगा रीवा

मंदिर, महल हुए मौन
यहां की तंग गालियां हो या फिर बाजार, सब सन्नाटे के राज-रंग में डूबे हैं. रीवा को कोरोना की नजर लगी है. शहर का रेलवे स्टेशन हो या फिर बस स्टैंड, विश्व प्रसिद्ध मंदिर ऐसा लगता है जैसे सभी किसी जंग के बाद खामोशी की चादर ओढे बैठे हैं. नेता घरों में दुबके हैं, स्टे-होम, स्टे-सेफ का रट चारो ओर है. शहर का सबसे बड़ा शिल्पी प्लाजा धूल के धूमिल रंग से सना है. भीड़ का आदी सिरमौर चौराहा राजनेताओं की आमद का गवाह था, मगर अब इस पर भी सूनेपन का राजरंग चढ चुका है.

rewa in silence due to lockdown
राजसी रंग

मुकुंदपुर में हर तरफ मौन
रीवा से 15 किलोमीटर दूर दुनिया के पहले व्हाइट टाइगर सफारी में टाइगर तो दहाड़ते हैं मगर उनकी सफेदी को कोई निहारने वाला नहीं. रीवा का सैकड़ों साल पुराना किला देखने लोगों की रेलमपेल होती थी मगर अब यहां भी राज-काज ठप्प है. शहर के घंटाघर स्थित मंदिर से साई बाबा के दर्शन कर लोग अपने काम पर निलकते थे. लेकिन यहां भी वहीं सिर्द खामोशी है. कोरोना संक्रमण काल के बाद फिर जिंदगी नए राजरंग में नजर आएगी. इंतजार भी नई रंगत के साथ जिंदगी की रफ्तार पकड़ने का है. फिलहाल रीवा के इस नए-नवेले राजसी रंग का आप भी दीदार करें.

rewa in silence due to lockdown
सन्नाटे में मुकुंदपुर

फिर से गुलजार होगा रीवा
देश विदेश से पर्यटक रीवा स्थित सैकड़ों साल पुराना किला देखने आया करते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते वो भी लोगों की नजरों से दूर हैं. शहर के बीच घंटा घर स्थित मंदिर से साईं बाबा के दर्शन कर लोग अपने काम पर निलकते थे. लेकिन यहां की स्थिति भी अब पहले से बिल्कुल अलग है. लॉकडाउन के एक महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद लोग आशा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के बाद एक बार फिर से जिंदगी अपनी रफ्तार पकड़ेगी और फिर से एक बार मंदिरों और बाजार सहित सड़कों पर लोग नजर आएंगे और रीवा पहले जैसै गुलजार हो जाएगा.

Last Updated : May 4, 2020, 3:01 PM IST
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