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रेडक्रॉस ने पेट्रोल पंप के संचालकों को बसों में डीजल भरने से किया माना, मजदूर होते रहे परेशान - Petrol not filled in workers' buses

प्रवासी मजदूरों से भरी बसों में डीजल डालने से पेट्रोल पंप संचालक ने मना कर दिया. जिसके चलते बसों में सवार मजदूरों को घंटो धूप में परेशान होना पड़ा.

Petrol pump operators refuse to fill petrol in bus in rewa
रेड क्रॉस ने पेट्रोल पंप संचालक को बसों में डीजल भरने से किया माना, मजदूर होते रहे परेशान
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Published : May 15, 2020, 12:53 AM IST

रीवा। शहर में स्थित गुप्ता पेट्रोल पंप में डीजल लेने को लेकर तकरीबन 3 घंटे तक बसों की लंबी लाइन लगी रही, इसके बाद भी पेट्रोल पंप संचालक बसों में डीजल डालने को तैयार नहीं हुए. जिसके कारण बसों में बैठे प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग कोनों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को जहां लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अब प्रशासन भी लापरवाही बरतते हुए नजर आ रही हैं. रीवा के एक पेट्रोल पंप में प्रशासन की ऐसी ही लापरवाही देखने को मिली जहां तपती धूप में मजदूर बसों के भीतर ठूंसे रहे और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और 3 घंटे तक लगातार मजदूर परेशान रहे.

दरअसल रेडक्रॉस के द्वारा प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाली बसों के लिए शहर का मुख्य गुप्ता पेट्रोल पंप चिन्हित किया गया था, लेकिन प्रशासन और पेट्रोल पंप संचालक के बीच लेनदेन को लेकर बात अटक गई और जिसके बाद प्रशासन ने खुद ही पेट्रोल पंप संचालक को बसों में डीजल देने के लिए मना कर दिया. जिसके बाद बेबस मजदूर परेशान होते रहे, वहीं इस मामले में पेट्रोल पंप संचालक का कहना है कि आपसी लेन-देन को लेकर रेडक्रॉस ने ही उन्हें डीजल देने से मना किया था. जिसके कारण उन्होंने 3 घंटे तक बसों को कतार में खड़े रखा और बाद में जब मीडिया का हस्तक्षेप हुआ तो रेडक्रॉस ने स्वयं पेट्रोल पंप संचालक को बसों में डीजल डालने को कह दिया.

हालांकि मामले को लेकर अब भी प्रशासनिक अमला कुछ भी कहने से बचता नजर आ रहा है, और लेन-देन की बात को झूठलाने का प्रयास किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप संचालक और प्रशासन के बीच 40 लाख का लेनदेन अभी बाकी है जिसके चलते मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

रीवा। शहर में स्थित गुप्ता पेट्रोल पंप में डीजल लेने को लेकर तकरीबन 3 घंटे तक बसों की लंबी लाइन लगी रही, इसके बाद भी पेट्रोल पंप संचालक बसों में डीजल डालने को तैयार नहीं हुए. जिसके कारण बसों में बैठे प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग कोनों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को जहां लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अब प्रशासन भी लापरवाही बरतते हुए नजर आ रही हैं. रीवा के एक पेट्रोल पंप में प्रशासन की ऐसी ही लापरवाही देखने को मिली जहां तपती धूप में मजदूर बसों के भीतर ठूंसे रहे और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और 3 घंटे तक लगातार मजदूर परेशान रहे.

दरअसल रेडक्रॉस के द्वारा प्रवासी मजदूरों को ले जाने वाली बसों के लिए शहर का मुख्य गुप्ता पेट्रोल पंप चिन्हित किया गया था, लेकिन प्रशासन और पेट्रोल पंप संचालक के बीच लेनदेन को लेकर बात अटक गई और जिसके बाद प्रशासन ने खुद ही पेट्रोल पंप संचालक को बसों में डीजल देने के लिए मना कर दिया. जिसके बाद बेबस मजदूर परेशान होते रहे, वहीं इस मामले में पेट्रोल पंप संचालक का कहना है कि आपसी लेन-देन को लेकर रेडक्रॉस ने ही उन्हें डीजल देने से मना किया था. जिसके कारण उन्होंने 3 घंटे तक बसों को कतार में खड़े रखा और बाद में जब मीडिया का हस्तक्षेप हुआ तो रेडक्रॉस ने स्वयं पेट्रोल पंप संचालक को बसों में डीजल डालने को कह दिया.

हालांकि मामले को लेकर अब भी प्रशासनिक अमला कुछ भी कहने से बचता नजर आ रहा है, और लेन-देन की बात को झूठलाने का प्रयास किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि पेट्रोल पंप संचालक और प्रशासन के बीच 40 लाख का लेनदेन अभी बाकी है जिसके चलते मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

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