रीवा। देश की खातिर अपनी जान न्योछावर करने वाले शहीद दीपक सिंह (Martyr Deepak Singh) को वीर चक्र (Vir Chakra) से सम्मानित किया गया गया है. राष्ट्रपति भवन (President House) में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने वीर वधु रेखा सिंह को ये सम्मान सौंपा है. इस दौरान शहीद दीपक सिंह की वीरगाथा को भी याद किया गया. पिछले साल चीनी सेना की कायराना हरकत से भारतीय सेना के करीब 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें रीवा जिले के फरेंदा गांव निवासी दीपक सिंह भी चीनी सेना से लोहा लेते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.
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राष्ट्रपति भवन में गूंजी शहीद की गौरव गाथा
राष्ट्रपति भवन में शहीद दीपक सिंह की वीर वधू 'रेखा सिंह' (Vir Vadhu Rekha Singh) को आमंत्रित किया गया, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendr Modi) और रक्षा मंत्री सहित तमाम दिग्गज वहां मौजूद रहे, जब राष्ट्रपति हाथ में वीर चक्र लिए खड़े थे और वीरवधू रेखा सिंह नम आंखों के साथ अपने अमर जवान शहीद पति दीपक सिंह को सम्मानित करने वाले वीर चक्र की ओर बढ़ रही थीं, तब हॉल में बैठे लोगों ने दीपक सिंह की गौरव गाथा (Galwan Valley Violation) को भी सुना.
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President Kovind presents Vir Chakra to Naik Deepak Singh, 16th Battalion, Bihar Regiment (Posthumous). He displayed unmatched professionalism in hostile conditions, unflinching devotion and made supreme sacrifice for the nation. pic.twitter.com/7GkPWPolOT
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— President of India (@rashtrapatibhvn) November 23, 2021
गलवान घाटी में शहीद हुए थे दीपक सिंह
दीपक सिंह बटालियन में नर्सिंग सहायक की ड्यूटी का निर्वाहन कर रहे थे, ऑपरेशन स्नो लैपर्ड के दौरान गलवान घाटी में भिड़ंत होने पर घायलों को उपचार उपलब्ध कराया. जैसे ही दोनों पक्षों के बीच भिड़ंत शुरू हुई और हताहतों की संख्या बढ़ी तो वे अपने घायल सैनिकों को प्राथमिक उपचार प्रदान करते हुए आगे बढ़ने लगे, भिड़ंत में आगे हो रहे पथराव के चलते उनको गंभीर चोटें आईं, इसके बाद भी वो अडिग रहे और निरंतर अपने साथी जवानों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराते रहे. देखते ही देखते दुश्मनों की संख्या भारतीय सैनिकों की टुकड़ी से ज्यादा हो गई. गंभीर जख्मों के बाद भी उन्होंने घायल सैनिकों को चिकित्सा प्रदान करना जारी रखा और कई सैनिकों की जान बचाई. अंत में वो अपनी चोटों के कारण शहीद हो गए. उपचार करके 30 से अधिक सैनिकों की जान बचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो उनके पेशेवर कुशाग्र बुद्धि तथा निष्ठा को प्रदर्शित करता है, नायक दीपक सिंह ने प्रतिकूल हालात में अतुल्यनीय दक्षता, अदम्य समर्पण का प्रदर्शन किया और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया.
शादी के 8 माह बाद ही शहीद हो गए दीपक सिंह
शहीद दीपक सिंह बिहार रेजिमेंट में नर्सिंग असिस्टेंट नायक के पद पर भारत मां की रक्षा में तैनात थे, उनकी शहादत से ठीक 8 महीने पहले ही उनकी शादी हुई थी, पत्नी रेखा सिंह से वो सिर्फ एक बार ही मिल पाए थे. जब वो शादी के बाद पहली बार होली की छुट्टी में घर लौटे थे. उन्होंने अपनी पत्नी के लिए कश्मीरी शॉल और लहंगा लाने का वादा किया था. शहीद होने से ठीक 15 दिन पहले परिवार से फोन पर बात की थी, लेकिन भारत मां की रक्षा करते हुए वह शहीद हो गए और अमर होकर तिरंगे में लिपटकर लौटे. वह अपनी पत्नी से किया वादा पूरा नहीं कर पाये, लेकिन उनके इस बलिदान ने पूरे देश को गौरवान्वित किया. जिसके लिए उनके माता-पिता और उनकी पत्नी रेखा सिंह को शहीद दीपक सिंह पर गर्व है.
23 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे दीपक
दीपक सिंह का जन्म 15 जुलाई 1989 को रीवा जिले के फरेंदा गांव में हुआ था. दीपक के पिता गजराज सिंह किसान हैं. शहीद दीपक सिंह के बड़े भाई प्रकाश सिंह भी भारतीय सेना के जवान हैं, अपने बड़े भाई प्रकाश से प्रेरित होकर स्कूल के समय ही दीपक ने अपना लक्ष्य तय कर लिया था. पढ़ाई के दौरान ही सेना में भर्ती होने की तैयारी शुरू कर दी. अपने सीने में देशभक्ति का जज्बा लिए 23 साल की उम्र में वह वर्ष 2012 में भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट के चिकित्सा कोर में भर्ती हुए और जनवरी 2020 में उनकी पदस्थापना लद्दाख में हो गई, लेकिन 6 महीने बाद लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना की कायराना हरकत के बाद हुए मुठभेड़ में वह शहीद हो गए.