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जर्जर मकानों से खतरे में जान, निगम ने गिराने के लिए दिया नोटिस

रीवा के नगर निगम क्षेत्र के अंदर आधा सैकड़ा जर्जर मकान चिन्हित हैं. जहां पर सैकड़ों लोग रहते हैं अगर ज्यादा बारिश हुई तो इन मकानों को गिरने से कोई नहीं बचा सकता है

जर्जर मकान
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Published : Jul 23, 2019, 11:41 PM IST

रीवा। शहर के आधा सैंकड़ा जर्जर मकानों की हालत यह है कि वे कभी भी गिर सकते हैं. लेकिन इनके मालिक हैं कि जर्जर भवन को गिराने को तैयार ही नहीं हैं. जबकि निगम प्रशासन द्वारा कई बार जर्जर मकान गिराने का नोटिस मालिकों को दिया जा चुका है.


नगर निगम क्षेत्र के अंदर आधा सैकड़ा जर्जर मकान चिन्हित हैं. जहां पर सैकड़ों लोग रहते हैं अगर ज्यादा बारिश हुई तो इन मकानों को धराशायी होने से कोई नहीं बचा सकता है. रीवा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत इन जर्जर मकानों को लेकर निगम ने बारिश से पहले इन मकानों को खाली कराने के आदेश जारी कर दिए थे.

मालिक नहीं गिरा रहे जर्जर मकान


ऐसे मकानों को खाली ना कर वहां कुछ लोगों ने आसपास अपनी दुकानें खोल रखी है. बता दें सबसे ज्यादा जर्जर मकान रीवा शहर के भीतर भीड़ इलाके में है. जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं. अगर बरसात के समय यह मकान गिरे तो आजू-बाजू में बने घर और लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेंगे.जबकि जर्जर मकान को गिराने के लिए नगर निगम सक्षम है लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उसके भी हाथ बंधे हुए हैं. इस मामले को लेकर नगर निगम अधिकारी का कहना है कि नोटिस तो कई बार जारी किया जा चुका है लेकिन मालिक खामोश बैठे हैं.

रीवा। शहर के आधा सैंकड़ा जर्जर मकानों की हालत यह है कि वे कभी भी गिर सकते हैं. लेकिन इनके मालिक हैं कि जर्जर भवन को गिराने को तैयार ही नहीं हैं. जबकि निगम प्रशासन द्वारा कई बार जर्जर मकान गिराने का नोटिस मालिकों को दिया जा चुका है.


नगर निगम क्षेत्र के अंदर आधा सैकड़ा जर्जर मकान चिन्हित हैं. जहां पर सैकड़ों लोग रहते हैं अगर ज्यादा बारिश हुई तो इन मकानों को धराशायी होने से कोई नहीं बचा सकता है. रीवा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत इन जर्जर मकानों को लेकर निगम ने बारिश से पहले इन मकानों को खाली कराने के आदेश जारी कर दिए थे.

मालिक नहीं गिरा रहे जर्जर मकान


ऐसे मकानों को खाली ना कर वहां कुछ लोगों ने आसपास अपनी दुकानें खोल रखी है. बता दें सबसे ज्यादा जर्जर मकान रीवा शहर के भीतर भीड़ इलाके में है. जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं. अगर बरसात के समय यह मकान गिरे तो आजू-बाजू में बने घर और लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेंगे.जबकि जर्जर मकान को गिराने के लिए नगर निगम सक्षम है लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उसके भी हाथ बंधे हुए हैं. इस मामले को लेकर नगर निगम अधिकारी का कहना है कि नोटिस तो कई बार जारी किया जा चुका है लेकिन मालिक खामोश बैठे हैं.

Intro:रीवा शहर में हल्की सी बारिश होने के बाद अब तक कई जर्जर भवन के दशक ने के समाचार सुर्खियां बन चुके हैं चाहे वह बाणसागर भवन गिरने की बात हो या फिर रेवांचल बस स्टैंड के पास दुकानों की बात हो। इसके अलावा भी शहर के अंदर आधा सैकड़ा से अधिक जर्जर मकान है जो बरसात के समय कभी भी धराशाई हो सकते हैं लेकिन मालिक है कि इन जर्जर भवन गिराने को तैयार नहीं है। जबकि नगर निगम प्रशासन का कहना है कि उनके द्वारा जर्जर मकान गिराने का नोटिस मालिकों को दिया जा चुका है। नगर निगम क्षेत्र के अंदर आधा सैकड़ा जर्जर मकान चिन्हित हैं जहां पर सैकड़ों लोग रहते हैं अगर ज्यादा बारिश हुई तो इन मकानों को धराशाई होने से कोई नहीं बचा सकता।




Body:रीवा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत इन जर्जर मकानों को लेकर नगर निगम ने बरसात के समय से पहले इन मकानों को खाली कराने के आदेश जारी कर दिए थे लेकिन ऐसे मकानों को खाली ना करके वहां और कुछ लोगों ने आसपास अपनी दुकानें खोल ली। बता दे कि सबसे ज्यादा जर्जर मकान रीवा शहर के भीतर भीड़-भाड़ इलाके में है जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं अगर बरसात के समय यह मकान गिरे तो अगल बगल मैं बने घर और लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेंगे।


जबकि जर्जर मकान को गिराने के लिए नगर निगम सक्षम है लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उसके भी हाथ बंधे हुए हैं । इस मामले को लेकर नगर निगम अधिकारी का कहना है कि नोटिस तो कई बार जारी किया जा चुका है लेकिन मालिक खामोश बैठे हैं रीवा शहर को हर वर्ष बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है जिसके कारण यहां अक्सर घरों में पानी भर जाता है शहर में बाढ़ के चलते घरों में 2 से 4 दिनों तक पानी भरा रहता है जिसके चलते नए मकान भी खतरे में हैं अगर जर्जर मकानों में सतर्कता नहीं बरती गई तो काफी जन हानि हो सकती है।

नगर निगम सर्वे के मुताबिक जहां रीवा में आधा सैकड़ा जर्जर मकान है वही आम जनता के निगाहे में 200 से ढाई सौ मकान ऐसे हैं जो बरसात के समय कभी भी धराशाई हो सकते हैं लेकिन इन पर नगर निगम के अधिकारियों की निगाह नहीं पड़ी जबकि नगर निगम का अमला पूरे दिन यही सर्वे करते घूमता रहता है कि कहीं कोई भविष्य में अनहोनी हो तो उससे बचने का प्रयास किया जाए।

गौरतलब है कि नगर निगम के कर्मचारी सर्वे करके अधिकारियों तक पहुंचा देते हैं लेकिन अधिकारी कमला इन बाद को अमल करने के बजाय उसे दबाने में लगे रहते हैं लेकिन जैसे ही कोई अनहोनी होने लगती है तो उसे फौरन अमल में लेने लगते हैं शहर के बीच जो पुराना शहर था वहां अधिक जर्जर मकान है साथ ही नगर निगम के सामने बनी एक बिल्डिंग भी जर्जर है जिसे आज तक नगर निगम की नोटिस का असर तक नहीं हुआ जिसमें लोग भी रहते हैं साथ में नीचे दुकानें भी संचालित होती हैं साथ ही बिछिया, गुड़ाई बाजार पुराना बस स्टैंड सिटी कोतवाली क्षेत्र के सामने बिल्डिंग को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इस बरसात में धराशाई हो जाएगी लेकिन उस बिल्डिंग में अभी भी दुकानें संचालित हैं।

साथ ही नगर निगम अहित सभाजीत यादव का कहना है कि जो शहर में जर्जर मकान है उन्हें गिराने का नोटिस जारी कर दिया गया लेकिन कुछ निजी मकान ऐसे हैं जहां लोग निवास करते हैं लेकिन उन्हें जर्जर मकानों की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता क्योंकि वह ऐसे कच्चे मकान है जो मिट्टी या पन्नी खप्पर से छाए हुए हैं अगर ऐसे मकानों को और जर्जर बताकर तोड़ दिया जाएगा तो वह गरीब लोग परेशान हो जाएंगे लेकिन जो भी ऐसे पक्के और जर्जर मकान हैं जिनके गिरने से अनहोनी हो सकती है उन्हें खाली कराने व गिराने के नोटिस जारी कर दिए गए हैं और जल्द से जल्द नगर निगम का अमला इस पर अमल भी करेगा।


Conclusion:रीवा शहर में जर्जर मकानों की हालात देखते ही बनती है वह इस बात को शासन और प्रशासन भली-भांति जानता है कि रीवा शहर का कुछ क्षेत्र बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आता है वही उन क्षेत्रों में जर्जर मकान होना एक बड़ी अनहोनी को संदेशा भी देता है। वैसे तो नगर निगम के कहे अनुसार नोटिस जारी कर दिया गया है अब देखने वाली बात यह है कि घनघोर बारिश के पहले इस पर कितनी सख्ती बरती जाती है।

बाइट- सभाजीत यादव, नगर निगम आयुक्त, रीवा।
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