ETV Bharat / state

रीवा: स्कूल के कमरों में रख दी गई हैं साईकिलें, बरामदे में पढ़ने को मजबूर छात्र - स्कूल

रीवा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय घोघर में बच्चों को स्कूल में बैठने को जगह नहीं है, बरामदे में लगती हैं क्लासेस.

2
author img

By

Published : Feb 8, 2019, 11:20 PM IST

रीवा। सरकार अच्छी शिक्षा व्यवस्था के कितने ही दावे कर ले लेकिन, आए दिन सरकार के झूठे वादों की पोल खुलती रहती है. ताजा मामला है जिले के शासकीय माध्यमिक विद्यालय घोघर का, जहां छात्र बैठने के लिए जगह खोजते नजर आते हैं. यहां टेबल तो बहुत दूर की बात है बच्चों को स्कूल के कमरे तक मयस्सर नहीं है. इस स्कूल की कक्षाएं बरामदे में लगाई जाती हैं.


दरअसल, जिला शिक्षा विभाग के द्वारा बच्चों को प्रदान की जाने वाली साईकिल विद्यालय परिसर में नहीं बल्कि बच्चों की क्लास में भी बनाई जाती हैं. इसके कारण बच्चों का पढ़ाई में नुकसान तो ही रहा है वहीं हर कदम पर खतरा भी बना रहता है. आलम यह है कि परिसर में खेलना तो दूर की बात है बच्चे इसमें बैठने तक को तरस रहे हैं. छात्रों का कहना है कि कक्षा में जगह नहीं होने के कारण यहां बाहर हॉल में बैठना पड़ता है. वहीं खेलने के लिए पास के ग्राउंड में जाना पड़ता है क्योंकि यहां डर लगता है कि कहीं पैरों पर कील न लग जाए.

undefined
1
undefined


वहीं पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अमरनाथ सिंह का कहना है कि साईकिल बनाने का काम हमारे द्वारा दिया गया है लेकिन, बच्चों को किस प्रकार की समस्या आ रही है इसकी जानकारी हमें किसी प्रकार से नहीं मिली है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वहां केवल पार्ट असेंबल कराने का कार्य करवाया जा रहा है, जो विभाग को देना होता है. उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों को शिक्षा देना है. अब देखना यह होगा कि इन बच्चों को स्कूल में के कमरों पढ़ना कब नसीब होगा.

रीवा। सरकार अच्छी शिक्षा व्यवस्था के कितने ही दावे कर ले लेकिन, आए दिन सरकार के झूठे वादों की पोल खुलती रहती है. ताजा मामला है जिले के शासकीय माध्यमिक विद्यालय घोघर का, जहां छात्र बैठने के लिए जगह खोजते नजर आते हैं. यहां टेबल तो बहुत दूर की बात है बच्चों को स्कूल के कमरे तक मयस्सर नहीं है. इस स्कूल की कक्षाएं बरामदे में लगाई जाती हैं.


दरअसल, जिला शिक्षा विभाग के द्वारा बच्चों को प्रदान की जाने वाली साईकिल विद्यालय परिसर में नहीं बल्कि बच्चों की क्लास में भी बनाई जाती हैं. इसके कारण बच्चों का पढ़ाई में नुकसान तो ही रहा है वहीं हर कदम पर खतरा भी बना रहता है. आलम यह है कि परिसर में खेलना तो दूर की बात है बच्चे इसमें बैठने तक को तरस रहे हैं. छात्रों का कहना है कि कक्षा में जगह नहीं होने के कारण यहां बाहर हॉल में बैठना पड़ता है. वहीं खेलने के लिए पास के ग्राउंड में जाना पड़ता है क्योंकि यहां डर लगता है कि कहीं पैरों पर कील न लग जाए.

undefined
1
undefined


वहीं पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अमरनाथ सिंह का कहना है कि साईकिल बनाने का काम हमारे द्वारा दिया गया है लेकिन, बच्चों को किस प्रकार की समस्या आ रही है इसकी जानकारी हमें किसी प्रकार से नहीं मिली है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वहां केवल पार्ट असेंबल कराने का कार्य करवाया जा रहा है, जो विभाग को देना होता है. उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों को शिक्षा देना है. अब देखना यह होगा कि इन बच्चों को स्कूल में के कमरों पढ़ना कब नसीब होगा.

Intro:एंकर- जहां एक और सरकार अच्छी शिक्षा और व्यवस्था की बात करता है वहीं रीवा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय को घोघर में सभी सुविधा होने के बाद  भी बच्चे बरांडे में बैठने  को मजबूर है। क्योंकि सरकार के द्वारा दी जाने वाली साइकिलें का यहां अंबार लगा हुआ है।  चाहे कक्षा हो या स्कूल का ग्राउंड सभी जगह साइकिल और साइकिल के पार्ट्स पड़े रहते हैं यही नहीं यह सब स्थानीय शिक्षा विभाग की देखरेख में हो रहा है।





Body:वियो-  रीवा के घोघारी स्थित शासकीय माध्यमिक विद्यालय इस समय प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार झेल रहा है।  यहां पढ़ने वाला छात्र जिला शिक्षा विभाग की लापरवाही यों का शिकार बन रहा है। क्योंकि जिला शिक्षा विभाग के द्वारा बच्चों को प्रदान की जाने वाली साइकिल विद्यालय परिसर नहीं बल्कि बच्चों की क्लास में भी बनाई जाती हैं।  जिसके कारण बच्चों का पढ़ाई में नुकसान तो हो रहा है वही हर कदम पर खतरा भी मन रहा था दिखाई दे रहा है ना बच्चे स्कूल में अच्छे से खेल पाते हैं और ना ही सुविधाओं के साथ पढ़ रहे हैं। प्रशासन के इस कड़वे रवैया के कारण छात्र स्कूल के हॉल में बैठने को मजबूर है। जिसको लेकर स्कूली छात्रों का कहना है कि कक्षा में जगह नहीं होने के कारण यहां बाहर हॉल में बैठना पड़ता है वहीं बाजू से गंदगी की बदबू भी आती रहती है  वहीं  स्कूल परिसर में साईकिल बनने से खेलने कूदने के लिए पास के ग्राउंड में जाना पड़ता है क्योंकि यहां डर लगता है कि कहीं पैरों पर कीले न लग जाए।  वही स्कूल प्रशासन इन सब बातों को लेकर नया ही ध्यान दे रहा है और ना ही कुछ कहने को तैयार होता है। उनका मानना है कि हमारा काम केवल बच्चों को शिक्षा देना है व्यवस्था देना नहीं। व्यवस्था देने का काम जिला शिक्षा विभाग का होता है।


वह इस पूरे मामले को लेकर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारी अमरनाथ सिंह ने बताया कि बच्चों को बाहर बैठा ने की हमारी कोई मंशा नहीं है लेकिन साइकिल बनाने का काम हमारे द्वारा तो दिया गया है बच्चों को किस प्रकार की समस्या आ रही है उसकी जानकारी हमें किसी प्रकार से नहीं मिली है। वही जब उनसे पूछा गया कि स्कूल  भवन में साइकिल बनवाने का काम क्यों करवाया जा रहा है जवाब पर उन्हें कहा कि वहां केवल पार्ट  असेंबल  कराने का कार्य करवाया जा रहा है। जो विभाग को देना होता है। वहीं उन्होंने कहा कि  हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों को शिक्षा देना है।




Conclusion:...
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.