रीवा। इसी वर्ष 2023 के अंत तक यानी की नवंबर व दिसंबर माह में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है. ऐसे में ईटीवी भारत देश और प्रदेश भर में अपने पाठकों के लिए एक खास रिपोर्ट तैयार कर रहा है. जिसमें एमपी के सभी 230 विधानसभा सीटों का विश्लेषण कर एक-एक कर सभी सीटों को स्कैन किया जाएगा. इसमें बताया जाएगा की किस विधानसभा क्षेत्र में मौजूदा विधायक द्वारा क्षेत्र में क्या-क्या कार्य कराए गए हैं या फिर 'नेताजी' के चुनावी वादे सिर्फ उनके भाषणों तक ही सीमित रह गए.
प्रदेश की सबसे चर्चित सीट रीवा विधनसभा: समूचे मध्यप्रदेश में रीवा एक ऐसी विधानसभा सीट है. जिस पर अक्सर ही लोगों की नजरे टिकी रहती हैं, वो इसलिए क्योंकि कभी समूचा विंध्य क्षेत्र एक राज्य कहलाता था और रीवा विंध्य क्षेत्र की राजधानी हुआ करता था, लेकिन 1956 में विंध्य प्रदेश का विलय मध्यप्रदेश में कर दिया गया. जिसके बाद से अब तक रीवा विधानसभा हाई प्रोफाइल सीट बनी हुई है. यहां की राजनीति पूरे प्रदेश में एक अलग ही पहचान रखती है. विंध्य प्रदेश की राजधानी रही रीवा में 8 विधानसभा क्षेत्र है. साथ ही वर्तमान समय में इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी का ही कब्जा है. अगर रीवा विधानसभा क्षेत्र के सीट की बात की जाए तो यहां पर पिछले 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राजेंद्र शुक्ला विधायक की कुर्सी पर काबिज हैं. हर बार के चुनावों में राजेन्द्र शुक्ला विकास कार्यों को ही मुख्य मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में जनता के बीच उतरते हैं और जीत का ताज अपने सिर पर रख लेते हैं.
आंकड़ों में रीवा विधानसभा क्षेत्र: हालांकि रीवा शहर ने विकास के पंख लगाकर उड़ान भरी, ऐसे में शहरी इलाके में वृद्धि तो हो रही है. समय के साथ-साथ शहर का क्षेत्र बढ़ रहा है. यहां की आबादी भी चरम पर है, जिसके कारण यहां के विधायक द्वारा लगातार विकास को गति दी जा रही है. जिससे आज की तारीख में रीवा को एक नया एयरपोर्ट भी मिला है. जो शायद विंध्य क्षेत्र के लोगों के लिए अलग ही उपलब्धि मानी जायेगी. रीवा विधानसभा क्षेत्र सतना जिले के अमरपाटन विधानसभा व रीवा जिले की सेमरिया और गुढ़ विधानसभा से जुड़ी हुई है. इसका आशय है की शहर का व्यापक विस्तार भी हुआ है. यहां पर अब तकरीबन 3 लाख 10 हजार मतदाता निवास कर रहे हैं, जो हर चुनावों में वोट करते हैं.
इस सीट पर 2003 से पहले था कांग्रेस का कब्जा: रीवा विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो साल 2003 के पहले तक यहां पर हमेशा ही कांग्रेस का कब्जा रहा है और 2003 चुनाव के पहले यहां पर रीवा के महाराजा पुष्पराज सिंह विधायक रहे हैं. जब उमा भारती के नेतृत्व में पहली बार मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी जिसके बाद यहां की जनता ने राजेंद्र शुक्ला को जिताकर उन्हें विधायक की कुर्सी पर बैठाया. जिसके बाद पिछले 20 वर्षों से अब तक वह विधायक की कुर्सी में काबिज हैं.
व्यापारी वर्ग करता है विधायक की सीट का फैसला: आपको बता दें रीवा में अक्सर ही विधायक की किस्मत का फैसला यहां का व्यापारी वर्ग करता आया है. जिसके कारण वर्ष 2003 में कांग्रेस ने महाराजा पुष्पराज सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था. मगर उमा भारती की लहर होने के चलते कांग्रेस के पुष्पराज सिंह को बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला ने पटखनी दे दी और तब से अब तक वह रीवा के विधायक बने हुए हैं.
2008 में कांग्रेस से इंजीनियर राजेन्द्र शर्मा थे उम्मीदवार: साल 2008 के चुनाव में भी यही हुआ और कांग्रेस ने व्यपारी राजेंद्र शर्मा पर पूरा भरोसा जताया मगर इस चुनाव में तीसरा विकल्प के तौर पर सामने आई बीएसपी, जहां पर बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला का मुकाबला बीएसपी के मुजीब खान से था, जो करीब 26 हजार वोटों से चुनाव हार गए. राजेंद्र शुक्ला ने 2008 के चुनाव में कांग्रेस, सीपीआई और बीएसपी के उम्मीदवारों को शिकस्त दी.
2013 में कांग्रेस से मुजीब खान थे उम्मीदवार: साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और 2008 के बीएसपी कैंडिडेट मुजीब खान को कांग्रेस ने टिकट दे दी. बावजूद इसके इस चुनाव में भी बीएसपी का पलड़ा ही भारी रहा और बीएसपी फिर दूसरे स्थान पर रही. चुनाव में रीवा सीट पर बीजेपी से उमीदवार बनाए गए राजेंद्र शुक्ला ने बीएसपी उम्मीदवार कृष्ण कुमार गुप्ता पर एकतरफा जीत दर्ज करते हुए करीब 37 हजार वोटों से चुनाव जीता था. बीएसपी को बीजेपी से आधे वोट भी हासिल नहीं हो पाए और दोनों दलों के बीच 30 फीसदी वोटों का अंतर रहा. वहींं कांग्रेस 17 फीसदी वोटों के साथ तीसरे पायदान पर रही.
2018 में कांग्रेस की टिकट से अभय मिश्रा हारे थे चुनाव: साल 2018 में एक बार फिर लगा की कांग्रेस दमखम के साथ मैदान में उतर कर जीत हासिल करेगी, क्योंकि इस बार भी कांग्रेस ने पैराशूट लैंडिंग पर ही भरोसा जताया था और बीजेपी से आए अभय मिश्रा को कांग्रेस ने रीवा विधानसभा क्षेत्र की टिकट दे दी, मगर रीवा विधानसभा क्षेत्र में अभय मिश्रा का कोई भी जादू नहीं चल सका व रीवा से 69806 वोट पाकर बीजेपी के राजेंद्र शुक्ला ने तकरीबन 18000 वोटों से कांग्रेस को हरा दिया. इस चुनाव में कांग्रेस को तकरीबन 51717 वोट मिले थे.
रीवा विधानसभा सीट का जातीय समीकरण: अगर वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो रीवा में 59 प्रतिशत सामान्य मतदाता, जिसमें 38 प्रतिशत ब्राह्मण, 10 प्रतिशत राजपूत और 11 प्रतिशत अन्य, 18 प्रतिशत ओबीसी, 11 प्रतिशत अजा एवं 6 प्रतिशत अजजा है. यही मतदाता चुनावी मैदान पर उतरे नेता का भाग्य तय करते है.
जनरल सीट और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है रीवा सीट:
- वर्ष 1998 से अब तक 5 विधानसभा चुनाव हुए.
- वर्ष 1998 में 1394 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी महाराजा पुष्पराज सिंह से चुनाव हारे थे राजेन्द्र शुक्ला.
- वर्ष 2003 में कांग्रेस प्रत्यासी पुष्पराज सिंह को हराकर पहली बार चुनाव जीते थे राजेन्द्र शुक्ला.
- वर्ष 2008 और 2013, में जीत हासिल करने के बाद, राजेंद्र शुक्ला को ऊर्जा खनिज एवम जनसंपर्क मंत्री का मिला था पद.
रीवा विधानसभा क्षेत्र में हुए मुख्य विकास कार्य:
- शहर में सीवर पाइप लाइन का कार्य
- बीहर नदी में इको पार्क व रिवर फ्रंट (निर्माणाधीन)
- शहर भर में कंक्रीट सड़कों का निर्माण कार्य.
- शिक्षा, व चिकित्सकीय सुविधाएं.
- रेलवे ओवर ब्रिज के आलावा दो अन्य ओवर ब्रिज.
- एक अन्य ओवर ब्रिज ( निर्माणाधीन )
- रीवा में हवाई पट्टी के स्थान पर एयर पोर्ट (निर्माणाधीन )
- रतहरा से चोरहटा तक 15 किलोमीटर की मॉडल रोड सहित अन्य कार्य
रीवा विधानसभा सीट में पार्टियों की दावेदारी: 2023 के विधानसभा चुनावों में रीवा विधानसभा सीट की बात की जाए तो मात्र राजेंद्र शुक्ला ही बीजेपी के प्रबल दावेदार हैं. जबकि कांग्रेस की ओर से कई वरिष्ठ नेता टिकट की जुगत में लगे हुए हैं. इस सीट से दावेदारी करने वाली कांग्रेस नेत्री कविता पांडे, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता मुजीब खान भी एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करते हुए दिखाई दे रहे है. अन्य पार्टियों की अगर बात की जाए तो आम आदमी पार्टी से दीपक सिंह अपनी दावेदारी करते दिखाई दे रहे हैं. वहीं बीएसपी और अन्य पार्टियों की बात करें तो इन पार्टियों के द्वारा पिछले चुनाव में उतारे गए गए उम्मीदवारों की जगह दूसरे कैंडिडेट को 2023 के चुनाव में रीवा सीट से चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा सकती है. अब देखना यह होगा की एक बार फिर इस क्षेत्र में विकास की जीत होती है या फिर जनता कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर तीसरा विकल्प चुनने का मन बना रही है.
शहर का विकास ही होगा 2023 विधानसभा चुनाव का मुद्दा: रीवा विधानसभा सीट से लागातार चार बार भाजपा से विधायक रहे राजेंद्र शुक्ला का इस बार भी चुनावी मुद्दा विकास ही होगा. विधायक राजेंद्र शुक्ला का कहना है की चुनाव में पार्टी की ओर से तैयारी की जा रही है. पांचों साल क्षेत्र के विकास और रीवा के लिए क्या बेहतर कार्य किए जा सकते हैं. उसके लिए वह हमेशा जुटे रहते हैं. क्षेत्र के जानता की समस्याओं का समाधान. क्षेत्र का विकास और लोगों से जनसंपर्क करने का काम भी लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है. तेज गति से चल रहे विकास कार्य को लेकर इस बार 2023 के चुनाव में एक बार फिर से वह जानता के बीच जाएंगे. तेज गति से चल रहे विकास कार्यों में और तेज गति से हो और रीवा को सबसे बेहतर जिला बनाने का जो लक्ष्य है वह पूरा हो, इसके लिए एक बार फिर से वह जानता से आशीर्वाद मांगेगे.
सबसे बड़ी सौगात हवाई अड्डा और सोलर पॉवर प्लांट: ईटीवी भारत से बात करते हुए बीजेपी विधायक राजेंद्र शुक्ला ने क्षेत्र में कराए गए विकास कार्य और बड़ी उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया की सबसे बड़ी उपलब्धि तो रीवा में हवाई अड्डे की सौगात है. इसके अलावा सोलर पॉवर प्लांट, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मिल रहे बेहतर इलाज, प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा देने के लिए बीहर नदी के किनारे रिवर फ्रंट के साथ इको पार्क का निमार्ण, बसामन बाबा में 10 हजार गौवंश के लिए वन विहार का निर्माण कार्य किया जा रहा है. वृक्षारोपण कर नगर वन भी तैयार किए गए हैं. साथ ही ओपन जिम और पार्कों का निर्माण भी कराया गया है. जिसके चलते रीवा अब महानगरों की तर्ज में विकसित होता दिखाई दे रहा है.
भाजपा के विकास पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष ने उठाए सवाल: कांग्रेस नेता व जिला अध्यक्ष इंजीनियर राजेन्द्र शर्मा ने विधायक राजेन्द्र शुक्ला के विकास कार्यों को लेकर कई सवाल खडे किए हैं. जिला अध्यक्ष ने कहा की हमने महापौर का चुनाव स्थानीय मुद्दों पर जीता था. शहर के विकास को लेकर भाजपा के द्वारा बड़े-बड़े वादे और दावे किए गए. जिसकी जमीनी हकीकत ठीक उससे विपरीत थी. शहर के एक भी वार्ड को हम सम्पूर्ण विकसित नहीं कह सकते, जहां पेयजल और स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो. बारिश के दौरान वार्डों में जलभराव की स्थिति हो. वर्ष 2003 से यहां पर बीजेपी के MLA है जो की सशक्त मंत्री भी रह चुके हैं. इसके बावजूद विकास के मामले पर रीवा बहुत ही पीछे है. रीवा शहर की कई बेशकीमती जमीने बिल्डर्स को बेच दी गई.
चुनावी मैदान में कांग्रेस के मुद्दे: पुनर्घत्वीकरण का जो स्वरूप पहले था उसे बदल दिया गया. इन सब मुद्दों को लेकर जनता इस पर बहुत ही गंभीरता से विचार कर रही है और आगामी चुनाव में कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर ही चुनावी मैदान पर उतरेगी. रतहरा से चोरहटा तक बन रही मॉडल सड़क का निर्माण कार्य अब तक किया जा रहा है. उस सड़क को बनते हुए तकरीबन 20 वर्ष बीत गए. क्षेत्र में काम तो किया जा रहा है, लेकिन बिना किसी कार्य योजना के सीवर लाइन बिछाने के दौतान शहर की बनी हुई सड़कों को खोद दिया गया. रिवर फ्रंट के नाम पर सैकड़ों करोड़ की जमीनें बिल्डर्स को दे दी गई पर रिवर फ्रंट है कहा उसे उसे तो जनता ढूंढ रही है.