रीवा। लॉकडाउन में फंसे सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने खर्च पर बसों से गुजरात से मध्य प्रदेश की सीमा तक पहुंचे. उसके बाद प्रशासन वहां से बिना किसी खर्च के सुविधा मुहैया कराते हुए शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज ले गई. इसके बाद जिला प्रशासन संभाग के अलग-अलग स्थानों पर रहने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहा है.
संभाग के अलग-अलग क्षेत्रों के रहने वाले करीब सैकड़ों लोग गुजरात के शहरों में रहकर मजदूरी करते थे. देश में फैली महामारी की वजह से लॉकडाउन कर दिया गया और ये मजदूर वहां फंस गए.
कोरोना संकट के कारण इनका वहां गुजर-बसर हो पाना मुश्किल हो गया और सभी ने वहां से पलायन करना उचित समझा. कुछ मजदूर पैदल ही अपनी मंजिल की ओर निकल पड़े तो कुछ मालवाहक वाहन से अपने घर के लिए निकले तो कुछ मजदूरों को अपने मंजिल तक पहुंचने के लिए हजारों रुपए खर्च करने पड़े.
गुजरात के अहमदाबाद, सूरत और कच्छ से सैकड़ों ऐसे प्रवासी मजदूर रीवा पहुंचे, जिनके लिए गुजरात सरकार ने घर भेजने के लिए बस का तो इंतजाम कर दिया. लेकिन उसके लिए मजदूरों को भारी-भरकम रुपए खर्च करने पड़े.
इतना ही नहीं इन सभी प्रवासी मजदूरों से खाने तक के पैसे ले लिए गए. प्रवासी मजदूरों को प्रदेश के बॉर्डर तक पहुंचने के बाद राज्य प्रशासन द्वारा उनके लिए खाने-पीने का इंतजाम किया गया.
बसों के माध्यम से सभी को बिना किसी खर्च के शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज तक पहुंचाया गया. जहां प्रवासियों की थर्मल स्क्रीनिंग के बाद उन्हें भोजन के पैकेट वितरित किए गए.