ETV Bharat / state

मध्यप्रदेश में अब गोद लिए जा सकते हैं शेर-चीता, व्हाइट टाइगर सफारी में मिली मंजूरी

'महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव' टाइगर सफारी में जानवरों के गोद लेने की जू अथॉरटी ने मंजूरी दे दी है. अब यहां पर किसी भी जानवर को गोद लिया जा सकता है.

चीता
author img

By

Published : Sep 15, 2019, 10:29 AM IST

रीवा। दुनिया की इकलौती व्हाइट टाइगर सफारी में जानवरों के गोद लेने की जू अथॉरटी ने मंजूरी दे दी है. 'महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव' टाइगर सफारी में प्रत्येक जानवरों के गोदनामे के वार्षिक, छमाही, तिमाही और मासिक रेट तय गए हैं. जिसमें अब किसी भी जानवर को गोद लिया जा सकता है.

गोद लिए जा सकते हैं शेर-चीता

इसमें शेर और चीते का वार्षिक रेट 4 लाख 14 हजार रूपए रखा गया है. वहीं तेंदुए की वार्षिक रेट 1 लाख 65 हजार 6 सौ रूपए है. जबकि सबसे कम चिंकारा, हॉक डीयर का रेट रखा गया है. लोगों को वन्य प्राणियों से जोड़ने के लिए जू प्रशासन ने यह पहल की है.

शेर
शेर

'व्हाइट टाइगर सफारी'

रीवा मुकुंदपुर स्थित व्हाइट टाइगर सफारी में करीब 640 हेक्टेयर में मांद रिजर्व बनाया गया है. इसमें से 75 हेक्टेयर में चिड़ियाघर और 25 हेक्टेयर में व्हाइट टाइगर सफारी है. इसमें जू एंड रेस्क्यू सेंटर, ब्रीडिंग सेंटर भी बनाए गए हैं. रीवा से लगे सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण तीन अप्रैल 2016 को किया गया. इस सफारी में सफेद बाघों के साथ ही अन्य वन्य प्राणी भी देखने को मिलते हैं. 40 साल के बाद यहां सफेद शेर की वापसी हुई थी.

White Tiger Safari
व्हाइट टाइगर सफारी

रीवा। दुनिया की इकलौती व्हाइट टाइगर सफारी में जानवरों के गोद लेने की जू अथॉरटी ने मंजूरी दे दी है. 'महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव' टाइगर सफारी में प्रत्येक जानवरों के गोदनामे के वार्षिक, छमाही, तिमाही और मासिक रेट तय गए हैं. जिसमें अब किसी भी जानवर को गोद लिया जा सकता है.

गोद लिए जा सकते हैं शेर-चीता

इसमें शेर और चीते का वार्षिक रेट 4 लाख 14 हजार रूपए रखा गया है. वहीं तेंदुए की वार्षिक रेट 1 लाख 65 हजार 6 सौ रूपए है. जबकि सबसे कम चिंकारा, हॉक डीयर का रेट रखा गया है. लोगों को वन्य प्राणियों से जोड़ने के लिए जू प्रशासन ने यह पहल की है.

शेर
शेर

'व्हाइट टाइगर सफारी'

रीवा मुकुंदपुर स्थित व्हाइट टाइगर सफारी में करीब 640 हेक्टेयर में मांद रिजर्व बनाया गया है. इसमें से 75 हेक्टेयर में चिड़ियाघर और 25 हेक्टेयर में व्हाइट टाइगर सफारी है. इसमें जू एंड रेस्क्यू सेंटर, ब्रीडिंग सेंटर भी बनाए गए हैं. रीवा से लगे सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण तीन अप्रैल 2016 को किया गया. इस सफारी में सफेद बाघों के साथ ही अन्य वन्य प्राणी भी देखने को मिलते हैं. 40 साल के बाद यहां सफेद शेर की वापसी हुई थी.

White Tiger Safari
व्हाइट टाइगर सफारी
Intro:आमतौर पर लोग जानवरो को पालते है या उन्हें गोद लेते है लेकिन क्या आप टाइगर सहित अन्य किसी भी वन्य प्राणी को गोद लेना चाहते है यह प्रक्रिया जल्द ही रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव टाइगर सफारी में आप महज 4 लाख रूपए देकर शेर या फिर चीता को गोद ले सकते है।
दुनिया की इकलौती व्हाइट टाइगर सफारी में जानवरो के गोद लेने की जू अथॉरटी ने मंजूरी दे दी है। इसमें प्रत्येक जानवरो के गोदनामे के वार्षिक, छमाही, तिमाही और मासिक रेट तय गए है जीसमे आप किसी भी जानवर को गोद ले सकेगे। जंगल के राजा शेर और चीता का 4 लाख 14 हजार रूपए रखा गया है वाही तेंदुए की वार्षिक रेट 1 लाख 65 हजार 6 सौ रूपए है। जबकि सबसे कम चिंकारा, हॉक डीयर का रेट रखा गया है। मनुष्य को वन्य प्राणियो से जोड़ने के लिए जू प्रशासन ने यह पहल की है।

Body:रीवा मुकुंदपुर स्थित व्हाइट टाइगर सफारी में करीब 640 हेक्टेयर में मांद रिजर्व बनाया गया है। इसमें से 75 हेक्टेयर में चिड़ियाघर और 25 हेक्टेयर में व्हाइट टाइगर सफारी है। इसमें जू एंड रेस्क्यू सेंटर, ब्रीडिंग सेंटर भी बनाए गए हैं। रीवा से लगे सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण तीन अप्रैल 2016 को किया गया। सीएम शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने मुकुंदपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण किया था। इस सफारी में सफेद बाघों के साथ ही अन्य वन्य प्राणी भी देखने को मिलते है। 40 वर्ष के बाद यहां सफेद शेर की वापसी हुई थी। रीवा राजघराने के राजा मार्तंड सिंह को शिकार का बहुत शौक था। सन् 1952 में जब वे शिकार के लिए गए थे तब उन्हें एक सफ़ेद शेर का शावक मिला था जिसका उन्होंने शिकार करने की बजाए इसे पाल लिया था।  उन्होंने इसका नाम मोहन रखा था। इस टाइगर को राजा ने अपने गोविदंगढ़ किले में रखा था। और आज दुनिया में जितने भी सफ़ेद शेर है वो सभी मोहन के वंशज है राजा ने मोहन के साथ महल में एक बाघिन को भी रखा था। इसे राधा नाम दिया गया था। इसके बाद इनके प्रजनन की शुरूआत हुई। अलग-अलग बाघिन से प्रजनन में मोहन ने 34 संतान को जन्म दिया था। इनके कुनबे में 114 बाघ हुए, जो अब तक वर्ल्ड रिकॉर्ड है 1959 में पहली बार कोलकाता के पीके दास ने तीन बाघों को खरीदा था। तब यह मामला देशभर में सुर्खियों में आ गया था। मोहन की मृत्यु 18 दिसंबर 1969 को 19 साल की उम्र में हो गई थी।

बाइट - 01 - संजय रैकेरे डीएफओ - फारेस्ट आफिसर वन विभाग...Conclusion:....
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.