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राज्यपाल के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे, 8 प्रोफेसर्स के प्रमोशन निरस्त करने का मामला

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में 16 साल पहले 13 प्रोफेसरों का प्रमोशन हुआ था. शिकायत के बाद 23 अप्रैल 2019 को राज्यपाल आनंदी बेन बटेल ने ये आदेश निरस्त कर दिए थे. हाईकोर्ट ने राज्यपाल के इस आदेश पर स्टे लगाया है.

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Published : May 17, 2019, 1:50 PM IST

राज्यपाल के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे

रीवा। आज से 16 साल पहले अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में 13 प्रोफेसरों का प्रमोशन किया गया था, लेकिन कुछ सालों बाद इस फैसले की शिकायत राज्यपाल से की गई, जिस पर कार्रवाई करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इन 13 में से 8 प्रोफेसरों के प्रमोशन निरस्त कर दिए थे. इस पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है.

राज्यपाल के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे

मामला 16 साल पहले यानि 2003 में शुरू हुआ था, जब 13 प्रोफेसरों को प्रमोशन दिया गया था, लेकिन इस फैसले की शिकायत राज्यपाल से की गई थी. शिकायत में कहा गया था कि ये प्रमोशन गलत तरीकों से किेए गए हैं. इस शिकायत पर राज्यपाल ने 2019 में फैसला सुनाते हुए 8 प्रोफेसरों के प्रमोशन को निरस्त कर दिया था. 8 इसलिए क्योंकि बाकी के प्रोफेसरों में से कुछ की मौत हो चुकी है, वहीं कुछ रिटायर हो चुके हैं.

ऐसे में ये 8 प्रोफेसर हाईकोर्ट पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी. कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर स्टे लगाते हुए प्रोफेसरों को राहत दी है. बता दें कि कोर्ट जाने वाले प्रोफेसरों में से कुछ ऐसे भी हैं, जो 2-2 बार कुलपति रह चुके हैं.

रीवा। आज से 16 साल पहले अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में 13 प्रोफेसरों का प्रमोशन किया गया था, लेकिन कुछ सालों बाद इस फैसले की शिकायत राज्यपाल से की गई, जिस पर कार्रवाई करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इन 13 में से 8 प्रोफेसरों के प्रमोशन निरस्त कर दिए थे. इस पर हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है.

राज्यपाल के आदेश पर हाईकोर्ट का स्टे

मामला 16 साल पहले यानि 2003 में शुरू हुआ था, जब 13 प्रोफेसरों को प्रमोशन दिया गया था, लेकिन इस फैसले की शिकायत राज्यपाल से की गई थी. शिकायत में कहा गया था कि ये प्रमोशन गलत तरीकों से किेए गए हैं. इस शिकायत पर राज्यपाल ने 2019 में फैसला सुनाते हुए 8 प्रोफेसरों के प्रमोशन को निरस्त कर दिया था. 8 इसलिए क्योंकि बाकी के प्रोफेसरों में से कुछ की मौत हो चुकी है, वहीं कुछ रिटायर हो चुके हैं.

ऐसे में ये 8 प्रोफेसर हाईकोर्ट पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी. कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर स्टे लगाते हुए प्रोफेसरों को राहत दी है. बता दें कि कोर्ट जाने वाले प्रोफेसरों में से कुछ ऐसे भी हैं, जो 2-2 बार कुलपति रह चुके हैं.

Intro:बदल बदलते वक्त के साथ रीवा का अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय अखाड़े में हुआ तब्दील ,राज्यपाल भवन से 16 साल बाद आए एक फैसले ने विश्वविद्यालय में कोहराम मचा दिया फैसले से दो कुल कुलपति सहित कई टीचर आए लपेटे में। राज्यपाल के आदेश को हाईकोर्ट ने किया खारिज।


Body:रीवा का अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय हमेशा की तरह चल रहा था चल रहा है लेकिन अंदर ही अंदर एक ऐसी चिंगारी जल रही थी जिसकी लपट में कई आचार्यों को ले लिया हम बात कर रहे हैं अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के उस फ़ैसले की जिसे 8 अक्टूबर 2003 को लिया गया था उसमें मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अंतर्गत अध्यादेश क्रमांक 4 बी के तहत कुछ उपआचार्यों को आचार्यों बना दिया गए थे इस फैसले के खिलाफ राज्यपाल भवन में शिकायत की गई थी राज्यपाल भवन में विश्वविद्यालय के जिम्मेदार लोगों से जवाब भी मांगा था विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने 10 जनवरी 2007 को अपने फैसले को सही ठहराते हुए उसे निरस्त करने की मांग की थी जिसका पत्र भी राज्यपाल को भेजा गया था कैरियर एंड असमेंट स्कीम के अंतर्गत हुए इस फैसले की आग अंदर ही अंदर जलती रही, 23 अप्रैल 2019 में भड़क उठी यानी पूरे 16 साल बाद में दो पूर्व कुलपति सीडी सिंह और रहस्यमणि मिश्रा सहित आठ आचार्य लपेटे में आ गए ,विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस फैसले में 3 लोगों को बचा लिया इस तरीके का आरोप भी लगाया निश्चित रूप से एक गंभीर सवाल खड़ा होता है, विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ विश्वविद्यालय के आचार्य हाईकोर्ट चले गए वहां पर याचिका खारिज हो गयी, 8 में से 4 लोगों का रिटायरमेंट हो गए है, इस फैसले को लेने में विश्वविद्यालय प्रशासन सहित राज्यपाल भवन को 16 साल लग गए यह हम नहीं कह रहे हैं यह फैसला खुद ही कह रहा है जो आज हुआ है इस बारे में हमने पूर्व कुलपति रहस्यमणि मिश्रा से बातचीत की उनका कहना है अपने तरीके से अपनी बात रखी वहीं इस पूरे फैसले को लेकर काफी आक्रोशित नजर आ रहे हैं पूर्व कुलपति सीडी सिंह ने भी जब इस पर बात की गई उनका कहना है कि हम प्रोफेसर थे प्रोफेसर रहेंगे ,कालेज के संभागीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष महेश शुक्ला ने इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया उनका कहना था विश्वविद्यालय में शिक्षकों को जब भी हमारी जरूरत पड़ेगी हम उनके साथ खड़े नजर आएंगे अब देखना दिलचस्प होगा कि अलादीन के चिराग के किस तरह निकले 16 साल बाद इस फैसले का असर किस तरीके का होता है।

बाइट-02 सीडी सिंह, पूर्व कुलपति व प्रोफेशर
बाइट- 01 रहस्यमणि मिश्रा, पूर्व कुलपति व प्रोफेशर
बाइट- 03 महेश शुक्ला, संभागीय अध्यक्ष, कॉलेज शिक्षक संघ


Conclusion:
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