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मां कालका के दरबार में लग रहा भक्तों का तांता, साढ़े 400 साल पुराना देवी का यह मंदिर

रीवा का ऐसा मंदिर जो साढे़ 400 साल पुराना हैं वही इस मंदिर में ज्योतिष गणना के आधार पर नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है, जहां लोगो कि आस्था देखते ही बनती है.

साढे़ 400 साल पुराना रीवा का मां कालका मंदिर
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Published : Oct 3, 2019, 8:46 AM IST

Updated : Oct 3, 2019, 10:04 AM IST

रीवा। शहर के रानी तालाब मंदिर देवी मंदिर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ता है. माना जाता है कि यह मंदिर करीब साढे़ 400 साल पुराना हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर में ज्योतिष गणना के आधार पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है.

साढ़े 400 साल पुराना देवी का यह मंदि

बता दें कि पहले इस मंदिर का संचालन रीवा राजघराने के द्वारा किया जाता था, लेकिन अब इसका संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाता है. इस सिद्ध पीठ में मां कालिका के नाम से यहां एक विशाल तालाब है जो देवी के रूप में भी जाना जाता है जहां लोग तेल चढ़ाने भी आते हैं.

मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं जो सैकड़ों वर्ष से प्रचलित हैं, बता दें कि करीब साढे 400 साल पहले यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास एक देवी की मूर्ति थी, व्यापारियों ने घने जंगल और रात के समय आराम करने के लिए प्रतिमा को एक नीम के पेड़ में टिका दिया. लेकिन दूसरे दिन जब व्यापारियों ने मूर्ति को उठाना चाहा. तो तमाम कोशिशों के बाद भी मूर्ति नहीं उठी व्यापारी मूर्ति को छोड़ कर आगे बढ़ गए. जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हो गई.

रीवा रियासत के राजा ने कराई थी मंदिर की स्थापना
बघेल साम्राज्य के शासनकाल में रीवा रियासत के प्रथम राजा व्याघ्र देव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई थी. जिसके बाद उन्होंने इस स्थान पर एक चबूतरा बनाकर भव्य मूर्ति की स्थापना की. जिसके बाद यहां नियमित रूप से पूजा पाठ की शुरुआत की थी.

जिले का सबसे चर्चित मंदिर
यही मंदिर रीवा जिले और शहर का सबसे चर्चित और प्रसिद्ध मंदिर है. जहां भक्तों की आस्था देखते ही बनती है. इस मंदिर से लोगों की बहुत आस्था जुड़ी हुई है. जहां सुबह होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ कहीं भी बैठकर ध्यान करें तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं और श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं जहां उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

रीवा। शहर के रानी तालाब मंदिर देवी मंदिर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ता है. माना जाता है कि यह मंदिर करीब साढे़ 400 साल पुराना हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर में ज्योतिष गणना के आधार पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है.

साढ़े 400 साल पुराना देवी का यह मंदि

बता दें कि पहले इस मंदिर का संचालन रीवा राजघराने के द्वारा किया जाता था, लेकिन अब इसका संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाता है. इस सिद्ध पीठ में मां कालिका के नाम से यहां एक विशाल तालाब है जो देवी के रूप में भी जाना जाता है जहां लोग तेल चढ़ाने भी आते हैं.

मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं जो सैकड़ों वर्ष से प्रचलित हैं, बता दें कि करीब साढे 400 साल पहले यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास एक देवी की मूर्ति थी, व्यापारियों ने घने जंगल और रात के समय आराम करने के लिए प्रतिमा को एक नीम के पेड़ में टिका दिया. लेकिन दूसरे दिन जब व्यापारियों ने मूर्ति को उठाना चाहा. तो तमाम कोशिशों के बाद भी मूर्ति नहीं उठी व्यापारी मूर्ति को छोड़ कर आगे बढ़ गए. जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हो गई.

रीवा रियासत के राजा ने कराई थी मंदिर की स्थापना
बघेल साम्राज्य के शासनकाल में रीवा रियासत के प्रथम राजा व्याघ्र देव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई थी. जिसके बाद उन्होंने इस स्थान पर एक चबूतरा बनाकर भव्य मूर्ति की स्थापना की. जिसके बाद यहां नियमित रूप से पूजा पाठ की शुरुआत की थी.

जिले का सबसे चर्चित मंदिर
यही मंदिर रीवा जिले और शहर का सबसे चर्चित और प्रसिद्ध मंदिर है. जहां भक्तों की आस्था देखते ही बनती है. इस मंदिर से लोगों की बहुत आस्था जुड़ी हुई है. जहां सुबह होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ कहीं भी बैठकर ध्यान करें तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं और श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं जहां उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

Intro:रीवा रानी तालाब स्थित मां कालिका देवी के मंदिर में एक बार फिर चैत्र नवरात्र के अवसर पर आस्था विश्वास आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ा है ऐसा माना जाता है कि करीब साढे 400 वर्ष पुराने देवी की मंदिर में 9 दिनों तक सिद्धि के लिए आराधना होती है ऐसे भी मानता है कि ज्योतिष गणना पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है.... वही शारदे नवरात्र में माता के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है भक्त फल फूल माला सिंदूर सहित पूरे मंदिर की रौनक यहां देखते ही बनती है यह मंदिर बहुत पुराना है और रानी तालाब मंदिर के नाम से जाना जाता है जिसका अपना एक इतिहास है...


Body:रानी तालाब मंदिर के प्रति लोगों की बड़ी आस्था है आस्था के केंद्र से मंदिर में स्थापित मां कालिका का अपना अलग-अलग महत्व है पहले इसका संचालन राजघराने द्वारा किया जाता था अब भारत सरकार द्वारा इसका संचालन किया जाता है इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं यहां के इस सिद्ध पीठ मां कालिका का नाम से यहां विशाल रानी तालाब की देवी के रूप में भी जाना जाता है...


रानी तालाब के मेल पर स्थित मां कालका के मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है हवा के झोंकों में लहराता तालाब का पानी मन को शीतल कर देता है तो मां के चरणों में शीश नवाते भक्तों का बेड़ा पार हो जाता है बड़े भू-भाग में फैले इस मंदिर के एक कोने में हरे वृक्ष हैं तो पक्षियों के कलर भी मौजूद हैं तालाब के स्वच्छ जल में जल की रानी मछली का बसेरा है यहां परिसर में शनि भगवान का मंदिर भी है यहां लोग तेल भी चलाते हैं..


मां कालका की स्थापना के रोचक दास्तान है सैकड़ों वर्ष से प्रचलित है कि करीब साढे 400 वर्ष पूर्व यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास या देवी की मूर्ति थी घने जंगल और रात्रि विश्राम के समय व्यापारियों ने मां की प्रतिमा को एक नीम के पेड़ में टिका कर रात्रि विश्राम किया दूसरे दिन इसे उठाना चाहा तो मूर्ति नहीं उठी कई कोशिशों के बाद मूर्ति नहीं उठी तो व्यापारी ने इसे मूर्ति को यहीं छोड़ कर आगे बढ़ गए... ऐसा भी कहा जाता है कि व्यापारियों को जिसने मूर्ति दी थी उसने यह बताया था कि यह मूर्ति एक बार अगर भूमि पर रख दी जाएगी तो वह अपना स्थान वही बना लेगी...


उसके बाद बघेल साम्राज्य के शासनकाल में रीवा रियासत के प्रथम राजा व्याघ्र देव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई तो उन्होंने इस स्थान पर एक चबूतरा बनाकर इस भव्य मूर्ति की स्थापना की नियमित रूप से यहां पूजा पाठ की शुरुआत थी जो सैकड़ों वर्षों से यहां आस्था और भक्ति जारी है..


मंदिर से जुड़ी एक और घटना है कि लगभग 70 से 80 वर्ष पूर्व मंदिर में मां के आभूषण चोरों ने चुरा ले गए थे पर चोर मंदिर के बाहर नहीं जा सके चोरों को दिखाई देना बंद हो गया था सुबह मंदिर के पुजारी पर चोरों का पता चला तब चोरों ने पुजारी से माफी मांगी और चुरा हुए आभूषण वापस लौटा दिए वर्तमान समय में मां के आभूषण को जिला कलेक्ट्रेट के नजारत शाखा में सुरक्षित रखा जाता है नवरात्र और दुर्गा पूजा के समय सुरक्षा गार्ड की देखरेख में मां के स्वर्ण आभूषण से सात सजा होती है... ऐसा बताया जाता है कि या आभूषण रीवा राजघराने के द्वारा माता को भेंट किए गए थे...


सैकड़ों वर्ष पहले तालाब का निर्माण हुआ था यहां पानी की कमी हो गई थी तो लवाना जाति जो घुमक्कड़ प्रजाति के लोग थे उन लोगों ने पानी की कमी को देखते हुए तालाब खुदा था जिसके बाद यहां पर पानी की कमी दूर हुई थी उस वक्त तत्कालीन बघेल साम्राज्य की महारानी कुंदन कुमारी जो जोधपुर घराने की थी रीवा राज्य में ब्याही थी रक्षाबंधन के समय महारानी मां कालका की पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आई हुई थी तो यहां जलाशा देख अति प्रसन्न हुई वह लवाना जाति के लोगों से मिली लाना जाति के लोगों ने महारानी साहब से मांग की कि आज रक्षाबंधन है हमारे हाथ में राखी बांधी जिए इस आग्रह पर जब महारानी ने राखी बांधी तो उन्होंने भेंट स्वरूप या तालाब को महारानी कुंदन कुमारी नाम दे दिया तभी से यह तालाब रानी तालाब के नाम से जाना जाता है...

यह मंदिर शहर का सबसे चर्चित मंदिर है मां कालका की चौखट में भक्तों की आस्था देखते ही बनती है इस मंदिर से लोगों की बहुत आस्था जुड़ी हुई है मां के दरबार में भोर होने से पहले से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है देवी के प्रति महिला श्रद्धालु हो या फिर पुरुष श्रद्धालु सभी में उत्साह बराबर नजर आता है ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ कहीं भी बैठकर ध्यान करें तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है इस मंदिर में श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं और श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी होती है...



byte- श्रद्धालु.
byte- श्रद्धालु.
byte- श्रद्धालु.
byte- पंडित देवी प्रसाद शर्मा, प्रधान पुजारी रानी तलाव मंदिर.


Conclusion:...
Last Updated : Oct 3, 2019, 10:04 AM IST
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