रीवा। शहर के रानी तालाब मंदिर देवी मंदिर में चैत्र नवरात्र के अवसर पर आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ता है. माना जाता है कि यह मंदिर करीब साढे़ 400 साल पुराना हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर में ज्योतिष गणना के आधार पर आधारित इस सिद्ध पीठ में नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है.
बता दें कि पहले इस मंदिर का संचालन रीवा राजघराने के द्वारा किया जाता था, लेकिन अब इसका संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाता है. इस सिद्ध पीठ में मां कालिका के नाम से यहां एक विशाल तालाब है जो देवी के रूप में भी जाना जाता है जहां लोग तेल चढ़ाने भी आते हैं.
मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं जो सैकड़ों वर्ष से प्रचलित हैं, बता दें कि करीब साढे 400 साल पहले यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास एक देवी की मूर्ति थी, व्यापारियों ने घने जंगल और रात के समय आराम करने के लिए प्रतिमा को एक नीम के पेड़ में टिका दिया. लेकिन दूसरे दिन जब व्यापारियों ने मूर्ति को उठाना चाहा. तो तमाम कोशिशों के बाद भी मूर्ति नहीं उठी व्यापारी मूर्ति को छोड़ कर आगे बढ़ गए. जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हो गई.
रीवा रियासत के राजा ने कराई थी मंदिर की स्थापना
बघेल साम्राज्य के शासनकाल में रीवा रियासत के प्रथम राजा व्याघ्र देव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई थी. जिसके बाद उन्होंने इस स्थान पर एक चबूतरा बनाकर भव्य मूर्ति की स्थापना की. जिसके बाद यहां नियमित रूप से पूजा पाठ की शुरुआत की थी.
जिले का सबसे चर्चित मंदिर
यही मंदिर रीवा जिले और शहर का सबसे चर्चित और प्रसिद्ध मंदिर है. जहां भक्तों की आस्था देखते ही बनती है. इस मंदिर से लोगों की बहुत आस्था जुड़ी हुई है. जहां सुबह होते ही मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ कहीं भी बैठकर ध्यान करें तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में श्रद्धालु बहुत दूर-दूर से आते हैं और श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं जहां उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.