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यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी, लाखों रुपये लेकर फरार हुआ आरोपी - रीवा न्यूज

रीवा में शासकीय नौकरी दिलाने का झांसा देकर आरोपियों द्वारा लाखों रुपये ऐंठ लिए गए. करीब 127 युवकों को अलग-अलग यूनिवर्सिटी में विभिन्न पदों पर नियुक्ति कराने का लालच देकर ठग लिया गया.

Awadhesh Singh University
अवधेश सिंह विश्वविद्यालय
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Published : Sep 4, 2020, 8:38 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 11:00 PM IST

रीवा। अवधेश सिंह विश्वविद्यालय में 127 लोगों के साथ ठगी करने का मामला सामने आया है. जहां शासकीय नौकरी दिलाने का झांसा देकर आरोपियों द्वारा लाखों रुपये ऐंठ लिए गए. करीब 127 युवकों को अलग-अलग यूनिवर्सिटी में विभिन्न पदों पर नियुक्ति कराने का लालच देकर ठग लिया गया. जिसके बाद न तो उन्हें नौकरी मिली और न रुपये. जिसके बाद पीड़ित अब पुलिस और विश्वविद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है.

यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय सहित शहडोल के पंडित संभूनाथ विश्वविद्यालय तथा ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, छतरपुर विश्वविद्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर व प्यून अटेंडर, लाइब्रेरियन सहित अन्य दो पदों में नौकरी देने के नाम पर 127 लोगों के साथ धोखाधड़ी कर लाखों रुपये ऐंठे जाने का मामला सामने आया है. ठग गिरोह द्वारा लोगों से लाखों रुपये की रकम ऐंठ लिए गए और फर्जी इंटरव्यू कराने के साथ नियुक्ति लेटर देकर खुद रफू चक्कर हो गए.

पीड़ित अजित सिंह के मुताबिक पिछले साल हुए इंटरव्यू के बाद से अब तक किसी को नौकरी न मिल सकी है. जिसके बाद फर्जी नौकरी प्राप्त करने वाले लोगों ने इसकी शिकायत करने की कोशिश की. लेकिन शिकायत पर भी कुछ न हुआ और फर्जीवाड़ा करने वाले पैसे के दम पर मामले को उलटने में लग गए तथा रीवा में भी व्यापम जैसा एक और घोटाला सामने आ गया.

पीड़ित अजीत सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पहचान के युवक राहुल पटेल व रीवा विश्वविद्यालय में नियुक्त गार्ड विनोद तिवारी ने विश्वविद्यालय में नौकरी लगवाने की बात कही थी. इसके एवज में उन्होंने 12 लाख रुपए लेने के बाद अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रात को इंटरव्यू हुआ और जल्द नियुक्ति कराने की बात कहकर फर्जी नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया गया. उसी की तरह करीब 127 लोग हैं. जिनसे लाखों रुपये लेकर उन्हें नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी न तो उन्हें नौकरी मिल पाई और न ही उसके द्वारा दी गई गई रकम वापस मिल पा रही है.

वहीं पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के कुलपति एनपी पाठक ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय ने कोई भी भर्ती नहीं निकाली थी लेकिन विश्वविद्यालय परिसर व कर्मचारी का नाम सामने आ रहा है. जिस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

रीवा। अवधेश सिंह विश्वविद्यालय में 127 लोगों के साथ ठगी करने का मामला सामने आया है. जहां शासकीय नौकरी दिलाने का झांसा देकर आरोपियों द्वारा लाखों रुपये ऐंठ लिए गए. करीब 127 युवकों को अलग-अलग यूनिवर्सिटी में विभिन्न पदों पर नियुक्ति कराने का लालच देकर ठग लिया गया. जिसके बाद न तो उन्हें नौकरी मिली और न रुपये. जिसके बाद पीड़ित अब पुलिस और विश्वविद्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है.

यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय सहित शहडोल के पंडित संभूनाथ विश्वविद्यालय तथा ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, छतरपुर विश्वविद्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर व प्यून अटेंडर, लाइब्रेरियन सहित अन्य दो पदों में नौकरी देने के नाम पर 127 लोगों के साथ धोखाधड़ी कर लाखों रुपये ऐंठे जाने का मामला सामने आया है. ठग गिरोह द्वारा लोगों से लाखों रुपये की रकम ऐंठ लिए गए और फर्जी इंटरव्यू कराने के साथ नियुक्ति लेटर देकर खुद रफू चक्कर हो गए.

पीड़ित अजित सिंह के मुताबिक पिछले साल हुए इंटरव्यू के बाद से अब तक किसी को नौकरी न मिल सकी है. जिसके बाद फर्जी नौकरी प्राप्त करने वाले लोगों ने इसकी शिकायत करने की कोशिश की. लेकिन शिकायत पर भी कुछ न हुआ और फर्जीवाड़ा करने वाले पैसे के दम पर मामले को उलटने में लग गए तथा रीवा में भी व्यापम जैसा एक और घोटाला सामने आ गया.

पीड़ित अजीत सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पहचान के युवक राहुल पटेल व रीवा विश्वविद्यालय में नियुक्त गार्ड विनोद तिवारी ने विश्वविद्यालय में नौकरी लगवाने की बात कही थी. इसके एवज में उन्होंने 12 लाख रुपए लेने के बाद अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रात को इंटरव्यू हुआ और जल्द नियुक्ति कराने की बात कहकर फर्जी नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया गया. उसी की तरह करीब 127 लोग हैं. जिनसे लाखों रुपये लेकर उन्हें नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी न तो उन्हें नौकरी मिल पाई और न ही उसके द्वारा दी गई गई रकम वापस मिल पा रही है.

वहीं पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के कुलपति एनपी पाठक ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय ने कोई भी भर्ती नहीं निकाली थी लेकिन विश्वविद्यालय परिसर व कर्मचारी का नाम सामने आ रहा है. जिस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Sep 4, 2020, 11:00 PM IST
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