रीवा। किसानों के हितों को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार रोज नई-नई घोषणाएं करती हैं, लेकिन वह जमीनी स्तर पर नहीं उतर पातीं, क्योंकि जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति तक रह जाते हैं. यही वजह है कि खरीदी केंद्रों पर इन दिनों किसानों को अनाज बेचने के लिये परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
आलम ये है कि पिछले कई दिनों के किसान, खरीदी केंद्रों पर डेरा डालकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. खरीदी केंद्रों पर खुले आसमान के नीचे रखीं अनाज की बोरियों पर मौसम की मार कभी भी पड़ सकती है. इससे निपटने के लिये समिति की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किये गये हैं.
सेवा सहकारी समिति खरीदी केंद्र देवास में इन दिनों गेहूं से भरी बोरियों का अंबार लगा हुआ है. समिति की तरफ से किसानों के ठहरने और इलाज तक की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन यहां पानी के अलावा कोई व्यवस्था नहीं है.
हालात ये हैं कि किसान पेड़ के नीचे खुले में बैठने के लिये मजबूर हैं. लेकिन वह खुलकर कैमरे के सामने विरोध जाहिर नहीं कर पाते. किसानों का कहना है कि अगर वह खुलकर विरोध करते हैं तो उनकी फसल अंत में खरीदी जाती है.
कुछ किसानों ने यह कहा कि कहीं न कहीं अव्यवस्था है. काफी दिनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अब तक उनकी फसल नहीं बेची गयी. सहकारिता समिति के ठेकेदार ने बताया कि फसल की खरीद लगातार जारी है. मजदूर कम होने से किसी दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए हर तरह की संभव व्यवस्था की गई है.