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निगम की लापरवाही से लगा गंदगी का अंबार, हाजिरी लगाकर घर लौट जाते हैं सफाईकर्मी - Municipal Corporation,

मामला सामने आने के बाद निगम अधिकारियों ने सफाई कराने की बात कही है. शहर के मुख्य चौराहों पर फैली गंदगी पर लोगों का कहना है कि प्रशासन का कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आता. लोगों का आरोप है कि जब से इंजीनियर एसके चतुर्वेदी को स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभार मिला है, तब से शहर में कचरा जमा होने लगा है.

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Published : Feb 17, 2019, 11:34 PM IST

रीवा। शहर में गंदगी का अंबार लगा है. जिसमें निगम अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. इससे पहले शहर का कचरा साफ हो जाता था, लेकिन अब सिर्फ सफाईकर्मी सुबह सफाई के नाम पर मात्र हाजिरी लगाकर घर लौट जाते हैं और अधिकारी भी इस मामले से अनजान बने हैं.

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मामला सामने आने के बाद निगम अधिकारियों ने सफाई कराने की बात कही है. शहर के मुख्य चौराहों पर फैली गंदगी पर लोगों का कहना है कि प्रशासन का कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आता. लोगों का आरोप है कि जब से इंजीनियर एसके चतुर्वेदी को स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभार मिला है, तब से शहर में कचरा जमा होने लगा है.

दरअसल, नगर निगम में 500 सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन शहर में इतना कचरा जमा हो चुका है कि लोग परेशान होने लगे हैं. हालात तो यहां तक हैं कि जहां कचरा जमा है, वहां से लोगों का गुरजना दूभर हो रहा है. लोगों ने बताया कि पहले तो कचरा गाड़ी आती थी लेकिन अब वो भी नहीं दिखती, जबकि कुछ लोग पानी सप्लाई को लेकर परेशान हैं, उनका आरोप है कि समय पर पानी की सप्लाई नहीं होती.

रीवा। शहर में गंदगी का अंबार लगा है. जिसमें निगम अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है. इससे पहले शहर का कचरा साफ हो जाता था, लेकिन अब सिर्फ सफाईकर्मी सुबह सफाई के नाम पर मात्र हाजिरी लगाकर घर लौट जाते हैं और अधिकारी भी इस मामले से अनजान बने हैं.

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मामला सामने आने के बाद निगम अधिकारियों ने सफाई कराने की बात कही है. शहर के मुख्य चौराहों पर फैली गंदगी पर लोगों का कहना है कि प्रशासन का कोई अधिकारी सुध लेने नहीं आता. लोगों का आरोप है कि जब से इंजीनियर एसके चतुर्वेदी को स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभार मिला है, तब से शहर में कचरा जमा होने लगा है.

दरअसल, नगर निगम में 500 सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन शहर में इतना कचरा जमा हो चुका है कि लोग परेशान होने लगे हैं. हालात तो यहां तक हैं कि जहां कचरा जमा है, वहां से लोगों का गुरजना दूभर हो रहा है. लोगों ने बताया कि पहले तो कचरा गाड़ी आती थी लेकिन अब वो भी नहीं दिखती, जबकि कुछ लोग पानी सप्लाई को लेकर परेशान हैं, उनका आरोप है कि समय पर पानी की सप्लाई नहीं होती.

Intro:एंकर- रीवा शहर की हालात तो किसी से छुपे नहीं है।  इसमें निगम के हालात कुछ अच्छे नहीं लग रहे हैं। यहीं के निगम में केवल राजनीति होती काम के नाम में निगम कमाई के जरिए ही तलासे जाते हैं।  निगम का दुर्भाग्य है कि जहां स्थाई और अस्थाई मिल कर 500 से अधिक सफाई कर्मचारी हैं वही बीच बाजार और चौराहे में गंदगी का अंबार लगा रहता है। यहां काम करने वाले करीब 100 से ज्यादा सफाई कर्मचारी किसी ना किसी के बंगले में साफ सफाई करते नजर आ रहे हैं वहीं इतने ही सिर्फ पगार लेने आते हैं। कुछ तो प्राइवेट नर्सिंग होम में साफ सफाई की नौकरियां ही करते रहते हैं।  


Body:वियो- रीवा शहर की गंदगी को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के कर्मचारी केवल दफ्तरों में बैठकर काम का मजा लेते हैं। शहर के चौक चौराहे गली मोहल्लों में कचरा कितना इकट्ठा हो गया है कि  इनको साफ करने वाला कोई भी कर्मचारी ही नहीं है निगम में काम करने वाले सर्फर सफाई कर्मचारी सुबह की हाजिरी या लगा कर अपने घर में या तो प्राइवेट दफ्तरों के चक्कर लगाते फिरते हैं।  ना तो इनकी सुध लेने कोई अधिकारी रहता है और ना ही निगम का कोई दरोगा। 


 पहले तो कभी कभी शहर का कचरा समय पर साहब तो हो जाता था लेकिन लेकिन अब हालात बद से बदतर होते दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि निगम प्रशासन का कोई अधिकारी ना तो इनकी सुध लेने आता है।  और ना ही कर्मचारियों को फटकार लगाई जाती है। सब अपने काम में मस्त दिखाई देते हैं।


वहीं नगर निगम की महापौर परिषद सभी एकमत होकर शहर की साफ सफाई व्यवस्था पर मंथन ही नहीं करते सब कमाई की सीट में अपने आदमी बैठाने की कोशिश करते। नगर निगम में कौन टाइम से आ रहा है कौन जा रहा है कौन सीट पर है कौन नहीं है इसे अधिकारियों ने देखा नहीं नहीं। सरकार की योजनाओं की जानकारी पब्लिक तक नहीं पहुंच पाती नगर निगम बुनियादी जरूरतों से जुड़ा हुआ है अतः  वहां हर तबके के लोग आते हैं लेकिन उनके काम नहीं होते। शहर में झाड़ू लगा कि नहीं कोई नहीं देखता कुछ दिन तक अरुण मिश्रा स्वास्थ्य अधिकारी रहे सफाई कर्मचारियों पर दबाव बनाया तो उन्हें हटा दिया गया। इंजीनियर एसके चतुर्वेदी को स्वास्थ्य अधिकारी का प्रभार मिला है तो वह हवा में साफ सफाई करवा रहे हैं। नगर निगम में 500 सफाई कर्मचारी हैं जबकि वार्ड 45 है ऐसे वार्ड भी हैं जहां चार से पांच सफाई कर्मचारी रखे गए हैं लेकिन कईयों में 10 से 15 सफाई कर्मचारी हैं। लेकिन विडंबना है कि 100 से अधिक कर्मचारी नगर निगम के अधिकारियों कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों के घर झाड़ू पोछा से लेकर बच्चों को स्कूल पहुंचाने सब्जी खरीदने और कपड़ा धोने का काम कर रहे हैं। वही इतने ही कर्मचारी जो नर्सिंग होम में नौकरी कर रहे हैं।


इस बदहाल व्यवस्था के बीच नए कमिश्नर सभाजीत यादव आए हुए हैं।   बता दे सभाजीत यादव यहां एसडीएम भी रह चुके हैं। अब ऐसे में उन्हें उन्हीं चीजों का सामना करना पड़ेगा जो लोगों की जरूरतों से जुड़ी हुई हैं। यहां के कर्मचारी जो हर कमिश्नर के खास बनकर फ्लॉप करते  रहे हैं।  उनसे इनको अब बचने की जरूरत है। क्योंकि कई इंजीनियर ऐसे होते हैं जो अपने चतुर चाल और वक्त होता से सबको प्रभावित करने में माहिर हैं। अभिमन्यु की तरह एक कमिश्नर को चक्रव्यूह में फंसा लेते हैं और फिर उसके निकलने का कोई रास्ता नहीं रह जाता फिर वही होता है जो पीछे वालों के साथ हुआ कई ठेकेदार भी ऐसे हैं जो नगर निगम की गंदगी को बढ़ावा देते आ रहे हैं।




Conclusion:..
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