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भीषण गर्मी में बढ़ी कूलर के खस की मांग, कई जिलों में पारा 41 डिग्री के पार

झुलसा देने वाली गर्मी से राहत पाने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. इन उपायों में से एक है कूलर. इसके लिए इसमें लगने वाले खस की भी मांग बढ़ गई है.

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Published : Apr 13, 2019, 12:15 PM IST

भीषण गर्मी

रीवा। प्रदेशभर में अप्रैल के महीने में ही सूरज आग उगल रहा है. भोपाल सहित कई जिलों में पारा 41 डिग्राी के पार हो गया है. वहीं इस भीषण गर्मी से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय कर रहे हैं. गर्मी से राहत पाने के लिए अधिकतर लोग कूलर का सहरा ले रहे हैं. इसके साथ ही बाजार में कूलर के खस की मांग भी बढ़ गई है.

कूलर के खस की मांग बढ़ी


झुलसा देने वाली गर्मी से राहत पाने के लिए ठंडी का एहसास दिलाने वाले उपकरणों की भी मांग बढ़ गई है. जिसमें से एक है कूलर और इसके लिए घास की भी मांग बढ़ती जा रही है. जिसके कारण सड़क के किनारे कूलर के खस की दुकानें सज गई हैं. गर्मी से राहत दिलाने के लिए कूलर में लगने वाले खस को बेचने वाले दुकानदारों ने अपनी दुकानें लगा ली हैं. दुकानदार का कहना है कि वह पिछले 7 सालों से कटनी से रीवा आकर घास बेचते हैं. कूलर का खस मिनिमम 250 रुपए में बिक रहा है.

रीवा। प्रदेशभर में अप्रैल के महीने में ही सूरज आग उगल रहा है. भोपाल सहित कई जिलों में पारा 41 डिग्राी के पार हो गया है. वहीं इस भीषण गर्मी से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय कर रहे हैं. गर्मी से राहत पाने के लिए अधिकतर लोग कूलर का सहरा ले रहे हैं. इसके साथ ही बाजार में कूलर के खस की मांग भी बढ़ गई है.

कूलर के खस की मांग बढ़ी


झुलसा देने वाली गर्मी से राहत पाने के लिए ठंडी का एहसास दिलाने वाले उपकरणों की भी मांग बढ़ गई है. जिसमें से एक है कूलर और इसके लिए घास की भी मांग बढ़ती जा रही है. जिसके कारण सड़क के किनारे कूलर के खस की दुकानें सज गई हैं. गर्मी से राहत दिलाने के लिए कूलर में लगने वाले खस को बेचने वाले दुकानदारों ने अपनी दुकानें लगा ली हैं. दुकानदार का कहना है कि वह पिछले 7 सालों से कटनी से रीवा आकर घास बेचते हैं. कूलर का खस मिनिमम 250 रुपए में बिक रहा है.

Intro: गर्मी आते ही लोग कूलर,एसी का सहारा लेना शुरू कर दिए,बाजार में खस की मांग बढ़ गयी है,फुटपात सहित दुकानों में खस बेचने वाले दिखने लगे ।


Body:गर्मी ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है जिससे सड़क के किनारे कूलर के खास की दुकाने सज गयी। गर्मी से राहत दिलाने के लिए कूलर में लगने वाले खस को बेचने वाले परिवार खुले आसमान में अपना घर बना लिया है, और फुटपाथ पर ही अपनी दुकान लगा ली है, सात वर्षो से लगातार ये कटनी जिले से यहाँ आकर खस बनाकर बेचकर अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे है, वही इनका कहना है कि यह खस 250 रुपए में बेचते है।

लेकिन सरकार का इस तरफ ध्यान नही जा रहा है कि इनको भी कही रोजगार से जोड़ा जा सके।

बाइट- खस बेचने वाला


Conclusion:
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