रीवा। रीवा का वोटर हमेशा चौंकाने वाले नजीते दिया है, चाहे मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का पहला सांसद देने का मसला हो या फिर बड़े-बड़े धुरंधरों की छुट्टी करने की. 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी मध्यप्रदेश की गुना-छिंदवाड़ा छोड़कर बाकी सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदल गयी हैं क्योंकि अब न तो एमपी में बीजेपी की सरकार है और न ही मोदी लहर. हालांकि, बीजेपी ने फिर मौजूदा सांसद जनार्दन मिश्रा पर दांव लगाकर कांग्रेस-बसपा को मुश्किल में डाल दिया है.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने वाली बीजेपी के सांसदों का स्थानीय स्तर पर विरोध हो रहा है. भले ही लोग बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर सांसद सवालों के घेरे में हैं. बीजेपी प्रत्याशी जनार्दन मिश्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपनी उपलब्धियां गिनायी. साथ ही उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी. मिश्रा के मुताबिक किसान फसल बीमा प्राइवेट कंपनियों से कराने के चलते किसानों को लाभ नहीं मिल पाता, ऐसे में उन्होंने राज्यों से सरकारी बीमा कंपनी स्थापित करने की बात कही, ताकि किसानों को फसल बीमा योजना का पूरा लाभ मिल सके.
मिश्रा ने सरकारी शिक्षण संस्थानों की बदहाली पर भी बेबाकी से अपनी बात रखी और कहा कि सरपंच से लेकर राष्ट्रपति और चपरासी से लेकर केंद्रीय कैबिनेट सचिव तक के बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिक्षण अनिवार्य किया जाये, तभी सरकारी स्कूलों की दुर्दशा सुधरेगी, लेकिन उन्होंने अंग्रेजीकरण का सीधा विरोध करते हुए कहा कि मातृभाषा के अलावा सभी भाषाओं पर रोक लगनी चाहिए. क्षेत्र में इनकी पहचान सहज एवं सरल व्यक्तित्व के तौर पर है. स्वच्छता को लेकर भी कचरा गाड़ी चलाकर इन्होंने मिसाल पेश की थी और खूब सुर्खियां बटोरी थी.
रीवा लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं. जिसका असर सीधा परिणाम पर होता है, जब दोनों पार्टियां ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाती हैं तो ये समीकरण बदल जाता है. जिसका उदाहरण 2009 के लोकसभा चुनावों में देखा जा चुका है, जब कांग्रेस और बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था. इस चुनाव में बसपा के देवराज पटेल ने बाजी मार ली थी, जोकि कुर्मी समुदाय से आते हैं. इसके पीछे वजह ये भी है कि ब्राह्मण के बाद यहां कुर्मी, ठाकुर और पिछड़ी जातियों का भी वोट बैंक चुनाव में सीधा असर डालता है. जब ब्राह्मणों का वोट बंटता है तो गैर ब्राह्मण प्रत्याशी मजबूत हो जाता है.
रीवा सीट का वोट बैंक-विधानसभावार मतदाता
विस संख्या | विस क्षेत्र | पुरुष | महिला | कुल वोटर |
---|---|---|---|---|
68 | सिरमौर | 106720 | 9203 | 199623 |
69 | सेमरिया | 106908 | 93947 | 200855 |
70 | त्यौंथर | 103118 | 89202 | 192320 |
71 | मऊगंज | 109372 | 96220 | 205592 |
72 | देवतालाब | 117258 | 103840 | 221098 |
73 | मनगवां | 119240 | 105362 | 224602 |
74 | रीवा | 110547 | 99532 | 210081 |
75 | गुढ़ | 112466 | 100216 | 212682 |
885629 | 781222 | 1666864 |
पिछले लोकसभा चुनाव में क्या था हाल
बीजेपी के जनार्दन मिश्रा को कुल 3 लाख 83 हजार 320 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 2 लाख 14 हजार 594 वोट मिले थे. 2004 में चंद्रमणी त्रिपाठी रीवा से पहली बार भाजपा से सांसद चुने गए थे. उसके बाद 2009 में बसपा से देवराज सिंह पटेल सांसद बने, 5 साल बाद फिर जनार्दन मिश्रा बीजेपी सांसद बने, जबकि 1999 में कांग्रेस से सुंदर लाल तिवारी के बाद करीब 15 सालों से कांग्रेस यहां नहीं जीत सकी है.