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चोरी का सामान बरामद करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती!

मध्यप्रदेश में क्राइम को लेकर पुलिस हमेशा सतर्क रहती है. लेकिन चोरी के केसेस में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. रतलाम एसपी का कहना है कि चोरी के सामान को बरामद करना पुलिस के लिए हमेशा से ही चुनौती भरा काम रहा है.

Stolen goods recovered story
चोरी का सामान बरामद स्टोरी
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Published : Feb 6, 2021, 11:12 PM IST

रतलाम। पुलिस थानों पर दर्ज किए जाने वाले अपराधों में चोरी का सामान संबंधित अपराधों की संख्या सर्वाधिक होती है. जिसमें चोरी, नकबजनी, लूट और डकैती की घटनाएं शामिल है. चोरी की घटनाओं में आमतौर पर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती है लेकिन चोरी का सामान के रिकवरी में पुलिस को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. रतलाम जिले की बात करें तो बीते साल जिले में चोरी के सामान के मामले में रिकवरी 65% रहा है. वहीं लूट, डकैती जैसे मामलों में आरोपी ज्ञात होने की वजह से 90% रिकवरी दर्ज की गई है. चोरी के सामान से भी रिकवरी करने में अंतर आता है. नगद और जेवरात की चोरी की रिकवरी करने में पुलिस को अधिक कठिनाई आती है जबकि वाहनों और मोबाइल के मामले में रिकवरी का प्रतिशत अधिक रहता है.

Stolen goods recovered
चोरी का सामान बरामद

घर छोड़ने से पहले पुलिस से करे संपर्क

रतलाम पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने बताया कि चोरी की वारदात बहुत ही बड़ा मसला बनता है. चोरी की घटना को अंजाम बदमाश दिन या रात में अंजाम देते हैं और इसमें फरियादी की बहुत बड़ी लापरवाही रहती है. जिसमें लोग ठीक तरीके से लॉक करके नहीं गए या फिर शादी-व्याह में चले जाते हैं. रतलाम एसपी ने बताया कि यदि चोरी की घटनाओं में कमी लाना हो तो जनता को कहीं ना कहीं पुलिस से संपर्क साधना होगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी को अपना मकान छोड़कर जाना है तो इस विषय में जानकारी हमेशा पुलिस को देकर जाना चाहिए. ताकि पुलिस उस इलाके में पेट्रेलिंग कर आसानी से नजर रख सकती है क्योंकि ऐसे मकान हमेशा बदमाशों की नजरों में रहती हैं.

हाईटेक हुए चोर

Stolen goods recovered
चोरी का सामान बरामद

चोरी का सामान बरामद करना हमेशा पुलिस के लिए चुनौती भरा काम होता है. एसपी ने कहा कि इस मामले में पुलिस को सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि चोरी की घटना में चोर हमेशा अज्ञात रहता है. इस मामले में पुलिस को यह देखना पड़ता है कि कौन कहां से चोरी की घटना को अंजाम दे रहा है. उन्होंने कहा कि अभी हाल में पुलिस ने जितने भी गैंग का पर्दाफाश किया है वो सब दूसरे राज्यों के थे. एसपी गौरव तिवारी ने कहा कि आज कल के चोर हाईटेक हो गए हैं वो भी घटना को अंजाम देने के लिए वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. जिसके कारण उन्हें पकड़ना आसान काम नहीं है.

चोरी का सामान बरामद करने में क्यों आती है समस्या

चोरी के सामान की पहचान हो जाती है गुम

पुलिस के सामने दूसरी बड़ी समस्या यह आती है कि जो सामान चोरी होता है तो उसमें किसी की पहचान तो होती नहीं है. उन्होंने बताया कि कई बार तो पुलिस घटना के तुरंत बाद ही चोरी के सामान को बरामद कर लेती है लेकिन ज्यादा देर के बाद आरोपी कैश और ज्वैलरी को किसी के माध्यम से गला देते हैं. जिसे फरियादी का सामान की पहचान गुम हो जाती है और उसे बरामद करना बड़ा ही मुश्किल भरा काम हो जाता है.

लूट की घटना में 90 % सफलता

एसपी के मुताबिक रतलाम जिले में 2020 के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो पुलिस ने 55 प्रतिशत पुलिस के सामान को रिकवर किया है. वहीं लूट की घटनाओं में पुलिस को 90 प्रतिशत सफलता मिलती है. खास बात यह भी है कि चोरी के सामान के प्रकार से भी रिकवरी करने में अंतर आता है. नगद और जेवरात की चोरी की रिकवरी करने में पुलिस को अधिक कठिनाई आती है जबकि वाहनों और मोबाइल के मामले में रिकवरी का प्रतिशत अधिक रहता है.

रतलाम। पुलिस थानों पर दर्ज किए जाने वाले अपराधों में चोरी का सामान संबंधित अपराधों की संख्या सर्वाधिक होती है. जिसमें चोरी, नकबजनी, लूट और डकैती की घटनाएं शामिल है. चोरी की घटनाओं में आमतौर पर पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर लेती है लेकिन चोरी का सामान के रिकवरी में पुलिस को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. रतलाम जिले की बात करें तो बीते साल जिले में चोरी के सामान के मामले में रिकवरी 65% रहा है. वहीं लूट, डकैती जैसे मामलों में आरोपी ज्ञात होने की वजह से 90% रिकवरी दर्ज की गई है. चोरी के सामान से भी रिकवरी करने में अंतर आता है. नगद और जेवरात की चोरी की रिकवरी करने में पुलिस को अधिक कठिनाई आती है जबकि वाहनों और मोबाइल के मामले में रिकवरी का प्रतिशत अधिक रहता है.

Stolen goods recovered
चोरी का सामान बरामद

घर छोड़ने से पहले पुलिस से करे संपर्क

रतलाम पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने बताया कि चोरी की वारदात बहुत ही बड़ा मसला बनता है. चोरी की घटना को अंजाम बदमाश दिन या रात में अंजाम देते हैं और इसमें फरियादी की बहुत बड़ी लापरवाही रहती है. जिसमें लोग ठीक तरीके से लॉक करके नहीं गए या फिर शादी-व्याह में चले जाते हैं. रतलाम एसपी ने बताया कि यदि चोरी की घटनाओं में कमी लाना हो तो जनता को कहीं ना कहीं पुलिस से संपर्क साधना होगा. उन्होंने कहा कि यदि किसी को अपना मकान छोड़कर जाना है तो इस विषय में जानकारी हमेशा पुलिस को देकर जाना चाहिए. ताकि पुलिस उस इलाके में पेट्रेलिंग कर आसानी से नजर रख सकती है क्योंकि ऐसे मकान हमेशा बदमाशों की नजरों में रहती हैं.

हाईटेक हुए चोर

Stolen goods recovered
चोरी का सामान बरामद

चोरी का सामान बरामद करना हमेशा पुलिस के लिए चुनौती भरा काम होता है. एसपी ने कहा कि इस मामले में पुलिस को सबसे बड़ी दिक्कत यह आती है कि चोरी की घटना में चोर हमेशा अज्ञात रहता है. इस मामले में पुलिस को यह देखना पड़ता है कि कौन कहां से चोरी की घटना को अंजाम दे रहा है. उन्होंने कहा कि अभी हाल में पुलिस ने जितने भी गैंग का पर्दाफाश किया है वो सब दूसरे राज्यों के थे. एसपी गौरव तिवारी ने कहा कि आज कल के चोर हाईटेक हो गए हैं वो भी घटना को अंजाम देने के लिए वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. जिसके कारण उन्हें पकड़ना आसान काम नहीं है.

चोरी का सामान बरामद करने में क्यों आती है समस्या

चोरी के सामान की पहचान हो जाती है गुम

पुलिस के सामने दूसरी बड़ी समस्या यह आती है कि जो सामान चोरी होता है तो उसमें किसी की पहचान तो होती नहीं है. उन्होंने बताया कि कई बार तो पुलिस घटना के तुरंत बाद ही चोरी के सामान को बरामद कर लेती है लेकिन ज्यादा देर के बाद आरोपी कैश और ज्वैलरी को किसी के माध्यम से गला देते हैं. जिसे फरियादी का सामान की पहचान गुम हो जाती है और उसे बरामद करना बड़ा ही मुश्किल भरा काम हो जाता है.

लूट की घटना में 90 % सफलता

एसपी के मुताबिक रतलाम जिले में 2020 के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो पुलिस ने 55 प्रतिशत पुलिस के सामान को रिकवर किया है. वहीं लूट की घटनाओं में पुलिस को 90 प्रतिशत सफलता मिलती है. खास बात यह भी है कि चोरी के सामान के प्रकार से भी रिकवरी करने में अंतर आता है. नगद और जेवरात की चोरी की रिकवरी करने में पुलिस को अधिक कठिनाई आती है जबकि वाहनों और मोबाइल के मामले में रिकवरी का प्रतिशत अधिक रहता है.

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