रतलाम। जिले में बड़ी संख्या में किसान उद्यानिकी फसलों की खेती करते हैं, जहां के तीतरी मथुरी, करमदी और रूपाखेड़ा गांव में अमरूद, अनार, एप्पल बेर और स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. लेकिन बंपर उत्पादन और सर्दियों के मौसम में फलों की मांग में कमी के चलते फलों की कीमतों में गिरावट आ गई है, जिसकी वजह से फल उत्पादक किसानों को उनके उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.
ठंडी के दिनों में लगातार बड़े बाजारों में घट रही फलों की मांग के कारण रतलाम जिले के फल उत्पादक किसानों को स्थानीय बाजार में ही फलों को कम दामों पर बेचना पड़ रहा है, जिस कारण वो भारी उत्पादन के बाद भी वो मुनाफा नहीं कमा पा रहे है, जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी.
बता दें अनार, अमरूद, पपीता, एप्पल बेर और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों का बंपर उत्पादन सर्दियों के मौसम में प्राप्त होता है
इन कारणों से भी गिर रहे दाम
फलों की मांग न होने के कारण कई किसानों को फल उत्पादन की लागत भी नहीं मिल पा रही है. तीतरी गांव के किसानों के अनुसार सर्दियों के मौसम में फलों का अधिक उत्पादन मिलने और पाले के डर से किसानों द्वारा फलों तूड़ाई करवा कर एक साथ मंडी में पहुंचा देने की वजह से फलों की कीमतों में गिरावट आ गई है. वही कड़ाके की ठंड की वजह से फलों की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है, जिससे फलों के दाम कम मिल पा रहे हैं.
अंगूर किसान को उम्मीद
सर्दी के मौसम में फलों के उत्पादन का उचित दाम नहीं मिलने से परेशान किसान स्थानीय बाजार में ही अपनी उपज छोटे व्यापारियों को बेच रहे हैं. वहीं अंगूर उत्पादक किसानों को सर्दी के मौसम के बाद फसल का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद बनी हुई है.
अन्य फसलों पर हो रहा बुरा असर
क्षेत्र में शबाब पर खड़ी फसलें दो-तीन दिनों से चल रही शीतलहर के चलते बर्बाद हो गई है. फलस्वरूप क्षेत्र के किसानों के मुंह आया निवाला छिनता नजर आ रहा है. शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात जोरदार शीतलहर के चलते खेतों में खड़ी फसलों पर बर्फ की परत जम गई, इससे फसल पूरी तरह नष्ट हो गई.