रतलाम। कोरोना संक्रमण की वजह से ठप्प हुई शिक्षण व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने MPDIGILEP के माध्यम से 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को डिजिटल शिक्षा देने की शुरुआत की है. जिससे छात्रों को शासकीय स्कूलों के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़कर ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. आंकड़े बताते है कि रतलाम के शासकीय माध्यमिक स्कूल में 9वीं से 12वीं तक 84000 छात्र है, जिसमें 60 प्रतिशत छात्र ग्रामीण इलाकों से आते है, तो लगभग 80 प्रतिशत छात्रों के पास मोबाइल नहीं है.
बिना स्मार्टफोन, इंटरनेट के कैसी डिजिटल शिक्षा
छात्रों के लिए डिजिटल एजुकेशन की शुरुआत तो हो चुकी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों के अभाव में कई छात्र डिजिटल शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. डिजिटल क्लासेस के लिए छात्रों के पास स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर होना जरूरी है, जबकि इंटरनेट की सुविधा भी जरूरी है, लेकिन ग्रामीण और रिमोट एरिया में छात्रों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है. जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन है भी तो पर्याप्त मात्रा में इंटरनेट डाटा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में छात्रों को डिजिटल शिक्षा प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं हैं ग्रामीण छात्र
छात्रों के टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को डिजिटल शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है. डिजिटल माध्यम से शिक्षा दिए जाने के इस प्रोजेक्ट की ग्रामीण क्षेत्र के पालकों ने तारीफ तो की है, पर उनका कहना है कि सभी छात्रों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है. कई घरों में अगर फोन उपलब्ध है तो उसका उपयोग छात्र डिजिटल शिक्षा ग्रहण करने के लिए रोजाना नहीं कर सकते हैं.
DIGILEP के सहारे डिजिटल शिक्षा
कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश के स्कूल-कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था ठप है. कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामले के बीच स्कूलों में कक्षाएं शुरू नहीं की जा सकती हैं. जिसके लिए शिक्षा विभाग ने DIGILEP के माध्यम से छात्रों को डिजिटल शिक्षा देने का प्रोग्राम शुरू किया है. जिससे प्राप्त होने वाले कंटेंट को शासकीय स्कूलों के शिक्षक व्हाट्सएप ग्रुप पर छात्रों को भेजते हैं और ऑनलाइन ही बच्चों को शिक्षा दी जाएगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा चुनौती
प्राचार्य के अनुसार जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन की उपलब्धता नहीं है, उनके लिए दूरदर्शन के डीटीएच और प्राइवेट केबल नेटवर्क के माध्यम से शिक्षा के चैनलों की शुरुआत की गई है, लेकिन रतलाम जिले के आदिवासी क्षेत्र के छात्रों तक डिजिटल शिक्षा को पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है.