रतलाम। शहर के सन सिटी में रहने वाले प्रकाशचंद्र बिलाला अपने पुत्र द्वारा लगाये पौधों को ढूंढने के लिए 3 सालों से जनसुनवाई के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बुजुर्ग प्रकाश चंद्र का कहना है कि उनके बेटे से 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत फलदार पौधे लगवाए गए थे. जिसके बड़े होने पर उसमें लगने वाले फलों का हिस्सा उनके बेटे को दिए जाने के लिए एक अधिकार पत्र भी दिया गया था.
प्रकाश चंद्र का कहना है कि इतना समय गुजर जाने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला है. जबकि उनके बैटे द्वारा लगाए गए पौधे बड़े पेड़ के रुप में तब्दील हो चुके होंगे, जिनमें फल भी लग रहे होंगे. लेकिन उसका हिस्सा उन्हें नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में उन्होंने 2015 में जनसुनावाई में आवेदन दिया था. लेकिन अब तक इस और कोई काम नहीं किया गया है. प्रशासन उन्हें केवल एक विभाग से दूसरे विभाग में घुमा रहा है. जबकि वे भी अपने बेटे द्वारा लगाए गए पौधों की उपज का अधिकारी लेने के लिए अड़े हुए हैं.
दरअसल प्रकाशचंद्र बिलाला के पुत्र आशीष बिलाला ने 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण के किया था. उस वक्त जिला कलेक्टर की ओर से छात्र द्वारा लगाये गये फलदार पौधे की भविष्य में मिलने वाली उपज का अधिकार पत्र दिया गया था. 2015 में प्रकाश चंद्र बिलाला जनसुनवाई में पहुँचे और उन्होंने कलेक्टर द्वारा जारी अधिकार पत्र के आधार पर आम के पेड़ को खोज कर उसकी उपज का अधिकार दिलवाने की माँग की थी.
प्रशासन उनकी इस मांग से सकते में आ गया है, भले ही उनकी मांग अजीब हो लेकिन लेकिन सही मांग होने पर तत्कालीन कलेक्टर ने आवेदन लेकर जांच करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन 3 वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रकाश चंद्र अब भी पेड़ की खोज के लिये जनसुनवाई में चक्कर लगा रहे है. वही इस मामले पर अधिकारियों ने मामला उनसे संबंधित होना नहीं बताया है.