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1980 में लगाए गए पेड़ों की रतलाम जिला प्रशासन को नहीं है जानकारी, जानिए पूरा मामला

रतलाम के रहने वाले प्रकाश चंद्र बिलाला कि एक मांग से रतलाम का पूरा जिला प्रशासन सकते में हैं. वाले प्रकाश चंद्र बिलाला का कहना है कि 1980 में उनके बेटे आशीष से प्रशासन द्वारा अरण्यावली योजना के अंतर्गत फलदार पौधों का रोपण कराया गया था. इन पेड़ो के बड़े होने पर उनके बेटे को उनसे निकलने वाले फलों का हिस्सा दिए जाने का वादा प्रशासन ने किया था. जिसका उनके बेटे को प्रमाण पत्र भी दिया गया है.

प्रकाश चंद्र बिलाला
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Published : Jun 4, 2019, 11:44 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 12:39 AM IST

रतलाम। शहर के सन सिटी में रहने वाले प्रकाशचंद्र बिलाला अपने पुत्र द्वारा लगाये पौधों को ढूंढने के लिए 3 सालों से जनसुनवाई के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बुजुर्ग प्रकाश चंद्र का कहना है कि उनके बेटे से 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत फलदार पौधे लगवाए गए थे. जिसके बड़े होने पर उसमें लगने वाले फलों का हिस्सा उनके बेटे को दिए जाने के लिए एक अधिकार पत्र भी दिया गया था.

1980 में लगाए गए पेड़ों का रतलाम जिला प्रशासन को नहीं है पता

प्रकाश चंद्र का कहना है कि इतना समय गुजर जाने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला है. जबकि उनके बैटे द्वारा लगाए गए पौधे बड़े पेड़ के रुप में तब्दील हो चुके होंगे, जिनमें फल भी लग रहे होंगे. लेकिन उसका हिस्सा उन्हें नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में उन्होंने 2015 में जनसुनावाई में आवेदन दिया था. लेकिन अब तक इस और कोई काम नहीं किया गया है. प्रशासन उन्हें केवल एक विभाग से दूसरे विभाग में घुमा रहा है. जबकि वे भी अपने बेटे द्वारा लगाए गए पौधों की उपज का अधिकारी लेने के लिए अड़े हुए हैं.

दरअसल प्रकाशचंद्र बिलाला के पुत्र आशीष बिलाला ने 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण के किया था. उस वक्त जिला कलेक्टर की ओर से छात्र द्वारा लगाये गये फलदार पौधे की भविष्य में मिलने वाली उपज का अधिकार पत्र दिया गया था. 2015 में प्रकाश चंद्र बिलाला जनसुनवाई में पहुँचे और उन्होंने कलेक्टर द्वारा जारी अधिकार पत्र के आधार पर आम के पेड़ को खोज कर उसकी उपज का अधिकार दिलवाने की माँग की थी.

प्रशासन उनकी इस मांग से सकते में आ गया है, भले ही उनकी मांग अजीब हो लेकिन लेकिन सही मांग होने पर तत्कालीन कलेक्टर ने आवेदन लेकर जांच करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन 3 वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रकाश चंद्र अब भी पेड़ की खोज के लिये जनसुनवाई में चक्कर लगा रहे है. वही इस मामले पर अधिकारियों ने मामला उनसे संबंधित होना नहीं बताया है.

रतलाम। शहर के सन सिटी में रहने वाले प्रकाशचंद्र बिलाला अपने पुत्र द्वारा लगाये पौधों को ढूंढने के लिए 3 सालों से जनसुनवाई के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बुजुर्ग प्रकाश चंद्र का कहना है कि उनके बेटे से 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत फलदार पौधे लगवाए गए थे. जिसके बड़े होने पर उसमें लगने वाले फलों का हिस्सा उनके बेटे को दिए जाने के लिए एक अधिकार पत्र भी दिया गया था.

1980 में लगाए गए पेड़ों का रतलाम जिला प्रशासन को नहीं है पता

प्रकाश चंद्र का कहना है कि इतना समय गुजर जाने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला है. जबकि उनके बैटे द्वारा लगाए गए पौधे बड़े पेड़ के रुप में तब्दील हो चुके होंगे, जिनमें फल भी लग रहे होंगे. लेकिन उसका हिस्सा उन्हें नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले में उन्होंने 2015 में जनसुनावाई में आवेदन दिया था. लेकिन अब तक इस और कोई काम नहीं किया गया है. प्रशासन उन्हें केवल एक विभाग से दूसरे विभाग में घुमा रहा है. जबकि वे भी अपने बेटे द्वारा लगाए गए पौधों की उपज का अधिकारी लेने के लिए अड़े हुए हैं.

दरअसल प्रकाशचंद्र बिलाला के पुत्र आशीष बिलाला ने 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण के किया था. उस वक्त जिला कलेक्टर की ओर से छात्र द्वारा लगाये गये फलदार पौधे की भविष्य में मिलने वाली उपज का अधिकार पत्र दिया गया था. 2015 में प्रकाश चंद्र बिलाला जनसुनवाई में पहुँचे और उन्होंने कलेक्टर द्वारा जारी अधिकार पत्र के आधार पर आम के पेड़ को खोज कर उसकी उपज का अधिकार दिलवाने की माँग की थी.

प्रशासन उनकी इस मांग से सकते में आ गया है, भले ही उनकी मांग अजीब हो लेकिन लेकिन सही मांग होने पर तत्कालीन कलेक्टर ने आवेदन लेकर जांच करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन 3 वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रकाश चंद्र अब भी पेड़ की खोज के लिये जनसुनवाई में चक्कर लगा रहे है. वही इस मामले पर अधिकारियों ने मामला उनसे संबंधित होना नहीं बताया है.

Intro:NOTE--POWER DIRECTOR में VO करके भेजा है.

रतलाम के सन सिटी में रहने वाले एक बुजुर्ग अपने पुत्र द्वारा लगाये गये पौधे को ढूंढने के लिये लंबे समय से जनसुनवाई में चक्कर लगा रहे है.लेकिन जिला प्रशासन 3 सालों से एक विभाग से दूसरे विभाग के बीच आवेदन को घुमा रहा है.आवेदक प्रकाशचंद्र बिलाला ने नवंबर 2015 में जनसुनवाई में आवेदन दिया था कि 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत स्कूली बच्चों से फलदार पौधे लगवाए गये थे जिनकी उपज का अधिकार पत्र जिला प्रशासन ने बच्चों को सौपा था .उसी अधिकार पत्र के आधार पर प्रकाशचंद्र ने अपने पुत्र आशीष द्वारा लगाये गये आम के पौधे की जानकारी जिला प्रशासन से माँगी है.हालांकि जिला प्रशासन को 3 सालों से पेड़ नहीं मिल रहा है और आवेदन एक विभाग से दूसरे विभाग तक घूम रहा है.वही प्रकाशचंद्र बिलाला भी पेड़ की उपज का अधिकार लेने के लिये अड़े हुए है.


Body:दरअसल प्रकाशचंद्र बिलाला के पुत्र आशीष बिलाला ने 1980 में अरण्यावली योजना के अंतर्गत वृक्षारोपण के किया था .जिला कलेक्टर की और से छात्र द्वारा लगाये गये फलदार पौधे की भविष्य में मिलने वाली उपज का अधिकार पत्र दिया गया था.2015 में प्रकाश चंद्र बिलाला जनसुनवाई में पहुँचे और उन्होंने कलेक्टर द्वारा जारी अधिकार पत्र के आधार पर आम के पेड़ को खोज कर उसकी उपज का अधिकार दिलवाने की माँग की थी.अजीब लेकिन सही माँग होने पर तत्कालीन कलेक्टर ने आवेदन लेकर जाँच करवाने के निर्देश दिये थे लेकिन 3 वर्ष गुजर जाने के बाद भी प्रकाश चंद्र अब भी पेड़ की खोज के लिये जनसुनवाई में चक्कर लगा रहे है.


Conclusion:बहरहाल एक बार फिर प्रकाशचंद्र अपने बेटे द्वारा लगाये गये आम के पेड़ को ढूंढने के लिये आज फिर जनसुनवाई में पहुँचे जहाँ उन्हें मामला वन विभाग के ग्रामीण एसडीओ के यहाँ लंबित होना बताया गया है .उन्हें एक बार फिर अगले मंगलवार तक पेड़ ढूंढने का आश्वासन दिया गया है.वही इस मामले पर अधिकारियों ने मामला उनसे संबंधित होना नहीं बताया है.

बाइट-01-प्रकाशचंद्र बिलाला(बुजुर्ग आवेदन)


Last Updated : Jun 5, 2019, 12:39 AM IST
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