रतलाम। आदिवासी अंचलों में आज भी ईलाज के नाम पर अंधविश्वास का खेल जारी है. रतलाम जिले के रावटी थाने के हरथल गांव में गर्म तारों से एक मासूम को दागने का मामला सामने आया है. जहां 2 साल की एक मासूम को उसकी मां ने ही उसे गर्म तारों से जला दिया. बताया जा रहा है कि बच्ची दो दिनों से बुखार से पीड़ित थी, इसी दौरान उसे झटके भी आने लगे थे. ये देख उसकी मां ने ही उसे गर्म तारों से जला दिया.
अंधविश्वास के इस इलाज के बाद जब बच्ची की तबीयत और बिगड़ने लगी, तो परिजन उसे रतलाम के बाल चिकित्सालय लेकर पहुंचे. जहां इस पूरे मामले का खुलासा हुआ है. बाल चिकित्सालय के डॉक्टर्स ने बच्ची का इलाज किया, जिसके बाद मासूम की हालत में सुधार हुआ है. बच्ची के शरीर पर सात जगहों पर तारों से दागने के निशान हैं, लेकिन कार्रवाई के डर से परिजन रात में ही मासूम को लेकर अस्पताल से चले गए.
देशी भाषा में इसे डाम लगाना कहते हैं. ये अंधविश्वास आमतौर पर आदिवासी अंचलों में देखा जाता है. जहां इलाज के नाम पर छोटे बच्चों को इसी तरह गर्म वस्तुओं से दागा जाता है. हर साल दर्जनों ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में देखने को मिलते हैं, लेकिन अंधविश्वास की प्रथा का इलाज स्वास्थ्य महकमे के पास अब तक नहीं है.