ETV Bharat / state

1962 के युद्ध में महाराजा लोकेंद्र सिंह ने देश को दिया था अपना विमान, परिवार के सदस्य ने तस्वीरें की साझा - रतलाम के अंतिम महाराज

आज महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है, इस मौके पर उनसे जुड़े राठौर राजवंश के सदस्य धीरेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह ने 1962 के चीन युद्ध के दौरान की यादें और विमान की तस्वीरें साझा की है. उन्होंने महाराजा लोकेंद्र सिंह के देशप्रेम की भावनाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है.

maharaja-lokendra-singhs-death-anniversary-in-ratlam
महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि
author img

By

Published : Jun 26, 2020, 10:52 AM IST

Updated : Jun 26, 2020, 12:45 PM IST

रतलाम। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद एक बार फिर गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना आमने-सामने है. 1962 में चीन द्वारा धोखेबाजी से किए गए आक्रमण से निपटने के लिए देश की मदद के लिए आम लोगों से लेकर खास लोगों ने अपना योगदान राष्ट्रीय रक्षा कोष को समर्पित किया था. रतलाम के तत्कालीन महाराजा लोकेंद्र सिंह ने भी 1962 की विपदा में भारत सरकार को अपना 5 सीटर विमान और लोकेंद्र पलटन की 200 बंदूकें देश की रक्षा के लिए समर्पित की थी.

महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि

आज महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है, इस मौके पर उनसे जुड़े राठौर राजवंश के सदस्य धीरेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह ने 1962 के चीन युद्ध के दौरान की यादें और विमान की तस्वीरें साझा कर, महाराजा लोकेंद्र सिंह के राष्ट्र के प्रति समर्पण और देशप्रेम की भावनाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है.

महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि

1962 की युद्ध से जुड़ी कहानी

दरअसल गलवान घाटी में 1962 के बाद एक बार फिर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी का दौर जारी है. ऐसे में 1962 युद्ध से जुड़ी रतलाम के अंतिम महाराज लोकेंद्र सिंह राठौर के देश के प्रति समर्पण का किस्सा सोशल मीडिया और रतलाम के लोगों के बीच सुर्खियों में है. महाराज लोकेंद्र सिंह कुशल पायलट थे और अपने विमान उड़ाने के शौक के लिए उन्होंने नेवियर कंपनी का 5 सीटर विमान खरीदा था. विमान को रतलाम लाने के लिए महाराज लोकेंद्र सिंह ने दोषी गांव स्थित निजी जमीन पर हवाई पट्टी भी बनवाई थी.

महाराज ने अपना निजी विमान कर दिया समर्पित

1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तो देश को आर्थिक और विभिन्न संसाधनों की मदद के लिए देश के कई राज परिवारों सहित आम लोगों ने भी अपनी निजी संपत्ति राष्ट्र के नाम समर्पित कर दी थी. महाराज लोकेंद्र सिंह ने भी अपने निजी विमान के साथ रतलाम की लोकेंद्र पलटन की 200 बंदूकें ( 33 विंचेस्टर) और नगद राशि रतलाम कोठी पर महू के सैन्य अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया था.

महाराज को विमान उड़ाना बेहद पसंद था

राठौर वंश से जुड़े धीरेंद्र सिंह राठौर और दिग्विजय सिंह राठौर बताते हैं कि महाराज को विमान उड़ाना बेहद पसंद था, लेकिन देश पर आई विपदा के दौरान उन्होंने अपने प्रिय विमान को देश की रक्षा के लिए भारत सरकार को समर्पित कर दिया. रतलाम के राज ज्योतिष परिवार के सदस्य पंडित गोचर शर्मा ने भी उस दौर की यादों को ताजा करते हुए बताया कि किस तरह महाराज लोकेंद्र सिंह ने राष्ट्रहित और देश की रक्षा के लिए अपनी निजी संपत्ति को राष्ट्र के नाम कर दिया था.

बहरहाल रतलाम के अंतिम महाराज लोकेंद्र सिंह राठौर से जुड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कई किस्से मशहूर है. इन दिनों उनकी पुण्यतिथि के मौके पर 1962 चीन युद्ध के दौरान उनके द्वारा दिखाए गए राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव को आज हर कोई याद कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

रतलाम। 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद एक बार फिर गलवान घाटी में भारत और चीन की सेना आमने-सामने है. 1962 में चीन द्वारा धोखेबाजी से किए गए आक्रमण से निपटने के लिए देश की मदद के लिए आम लोगों से लेकर खास लोगों ने अपना योगदान राष्ट्रीय रक्षा कोष को समर्पित किया था. रतलाम के तत्कालीन महाराजा लोकेंद्र सिंह ने भी 1962 की विपदा में भारत सरकार को अपना 5 सीटर विमान और लोकेंद्र पलटन की 200 बंदूकें देश की रक्षा के लिए समर्पित की थी.

महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि

आज महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है, इस मौके पर उनसे जुड़े राठौर राजवंश के सदस्य धीरेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह ने 1962 के चीन युद्ध के दौरान की यादें और विमान की तस्वीरें साझा कर, महाराजा लोकेंद्र सिंह के राष्ट्र के प्रति समर्पण और देशप्रेम की भावनाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है.

महाराजा लोकेंद्र सिंह की पुण्यतिथि

1962 की युद्ध से जुड़ी कहानी

दरअसल गलवान घाटी में 1962 के बाद एक बार फिर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी का दौर जारी है. ऐसे में 1962 युद्ध से जुड़ी रतलाम के अंतिम महाराज लोकेंद्र सिंह राठौर के देश के प्रति समर्पण का किस्सा सोशल मीडिया और रतलाम के लोगों के बीच सुर्खियों में है. महाराज लोकेंद्र सिंह कुशल पायलट थे और अपने विमान उड़ाने के शौक के लिए उन्होंने नेवियर कंपनी का 5 सीटर विमान खरीदा था. विमान को रतलाम लाने के लिए महाराज लोकेंद्र सिंह ने दोषी गांव स्थित निजी जमीन पर हवाई पट्टी भी बनवाई थी.

महाराज ने अपना निजी विमान कर दिया समर्पित

1962 में जब भारत और चीन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई, तो देश को आर्थिक और विभिन्न संसाधनों की मदद के लिए देश के कई राज परिवारों सहित आम लोगों ने भी अपनी निजी संपत्ति राष्ट्र के नाम समर्पित कर दी थी. महाराज लोकेंद्र सिंह ने भी अपने निजी विमान के साथ रतलाम की लोकेंद्र पलटन की 200 बंदूकें ( 33 विंचेस्टर) और नगद राशि रतलाम कोठी पर महू के सैन्य अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया था.

महाराज को विमान उड़ाना बेहद पसंद था

राठौर वंश से जुड़े धीरेंद्र सिंह राठौर और दिग्विजय सिंह राठौर बताते हैं कि महाराज को विमान उड़ाना बेहद पसंद था, लेकिन देश पर आई विपदा के दौरान उन्होंने अपने प्रिय विमान को देश की रक्षा के लिए भारत सरकार को समर्पित कर दिया. रतलाम के राज ज्योतिष परिवार के सदस्य पंडित गोचर शर्मा ने भी उस दौर की यादों को ताजा करते हुए बताया कि किस तरह महाराज लोकेंद्र सिंह ने राष्ट्रहित और देश की रक्षा के लिए अपनी निजी संपत्ति को राष्ट्र के नाम कर दिया था.

बहरहाल रतलाम के अंतिम महाराज लोकेंद्र सिंह राठौर से जुड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कई किस्से मशहूर है. इन दिनों उनकी पुण्यतिथि के मौके पर 1962 चीन युद्ध के दौरान उनके द्वारा दिखाए गए राष्ट्र के प्रति समर्पण के भाव को आज हर कोई याद कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

Last Updated : Jun 26, 2020, 12:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.