रतलाम। सैलाना अंबा और शेरपुर क्षेत्र को मिलाकर कुल 1296 हेक्टेयर भूमि पर खरमोर पक्षी के प्रवास के लिए अभ्यारण्य बना हुआ है. लेकिन मानवीय हस्तक्षेप, पवन चक्की प्रोजेक्ट और घास के मैदानों में बढ़ती नील गायों की संख्या की वजह से अब यह दुर्लभ प्रजाति का पक्षी पिछले 2 सालों से अभ्यारण्य से नदारद है. दुर्लभ प्रजाति का यह पक्षी प्रजनन के लिए खासतौर पर रतलाम और धार जिले के अभ्यारण्य क्षेत्र में पहुंचता है.
खरमोर दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है. जिसका वैज्ञानिक नाम लेजर फ्लोरीकेन है. देशी मुर्गे और मोर की तरह दिखाई देने वाले यह पक्षी अब भारत में गिनी चुनी संख्या में ही बचे हैं. अपने प्रजनन काल के लिए यह पक्षी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के सैलाना अभ्यारण्य और धार जिले के सरदारपुर अभ्यारण्य में पहुंचते हैं.
खास बात यह है कि जिस तरह नर, मादा मोर को रिझाने के लिए अपने पंख फैलाकर नृत्य करता है, इसी तरह नर खरमोर पक्षी मादा पक्षियों को रिझाने के लिए एक ही जगह पर पंख फैलाकर जंप करता है. सैलाना के खरमोर अभ्यारण्य में इस सुंदर प्रजाति के पक्षी के दर्शन पहले आसानी से हो जाया करते थे. लेकिन बीते कुछ सालों से प्रजनन के लिए प्रवास करने वाले इन पक्षियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.
बीते 2 सालों से रतलाम के सैलाना अभ्यारण्य में एक भी खरमोर पक्षी की आमद दर्ज नहीं की गई है. जिससे इस दुर्लभ प्रजाति के पक्षी का वजूद खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार साल 2019 और 2020 में 14 सितंबर तक एक भी खरमोर पक्षी की आमद अभ्यारण्य में दर्ज नहीं हुई है. अधिकारियों और स्थानीय कर्मचारियों की मानें तो इसकी मुख्य वजह घास के मैदानों में नील गायों की बढ़ती संख्या और आसपास की पहाड़ियों पर लगाए जा रहे पवन चक्की प्रोजेक्ट हैं.
अभ्यारण्य क्षेत्र के आसपास मानवीय हस्तक्षेप से भी शर्मीले स्वभाव का यह पक्षी अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है. वन विभाग द्वारा समय-समय पर खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिए खरमोर के संरक्षण के लिए खरमोर बताओ इनाम पाओ जैसी योजना भी शुरू की थी.
जिसके अंतर्गत खरमोर पक्षी की आमद की सूचना देने वाले व्यक्ति को एक हजार से पांच हजार रूपए तक का प्रोत्साहन भी दिया जाता था. बावजूद इसके पक्षियों की संख्या में हर साल कमी आती जा रही है. जबकि बीते 2 सालों से तो खरमोर पक्षी सैलाना के अभ्यारण्य से रूठ ही गया है.
दुर्लभ प्रजाति के खरमोर पक्षी की रतलाम के सैलाना में आमद प्रतिवर्ष घटते हुए इस साल शून्य हो चुकी है. जिससे खरमोर पक्षी को देखने यहां पहुंचने वाले सैलानी, पक्षी प्रेमी भी निराश हो रहे हैं. वहीं खरमोर पक्षी के इस अभ्यारण्य में खरमोर संरक्षण के कोई ठोस उपाय नहीं किए गए, तो सैलाना का खरमोर अभ्यारण्य केवल नाम का ही अभ्यारण बनकर रह जाएगा.