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फसल बीमा योजना की हकीकत, किसान नहीं ले रहें रुचि, जानिए आखिर क्या है वजह ?

खरीफ सीजन के फसल बीमा के लिए प्रीमियम राशि जमा करने की अंतिम तारीख अब 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अधिक किसानों ने फसल बीमा के लिए पंजीयन कराया है, इसके बावजूद जिले के किसानों की रुचि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पंजीयन कराने में नहीं है.

RATLAM
फसल बीमा योजना
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Published : Aug 31, 2020, 3:01 PM IST

रतलाम। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आंकड़ों पर नजर डालें, तो ऐसा लगने लगा है कि, अब किसानों का भरोसा इस योजना से उठने लगा है. दरअसल रतलाम जिले में प्रीमियम जमा करने की अंतिम तारीख निकलने के बाद पंजीयन के लिए तारीख 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. लेकिन जिले के 2 लाख 35 हजार किसानों में से महज 83 हजार किसानों ने अब तक पंजीयन कराया है.

फसल बीमा योजना की हकीकत
फसल बीमा योजना की हकीकत

इतना ही नहीं, बैंक से ऋण नहीं लेने वाले करीब 75 हजार किसानों में से महज 1200 किसानों ने खरीफ सीजन के लिए फसल बीमा का लाभ लेने के लिए पंजीयन कराया है, जिससे किसानों कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर घटती रुचि साफ दिखाई देती है. दरअसल केंद्र सरकार की प्रमुख बड़ी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ किसानों के लिए लाभदायक बताया गया था, लेकिन वास्तविकता में कई तकनीकी खामियों के चलते किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिल ही नहीं पा रहा है.

अब तक नहीं तय हुई बीमा कंपनी

रतलाम जिले के आंकड़ों की बात करें तो जिले के 2 लाख 35 हजार किसानों में से महज 83 हजार 267 किसानों ने ही खरीफ सीजन में फसल बीमा योजना का प्रीमियम जमा कराया है. खास बात यह है कि, मध्यप्रदेश में अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए इंश्योरेंस कंपनी का निर्धारण ही नहीं हो सका है. जबकि किसानों द्वारा योजना में रुचि नहीं लिए जाने के बाद एक बार फिर फसल बीमा का पंजीयन कराने के लिए अंतिम तारीख को बढ़ाया गया है.

किसानों की गुहार

इधर रतलाम जिले के किसानों की माने को इनका कहना है कि, फसल बीमा योजना की प्रीमियम तो बैंकों और सोसायटी के माध्यम से काट ली जाती है, लेकिन फसल में नुकसान होने पर ना तो बैंक, ना इंश्योरेंस कंपनी और ना ही स्थानीय प्रशासन के लोग किसानों की सुनवाई करते हैं. कई मामलों में किसानों को फसल नुकसान होने की स्थिति में भुगतान की गई प्रीमियम राशि के बराबर भी बीमा की राशि नहीं मिलती है.

बीमा कंपनियों की मनमानी

वहीं बीमा कंपनियों की मनमानी और समय पर सर्वे नहीं होने से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है. जिसके बाद अब रतलाम जिले के किसानों का विश्वास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से उठता जा रहा है. मध्यप्रदेश में अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए इंश्योरेंस कंपनी का निर्धारण ही नहीं हो सका है, किसान अब इस योजना से हताश नजर आ रहे हैं. जोकि सिस्टम पर कहीं ना कहीं सवाल उठा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार इन आकड़ों सफाई देते नजर आ रहे हैं.


योजना में किसान नहीं ले रहे रुचि

बहरहाल खरीफ सीजन के फसल बीमा के लिए प्रीमियम राशि जमा करने की अंतिम तारीख अब 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अधिक किसानों ने फसल बीमा के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन इसके बावजूद जिले के किसानों की रुचि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पंजीयन कराने में नहीं है.

रतलाम। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आंकड़ों पर नजर डालें, तो ऐसा लगने लगा है कि, अब किसानों का भरोसा इस योजना से उठने लगा है. दरअसल रतलाम जिले में प्रीमियम जमा करने की अंतिम तारीख निकलने के बाद पंजीयन के लिए तारीख 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. लेकिन जिले के 2 लाख 35 हजार किसानों में से महज 83 हजार किसानों ने अब तक पंजीयन कराया है.

फसल बीमा योजना की हकीकत
फसल बीमा योजना की हकीकत

इतना ही नहीं, बैंक से ऋण नहीं लेने वाले करीब 75 हजार किसानों में से महज 1200 किसानों ने खरीफ सीजन के लिए फसल बीमा का लाभ लेने के लिए पंजीयन कराया है, जिससे किसानों कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर घटती रुचि साफ दिखाई देती है. दरअसल केंद्र सरकार की प्रमुख बड़ी योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ किसानों के लिए लाभदायक बताया गया था, लेकिन वास्तविकता में कई तकनीकी खामियों के चलते किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिल ही नहीं पा रहा है.

अब तक नहीं तय हुई बीमा कंपनी

रतलाम जिले के आंकड़ों की बात करें तो जिले के 2 लाख 35 हजार किसानों में से महज 83 हजार 267 किसानों ने ही खरीफ सीजन में फसल बीमा योजना का प्रीमियम जमा कराया है. खास बात यह है कि, मध्यप्रदेश में अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए इंश्योरेंस कंपनी का निर्धारण ही नहीं हो सका है. जबकि किसानों द्वारा योजना में रुचि नहीं लिए जाने के बाद एक बार फिर फसल बीमा का पंजीयन कराने के लिए अंतिम तारीख को बढ़ाया गया है.

किसानों की गुहार

इधर रतलाम जिले के किसानों की माने को इनका कहना है कि, फसल बीमा योजना की प्रीमियम तो बैंकों और सोसायटी के माध्यम से काट ली जाती है, लेकिन फसल में नुकसान होने पर ना तो बैंक, ना इंश्योरेंस कंपनी और ना ही स्थानीय प्रशासन के लोग किसानों की सुनवाई करते हैं. कई मामलों में किसानों को फसल नुकसान होने की स्थिति में भुगतान की गई प्रीमियम राशि के बराबर भी बीमा की राशि नहीं मिलती है.

बीमा कंपनियों की मनमानी

वहीं बीमा कंपनियों की मनमानी और समय पर सर्वे नहीं होने से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है. जिसके बाद अब रतलाम जिले के किसानों का विश्वास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से उठता जा रहा है. मध्यप्रदेश में अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए इंश्योरेंस कंपनी का निर्धारण ही नहीं हो सका है, किसान अब इस योजना से हताश नजर आ रहे हैं. जोकि सिस्टम पर कहीं ना कहीं सवाल उठा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार इन आकड़ों सफाई देते नजर आ रहे हैं.


योजना में किसान नहीं ले रहे रुचि

बहरहाल खरीफ सीजन के फसल बीमा के लिए प्रीमियम राशि जमा करने की अंतिम तारीख अब 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अधिक किसानों ने फसल बीमा के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन इसके बावजूद जिले के किसानों की रुचि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पंजीयन कराने में नहीं है.

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