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किसानों को नहीं मिल पाएगा फसल बीमा योजना का पूरा लाभ, ये है वजह

बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल के बीमा क्लेम में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगति की वजह से किसानों को खराब हुई फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा.

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Published : Oct 11, 2019, 5:25 PM IST

बीमा योजना की विसंगति की वजह से नहीं मिल पाएगा किसानों को लाभ

रतलाम। बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल के बीमा क्लेम में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगति की वजह से किसानों को खराब हुई फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा. दरअसल कृषि विभाग, राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के अधिकारियों की टीम ने किसानों के खेतों से फसल उत्पादन के नमूने लिए हैं.


इस सर्वे में खेतों में काली पड़ चुकी सोयाबीन को उत्पादन मानकर उसका वजन किया जा रहा है, जिससे सर्वे रिपोर्ट मे सोयाबीन के वजन के आधार पर नुकसान का आकलन कम किया जा रहा है और किसानों को बीमा लाभ भी कम प्रतिशत मे मिलेगा.

बीमा योजना की विसंगति की वजह से नहीं मिल पाएगा किसानों को लाभ


किसानों का कहना है कि, अधिकांश किसानों ने अपनी फसल को हार्वेस्ट कर लिया है, जबकि कई गांव में अब भी सर्वे करने के लिए टीम नहीं पहुंची है. ऐसे में किसानों को हुए नुकसान का आकलन कैसे किया जाएगा, और किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खराब हो चुकी फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पायेगा.


वहीं कृषि विभाग के अधिकारी जीएस मोहनिया का कहना है कि, जिले में फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को फसल बीमा का लाभ जरूर मिलेगा. बहरहाल कृषि विभाग, राजस्व विभाग और फसल बीमा योजना अंतर्गत बीमा करने वाली कंपनी के अधिकारियों की टीमों का गठन किया गया है, जो जिले के सभी क्षेत्रों में फसलों के नुकसान का सर्वे कर रही है. जिसके आधार पर किसानों की बीमित फसलों में हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाई जायेगी.

रतलाम। बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल के बीमा क्लेम में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगति की वजह से किसानों को खराब हुई फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा. दरअसल कृषि विभाग, राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के अधिकारियों की टीम ने किसानों के खेतों से फसल उत्पादन के नमूने लिए हैं.


इस सर्वे में खेतों में काली पड़ चुकी सोयाबीन को उत्पादन मानकर उसका वजन किया जा रहा है, जिससे सर्वे रिपोर्ट मे सोयाबीन के वजन के आधार पर नुकसान का आकलन कम किया जा रहा है और किसानों को बीमा लाभ भी कम प्रतिशत मे मिलेगा.

बीमा योजना की विसंगति की वजह से नहीं मिल पाएगा किसानों को लाभ


किसानों का कहना है कि, अधिकांश किसानों ने अपनी फसल को हार्वेस्ट कर लिया है, जबकि कई गांव में अब भी सर्वे करने के लिए टीम नहीं पहुंची है. ऐसे में किसानों को हुए नुकसान का आकलन कैसे किया जाएगा, और किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खराब हो चुकी फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पायेगा.


वहीं कृषि विभाग के अधिकारी जीएस मोहनिया का कहना है कि, जिले में फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को फसल बीमा का लाभ जरूर मिलेगा. बहरहाल कृषि विभाग, राजस्व विभाग और फसल बीमा योजना अंतर्गत बीमा करने वाली कंपनी के अधिकारियों की टीमों का गठन किया गया है, जो जिले के सभी क्षेत्रों में फसलों के नुकसान का सर्वे कर रही है. जिसके आधार पर किसानों की बीमित फसलों में हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाई जायेगी.

Intro:बारिश से खराब हुई सोयाबीन की फसल के बीमा क्लेम में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विसंगति की वजह से किसानों को खराब हुई फसल का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाएगा । दरअसल कृषि विभाग राजस्व विभाग और बीमा कंपनी के अधिकारियों की टीम किसानों के खेतों से फसल उत्पादन के नमूने ले रही है। इस सर्वे में खेतों में सड़ कर काली पड़ चुकी सोयाबीन को उत्पादन मानकर उसका वजन किया जा रहा है।जिससे सर्वे रिपोर्ट मे सोयाबीन के वजन के आधार पर नुकसान का आकलन कम किया जायेगा ।जिससे किसानो को बीमा लाभ भी कम प्रतिशत मे मिलेगा। जबकि हकीकत में सड़कर काली पढ़ चुकी सोयाबीन की फसल मंडी में बेचने योग्य भी नहीं है। जिससे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खराब हो चुकी फसल का वास्तविक लाभ किसानों को नही मिल पायेगा।








Body:दरअसल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा करवाने वाले किसानों को पटवारी हल्के में हुए नुकसान के प्रतिशत के आधार पर फसल बीमा का लाभ मिलता है। इस वर्ष हुई अतिवृष्टि और हार्वेस्टिंग के समय हुई बारिश से किसानों की सोयाबीन की फसल सड़ कर अंकुरित हो गई थी। जिला प्रशासन ने फसलों को हुए नुकसान के आकलन के लिए पूरे जिले में अधिसूचना जारी कर फसलों का सर्वे राजस्व, कृषि विभाग और बीमा कंपनी के अधिकारियों की टीमों से करवाना शुरू किया है. लेकिन फसल उत्पादन के इस सर्वे में केवल फसल के वजन का ही आकलन किया जा रहा है। जबकि सोयाबीन की खराब हुई गुणवत्ता के आकलन का कोई प्रावधान फसल बीमा योजना में नहीं है।जिससे किसानो को बीमा लाभ भी कम प्रतिशत मे मिलेगा। जबकि हकीकत में सड़कर काली पढ़ चुकी सोयाबीन की फसल मंडी में बेचने योग्य भी नहीं है। किसानों का कहना है कि अधिकांश किसानों ने अपनी फसल को हार्वेस्ट कर लिया है जबकि कई गांव में अब भी सर्वे करने टीम पहुंची ही नहीं है। ऐसे में किसानों के हुए नुकसान का आकलन कैसे किया जाएगा । जिससे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में खराब हो चुकी फसल का वास्तविक लाभ किसानों को नही मिल पायेगा।


Conclusion:वही वहीं कृषि विभाग के अधिकारी का कहना है कि जिले में फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को फसल बीमा का लाभ जरूर मिलेगा ।बहरहाल कृषि विभाग, राजस्व विभाग और फसल बीमा योजना अंतर्गत बीमा करने वाली कंपनी के अधिकारियों की टीमों का गठन किया गया है जो जिले के सभी क्षेत्रों में फसलों के नुकसान का सर्वे कर रहे हैं। जिसके आधार पर किसानों की बीमित फसलों में हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाई जायेगी।

बाइट 01-राजेश पुरोहित (किसान नेता )
बाइक 02-समरथ मल पाटीदार (किसान )
बाइट-03- जीएस मोहनिया( उपसंचालक कृषि विभाग)
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