रतलाम। देश में पंच परमेश्वर की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इतिहास की घटनाओं में भी पंचों और गांव के वरिष्ठ लोगों द्वारा तमाम विवाद गांव में ही सुलझाने का उल्लेख मिलता है. ऐसी ही एक परंपरा रतलाम जिले के सिमलावदा गांव में जारी है. इस गांव में भगवान शिव का ऐसा धाम है, जहां तमाम विवादों का समाधान हो जाता है. इसकी वजह से यहां के ग्रामीणों को थाने और कोर्ट कचहरी में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है.
ऐसे होता है विवादों का निपटारा
गांव में स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिर परिसर में लोग अपनी फरियाद लेकर वरिष्ठजनों की समिति के सामने पहुंचते हैं. इसके बाद दोनों पक्षों को मंदिर परिसर में बुलाकर समझाइश दी जाती है. जिसके बाद दोनों पक्ष वरिष्ठजनों के फैसले को मान्य करते हैं. सिमलावदा गांव की ये अनोखी परंपरा वर्षो से जारी है. जहां गंभीर अपराधिक मामलों को छोड़कर सामान्य विवादों का निपटारा ग्रामीण खुद ही कर लेते हैं.
ये हैं मंदिर की मान्यता
सिमलावदा गांव में भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर है. जहां की मान्यता है कि, यहां आने वाले हर व्यक्ति का मन निर्मल हो जाता है. जिससे वह वरिष्ठ जनों की समिति द्वारा दी जाने वाली समझाइश और फैसले को मान्य कर लेता है. इस शिव मंदिर में बाकायदा भगवान को साक्षी मानकर गांव के वरिष्ठजनों की अदालत लगाई जाती है. जो कृषि, भूमि विवाद, घरेलू विवाद और रुपयों के लेन-देन जैसे विवादों का समाधान गांव में ही कर देते हैं. खासबात ये है कि, गांव में सालों से चली आ रही इस परंपरा से लोगों में आपसी सामंजस्य तो बढ़ ही रहा है, साथ ही गांव में होने वाले विवादों में भी कमी आई है.
यहां के ग्रामीण नहीं जाते कोर्ट कचहरी
ग्रामीणों का मानना है कि, छोटे-मोटे विवाद को लेकर जब वे थाना और कोर्ट कचहरी जाते हैं, तो उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है, लेकिन भगवान शिव की इस विशेष अदालत में त्वरित समाधान मिल जाता है. शिव मंदिर में चल रही इस अनोखी अदालत के संचालन के लिए गांव के वरिष्ठजनों के साथ पढ़े-लिखे युवाओं को भी 108 सदस्यों की समिति का सदस्य बनाया गया है.
सिमलावदा गांव की इस अनोखी और सकारात्मक परंपरा से गांव में होने वाले विवादों में कमी आई है. यहां के ग्रामीणों का आस्था का केंद्र भगवान शिव का मंदिर है, जहां लोग अपनी समस्या लेकर जाते हैं. वहीं इस परंपरा से लोगों के बीच आपसी सामंजस्य और सामाजिक समरसता भी बढ़ रही हैं.