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वर्ल्ड कैंसर डे : इस गांव में पिछले 10 सालों में कैंसर से हो चुकी हैं 35 मौतें - कैंसर से मौतें

रतलाम के भोजाखेड़ी गांव में अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारण पिछले 10 सालों में लगभग 35 लोगों की मौत हो चुकी हैं. इसे लेकर गांव के पानी की भी जांच हो चुकी है, लेकिन रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है. वहीं गांव में बीमारी से पीड़ित लोगों और मृतकों के परिवारों की आपबीती को जानने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा भोजाखेड़ी गांव...

World cancer day
वर्ल्ड कैंसर डे
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Published : Feb 4, 2020, 10:29 PM IST

रतलाम। आज विश्व कैंसर दिवस है, कैंसर की बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर- डे मनाया जा रहा. पिछले कुछ सालों में भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. वहीं देश के दिल मध्यप्रदेश के रतलाम में भी एक गांव ऐसा है जहां पिछले 10 सालों में अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारण करीब 35 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. यह हाल है रतलाम जिला मुख्यालय से 104 किलोमीटर दूर बसे भोजाखेड़ी गांव का.

भोजाखेड़ी गांव में पिछले 10 सालों में कैंसर से हो चुकी 35 मौतें


जब ईटीवी भारत की टीम ने भोजाखेड़ी गांव पहुंचकर कैंसर की बीमारी का कारण जानना चाहा तो जवाब किसी के पास नहीं था. कैंसर से हुई मौत और कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की यहां एक नहीं कई दर्द भरी दास्तान मौजूद हैं.


यहां वर्तमान में कैंसर की बीमारी से जूझ रही एक महिला पूरन कुंवर सामने आईं, जिन्हें स्तन कैंसर हुआ है. महिला के परिजनों के अनुसार गांव में किसी भी तरह का रासायनिक प्रदूषण नहीं है, जिससे यह बीमारी गांव में फैल रही है. लेकिन कुछ महीनों पहले सीने में गठान बनने और दर्द होने की तकलीफ को लेकर उज्जैन के अस्पताल में पहुंचे तो जांच रिपोर्ट में पूरन कुंवर को कैंसर होना बताया गया.


केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ जरूर इस परिवार को कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए मिला है. वर्तमान में पूरन कुंवर कैंसर की दर्द भरी उपचार प्रक्रिया के बाद स्वास्थ्य हालत में है.
कैंसर की बीमारी में न केवल लोगों की जान ली है, बल्कि मृतकों के परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बिगाड़ दी है. कैंसर से पीड़ित गांव के विजय सिंह परिहार ने भी आर्थिक तंगी के चलते उपचार के अभाव में ही दम तोड़ दिया, कैंसर की लंबी बीमारी के बाद विजय सिंह की 2012 में मौत हो गई.


गांव में एक के बाद एक कैंसर की बीमारी के मामले सामने आने के बाद गांव के जनप्रतिनिधियों ने जब एक सूची तैयार की तो चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया. जिसके बाद गांव के जनप्रतिनिधियों ने बीते 10 सालों में हुई 35 मौतों की जानकारी जिला प्रशासन को दी.


इसके बाद जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की संयुक्त टीम ने गांव का दौरा कर यहां की स्क्रीनिंग की. जांच दल ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर मृतकों और उनके परिजनों की मेडिकल हिस्ट्री के आंकड़े जुटाए हैं. वही गांव के जल स्त्रोतों के पानी के सैंपल पीएचई विभाग द्वारा एकत्रित किया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है.


हालांकि क्षेत्र के मेडिकल ऑफिसर के अनुसार भोजाखेड़ी और आसपास के क्षेत्र में जलवायु प्रदूषित होने के कोई भी कारण उपलब्ध नहीं हैं, बावजूद इसके यहां कैंसर जैसी बीमारी से लोगों की मौत हुई है.


भोजाखेड़ी गांव के लोगों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर इस कैंसर की बीमारी की वजह क्या है. यहां के जनप्रतिनिधि और शिक्षित लोगों ने पूर्व में भी पानी और क्षेत्र की मिट्टी की जांच प्राइवेट लेबोरेटरी में भी करवाई है, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी को फैलाने वाले कोई भी तत्व यहां की जलवायु में नहीं मिले हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक मात्रा में प्रयोग गांव में कैंसर जैसी बीमारी फैलने का एक कारण हो सकता है.

रतलाम। आज विश्व कैंसर दिवस है, कैंसर की बीमारी के प्रति जागरूकता लाने के लिए पूरे विश्व में वर्ल्ड कैंसर- डे मनाया जा रहा. पिछले कुछ सालों में भारत में कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. वहीं देश के दिल मध्यप्रदेश के रतलाम में भी एक गांव ऐसा है जहां पिछले 10 सालों में अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारण करीब 35 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. यह हाल है रतलाम जिला मुख्यालय से 104 किलोमीटर दूर बसे भोजाखेड़ी गांव का.

भोजाखेड़ी गांव में पिछले 10 सालों में कैंसर से हो चुकी 35 मौतें


जब ईटीवी भारत की टीम ने भोजाखेड़ी गांव पहुंचकर कैंसर की बीमारी का कारण जानना चाहा तो जवाब किसी के पास नहीं था. कैंसर से हुई मौत और कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की यहां एक नहीं कई दर्द भरी दास्तान मौजूद हैं.


यहां वर्तमान में कैंसर की बीमारी से जूझ रही एक महिला पूरन कुंवर सामने आईं, जिन्हें स्तन कैंसर हुआ है. महिला के परिजनों के अनुसार गांव में किसी भी तरह का रासायनिक प्रदूषण नहीं है, जिससे यह बीमारी गांव में फैल रही है. लेकिन कुछ महीनों पहले सीने में गठान बनने और दर्द होने की तकलीफ को लेकर उज्जैन के अस्पताल में पहुंचे तो जांच रिपोर्ट में पूरन कुंवर को कैंसर होना बताया गया.


केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ जरूर इस परिवार को कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए मिला है. वर्तमान में पूरन कुंवर कैंसर की दर्द भरी उपचार प्रक्रिया के बाद स्वास्थ्य हालत में है.
कैंसर की बीमारी में न केवल लोगों की जान ली है, बल्कि मृतकों के परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बिगाड़ दी है. कैंसर से पीड़ित गांव के विजय सिंह परिहार ने भी आर्थिक तंगी के चलते उपचार के अभाव में ही दम तोड़ दिया, कैंसर की लंबी बीमारी के बाद विजय सिंह की 2012 में मौत हो गई.


गांव में एक के बाद एक कैंसर की बीमारी के मामले सामने आने के बाद गांव के जनप्रतिनिधियों ने जब एक सूची तैयार की तो चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया. जिसके बाद गांव के जनप्रतिनिधियों ने बीते 10 सालों में हुई 35 मौतों की जानकारी जिला प्रशासन को दी.


इसके बाद जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की संयुक्त टीम ने गांव का दौरा कर यहां की स्क्रीनिंग की. जांच दल ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर-घर जाकर मृतकों और उनके परिजनों की मेडिकल हिस्ट्री के आंकड़े जुटाए हैं. वही गांव के जल स्त्रोतों के पानी के सैंपल पीएचई विभाग द्वारा एकत्रित किया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है.


हालांकि क्षेत्र के मेडिकल ऑफिसर के अनुसार भोजाखेड़ी और आसपास के क्षेत्र में जलवायु प्रदूषित होने के कोई भी कारण उपलब्ध नहीं हैं, बावजूद इसके यहां कैंसर जैसी बीमारी से लोगों की मौत हुई है.


भोजाखेड़ी गांव के लोगों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर इस कैंसर की बीमारी की वजह क्या है. यहां के जनप्रतिनिधि और शिक्षित लोगों ने पूर्व में भी पानी और क्षेत्र की मिट्टी की जांच प्राइवेट लेबोरेटरी में भी करवाई है, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी को फैलाने वाले कोई भी तत्व यहां की जलवायु में नहीं मिले हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक मात्रा में प्रयोग गांव में कैंसर जैसी बीमारी फैलने का एक कारण हो सकता है.

Intro:note- असाइनमेंट की गई स्पेशल स्टोरी है। उदय भटनागर जी को असाइन की जाए।

रतलाम जिले के भोजाखेड़ी गांव में कैंसर की बीमारी की वजह से बीते 10 सालों में 35 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। जिला मुख्यालय से 104 किलोमीटर दूर स्थिति यह गांव इन दिनों कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। गांव में एक के बाद एक कैंसर की बीमारी के मामले सामने आने के बाद गांव के लोगों ने जब एक सूची तैयार की तो चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया। जिसके बाद गांव के जनप्रतिनिधियों ने बीते 10 सालों में हुई 35 मौतों की जानकारी जिला प्रशासन को दी। जिसके बाद जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की संयुक्त टीम ने गांव का दौरा कर यहां की स्क्रीनिंग की है। जांच दल ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से घर घर जाकर मृतकों और उनके परिजनों की मेडिकल हिस्ट्री के आंकड़े जुटाए है । वही गांव के जल स्त्रोतों के पानी के सैंपल पीएचई विभाग द्वारा एकत्रित किया गया है। जिसकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है। हालांकि क्षेत्र के मेडिकल ऑफिसर के अनुसार भोजाखेड़ी और आसपास के क्षेत्र में जलवायु प्रदूषित होने के कोई भी कारण उपलब्ध नहीं है। बावजूद इसके यहां कैंसर जैसी बीमारी से लोगों की मौत हुई है।


Body:रतलाम जिले के आलोट तहसील का भोजाखेड़ी गांव उस समय चर्चा में आया जब मीडिया रिपोर्टों में इस गांव में कैंसर की वजह से 35 लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आई। जिसके बाद जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की संयुक्त टीम ने गांव का दौरा कर डोर टू डोर सर्वे कर मृतकों और उनके परिजनों से संबंधित स्वास्थ्य के आंकड़े जुटाए हैं । वही गांव में शिविर लगाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया । ईटीवी भारत की टीम ने जब भोजाखेड़ी गांव पहुंचकर कैंसर की बिमारी का कारण जानना चाहा तो जवाब किसी के पास नहीं है। कैंसर से हुई मौत और कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की यहां एक नहीं कई दर्द भरी दास्तान मौजूद है।

यहां वर्तमान में कैंसर की बीमारी से जूझ रही एक महिला पूरन कुंवर सामने आई है जिन्हें स्तन का कैंसर हुआ है। महिला के परिजनों के अनुसार गांव में किसी भी तरह का रासायनिक प्रदूषण नहीं है जिससे यह बीमारी गांव में फैल रही है। लेकिन कुछ महीनों पहले सीने में गठान बनने और दर्द होने की तकलीफ को लेकर उज्जैन के अस्पताल में पहुंचे तो जांच रिपोर्ट में पूरण कुमार को कैंसर होना बताया गया। जिसके बाद केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ जरूर इस परिवार को कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के लिए मिला है। वर्तमान में पूरन कुंवर कैंसर की दर्द भरी उपचार प्रक्रिया के बाद स्वास्थ्य हालत में है।

कैंसर की बीमारी में न केवल लोगों की जान ली है बल्कि मृतकों के परिवारों की आर्थिक स्थिति भी बिगाड़ दी है। गांव के ही सरदार सिंह की मृत्यु 2014 में कैंसर की बीमारी की वजह से हो गई। अब उनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। पत्नी मानस बाई आंखों से देख नहीं सकती है जिनकी दो विवाहित पुत्रियां और एक छोटा पुत्र है। सरदार सिंह का उपचार करवाने के लिए इस परिवार को अपनी जमीन भी बेचनी पड़ी है। वही बची हुई 3 बीघा जमीन से घर का गुजारा जैसे तैसे चल रहा है। कैंसर की बीमारी से पीड़ित परिवार को कोई शासकीय मदद भी नहीं मिल सकी है।


कैंसर से पीड़ित गांव के एक और व्यक्ति विजय सिंह परिहार ने भी आर्थिक तंगी के चलते उपचार के अभाव में ही दम तोड़ दिया। कैंसर की लंबी बीमारी के बाद विजय सिंह की 2012 में मौत हो गई लेकिन आर्थिक तंगी ने परिवार को ऐसा जकड़ा की विजय सिंह की बूढ़ी मां, और विधवा पत्नी जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है । विजय सिंह की पत्नी बताती है कि उनका एक पुत्र है जो दिमागी रूप से कमजोर है। जिसकी वजह से उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।





Conclusion:बहरहाल भोजा खेड़ी गांव के लोगों को समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर इस कैंसर की बीमारी की वजह क्या है। यहां के जनप्रतिनिधि और शिक्षित लोगों ने पूर्व में भी पानी और क्षेत्र की मिट्टी की जांच प्राइवेट लेबोरेटरी में भी करवाई है लेकिन कैंसर जैसी बीमारी को फैलाने वाले कोई भी तत्व यहां की जलवायु में नहीं मिले हैं। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि खेतों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक मात्रा में प्रयोग गांव में कैंसर जैसी बीमारी फैलने का एक कारण हो सकता है।


विजुअल ग्राम भोजाखेड़ी
वन टू वन- गांव के जनप्रतिनिधि राम सिंह (जेकेट पहने हुए ) एवं राजवीर सिंह ( सफ़ारी सूट पहने)
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