राजगढ़। उत्तरप्रदेश के रहने वाले संतराम की पालघर महाराष्ट्र से पैदल वापसी के दौरान राजगढ़ जिले के उदनखेड़ी में 8 मई को मौत हो गई. मौत के बाद मृतक के शव को कोरोना जांच के लिए राजगढ़ मरचुरी में रखा गया, इस दौरान उसके साथ आए साथी प्रहलाद और धर्मेन्द्र का भी सैंपल लेकर क्वारंटाइन कर दिया गया.
इसी बीच प्रशासन के माध्यम से मृतक के मित्रों ने उसके पुत्र दिलीप को सूचना दी. दिलीप भी मुंबई में ही नौकरी करता था और पैसों की समस्या की वजह से वो पिता के साथ पैदल यात्रा पर नहीं आ सका था.
सूचना के बाद 11 मई को राजगढ़ पहुंचा दिलीप अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सका. इसी दौरान संतराम और उसके साथी प्रहलाद की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. ऐसे में दिलीप को सिर्फ दूर से ही देखने दिया और प्रशासन की टीम ने उसके ही सामने उसके पिता का अंतिम संस्कार किया. वो मुखाग्नि भी नहीं दे सका.
वीडियो में छलका बेटे का दर्द
एक वीडियो के जरिए बेटे ने अपना दर्द बयां किया है. जिसमें मृतक संतराम का बेटा दिलीप बता रहा है कि, पैसे नहीं होने के कारण वो पिता के साथ नहीं आ सका था. दिलीप ने बताया कि, उसकी दो बहन हैं, बड़ी की शादी पहले कर दी थी. करीब डेढ़ साल पहले उसकी छोटी बहन की शादी की गई. जिसमें एक लाख साठ हजार रुपए कर्ज हो गया. शादी के बाद कर्जदारों का कर्ज चुकाने के उद्देश्य से काम करने मुंबई आ गए. पिता और वो दोनों अलग अलग जगह मजदूरी करते थे.
एक साल में उन्होंने एक लाख रुपए कर्ज चुका दिया और बाकी साठ हजार चुकाने के लिए अभी काम कर ही रहे थे कि लॉकडाउन हो गया. कर्ज के बोझ की वजह से हमारे पास जमा पूंजी नहीं थी. ऐसे में पिता को घर भेजकर खुद काम करने के लिए रुक गया था.
सोचा था लॉकडाउन खुलने के बाद कुछ कमाई करके घर लौटूंगा. लेकिन उसके पहले ही सूचना मिली कि उसके पिता की मौत हो गई है.