राजगढ़। शहर में लगातार आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है. यही कारण है कि, यहां आए दिन कुत्तों के हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. आलम ये है कि, अब शहर में बच्चों के लिए घर के बाहर खेलना भी सुरक्षित नहीं है. पूरे शहर में आवारा कुत्तों का जमावड़ा देखा जा सकता है, जो आम इंसान के लिए परेशानी का सबब बन गया है. कई बार तो यह आवारा कुत्ते आदमखोर हो जाते हैं और इंसानों पर जानलेवा हमला कर देते हैं लेकिन इन सबके बावजूद भी इन आवारा कुत्तों को लेकर कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया जा रहा है.
रात में कुत्तों से सबसे ज्यादा खतरा
शहर के रहवासी बताते हैं कि रात में कुत्ते गली मोहल्लों में बैठे रहते हैं, और जब कोई घर वापस आता है, तो उनका पीछा करने लगते हैं, साथ ही कई बार कुछ लोगों को काट भी लेते हैं. वहीं रात्रि में यह कुत्ते लगातार भोंकते रहते हैं जिसके कारण उनकी नींद भी कई बार टूट जाती है.
आंकड़ों में स्वस्थ्य और नगरीय प्रशासन की तैयारियां
लगभग 15 लाख की आबादी बाले जिले के जिला अस्पताल में तैयारियों की बात की जाए तो यहां हर महीने करीब 200 रेबीज के टीके अलग-अलग जानवरों के काटने पर लगाए जाते हैं, जबकि जिला अस्पताल के पास अभी मात्र 240 टीके ही स्टॉक में हैं. वहीं नगर पालिका प्रशासन की बात करें, तो नगर पालिका ने साल 2019 में 86 कुत्तों को पकड़ कर उनकी नसबंदी की थी, जबकी साल 2020 में अभी तक कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की गई. और शहर में कुत्तों का आतंक बदस्तूर जारी है.
इस बारे में राजगढ़ नगर पालिका आवारा कुत्तों को लेकर कितना सजग हैं, इसको लेकर जब नगर पालिका सीएमओ से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि कुछ लोगों को कुत्ते पकड़ने के लिए ट्रेनिंग दी गई है. वहीं शहर में 8 लोगों की टीम बनाई गई है, जो कुत्ते पकड़ने का काम करती है, लेकिन शहर में ये कार्रवाई आखिरी बार स्वच्छता सर्वेक्षण के दैरान हुई थी, उसके बाद से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
कई हादसों को देते हैं निमंत्रण
शहर की सड़कों में सैकड़ों की तादाद में कुत्ते घूमते रहते हैं, इनके वजह से कई बार हादसे हो जाते हैं. नेशनल हाईवे पर तेज रफ्तार से आती हुई गाड़ियों के सामने यह अचानक से दौड़ते हुए आ जाते हैं या फिर सड़क पर बैठे रहते हैं जिससे ड्राइवर गाड़ी से संतुलन खो देता है और दुर्घटना का शिकार हो जाता है.