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इस जिले में नहीं है एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, कागजों तक सिमटकर रह गई योजना - Khilchipur water pollution problem

राजगढ़ जिले में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है, लिहाजा शहरों से निकले गंदे पाने को सीधे जल स्त्रोतों में मिलाया जा रहा है, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है.

Sewage treatment plant without sewage
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बिना गंदगी का अंबार
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Published : Aug 30, 2020, 12:56 AM IST

राजगढ़। कोरोना संक्रमण पूरे देश में अपने पैर पसार चुका है. संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है. प्रदेश में भी कोरोना अपना कहर बरपा रहा है, जिसकी चपेट में राजगढ़ जिला भी है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 798 पहुंच चुकी है. शोधकर्ता कोरोना संक्रमण फैलने की वजहों पर रिसर्च कर रहे हैं. हाल ही में IIT गांधीनगर के शोध में पता चला है कि सीवेज में भी कोरोना वायरस के जीन पाए गए हैं, जिससे आशंका जताई गई थी कि गंदे पानी से भी कोरोना फैल सकता है. ऐसे में सीवेज के पानी को बिना ट्रीट किए जल स्त्रोतों में मिला देना खतरे से खाली नहीं है. लेकिन जिले में सीवेज प्लांट की स्थिति जानकर आप चौक जाएंगे.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बिना गंदगी का अंबार

जिले में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट किसी भी शहर के लिए जरूरी होता है, जो ना सिर्फ जल को दूषित होने से बचाता है, बल्कि लोगों को कई हानिकारक बीमारियों से भी रक्षा करता है. लेकिन हैरानी बात ये है कि राजगढ़ में एक भी सीवेज प्लांट नहीं है, जिससे कई शहरों का गंदा पानी बिना उपचार किए सीधे जल स्त्रोतों में मिला दिया जाता है. जिससे जल प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है. सबसे ज्यादा बुरे हालात तो नरसिंहगढ़ और खिलचीपुर में देखने को मिलते हैं. जहां शहर से निकलने वाला गंदा पानी सीधा नरसिंहगढ़ के तालाब और खिलचीपुर की नदी में मिला दिया जाता है.

polluted water is discharged directly into the water source
सीधे जलस्रोत में छोड़ा जा रहा है गंदा पानी

गंभीर बीमारियों का खतरा

गंदे पानी के चलते लोग कई बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं. जिला महामारी अधिकारी डॉ. महेंद्र पाल सिंह का कहना है कि अभी सीवेज वाटर से कोरोना संक्रमण का मामला सामने तो नहीं आया है, लेकिन इससे टाइफाइड, पीलिया, स्किन डिसीज जैसे रोग हो सकते हैं.

Water Pollution
शहर में जल प्रदूषण

कागजों तक सिमटे प्रोजेक्ट

राजगढ़ में साल 2004 में सीवेज प्लांट का प्रस्ताव लंबित है. इसके अलावा अमृत योजना के तहत भी सीवेज प्लांट लगाए जाने हैं, लेकिन ये प्रोजेक्ट कागजों तक ही सिमटकर रह गए हैं, जिससे भारी जल प्रदूषण हो रहा है और लोगों पर हमेशा बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है.

राजगढ़। कोरोना संक्रमण पूरे देश में अपने पैर पसार चुका है. संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है. प्रदेश में भी कोरोना अपना कहर बरपा रहा है, जिसकी चपेट में राजगढ़ जिला भी है. जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 798 पहुंच चुकी है. शोधकर्ता कोरोना संक्रमण फैलने की वजहों पर रिसर्च कर रहे हैं. हाल ही में IIT गांधीनगर के शोध में पता चला है कि सीवेज में भी कोरोना वायरस के जीन पाए गए हैं, जिससे आशंका जताई गई थी कि गंदे पानी से भी कोरोना फैल सकता है. ऐसे में सीवेज के पानी को बिना ट्रीट किए जल स्त्रोतों में मिला देना खतरे से खाली नहीं है. लेकिन जिले में सीवेज प्लांट की स्थिति जानकर आप चौक जाएंगे.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के बिना गंदगी का अंबार

जिले में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट किसी भी शहर के लिए जरूरी होता है, जो ना सिर्फ जल को दूषित होने से बचाता है, बल्कि लोगों को कई हानिकारक बीमारियों से भी रक्षा करता है. लेकिन हैरानी बात ये है कि राजगढ़ में एक भी सीवेज प्लांट नहीं है, जिससे कई शहरों का गंदा पानी बिना उपचार किए सीधे जल स्त्रोतों में मिला दिया जाता है. जिससे जल प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है. सबसे ज्यादा बुरे हालात तो नरसिंहगढ़ और खिलचीपुर में देखने को मिलते हैं. जहां शहर से निकलने वाला गंदा पानी सीधा नरसिंहगढ़ के तालाब और खिलचीपुर की नदी में मिला दिया जाता है.

polluted water is discharged directly into the water source
सीधे जलस्रोत में छोड़ा जा रहा है गंदा पानी

गंभीर बीमारियों का खतरा

गंदे पानी के चलते लोग कई बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं. जिला महामारी अधिकारी डॉ. महेंद्र पाल सिंह का कहना है कि अभी सीवेज वाटर से कोरोना संक्रमण का मामला सामने तो नहीं आया है, लेकिन इससे टाइफाइड, पीलिया, स्किन डिसीज जैसे रोग हो सकते हैं.

Water Pollution
शहर में जल प्रदूषण

कागजों तक सिमटे प्रोजेक्ट

राजगढ़ में साल 2004 में सीवेज प्लांट का प्रस्ताव लंबित है. इसके अलावा अमृत योजना के तहत भी सीवेज प्लांट लगाए जाने हैं, लेकिन ये प्रोजेक्ट कागजों तक ही सिमटकर रह गए हैं, जिससे भारी जल प्रदूषण हो रहा है और लोगों पर हमेशा बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है.

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