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किसानों के लिए फायदे की खबर- अच्छी खरीफ फसल के लिये करने होंगे ये उपाय - the crop of maize

राजगढ़ में मानसून आते ही बारिश का दौर शुरू हो चुका है. जिससे किसानों ने खरीफ की फसल बोना शुरू कर दी है. इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक ने कुछ खास सलाहें दी हैं.

खरीफ फसल
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Published : Jul 4, 2019, 12:01 AM IST

राजगढ़। जिले में मानसून आते ही बारिश का दौर शुरू हो चुका है. जिससे किसानों ने खरीफ की फसल बोना शुरू कर दी है. किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक ने खास सलाह दी है. कृषि वैज्ञानिक द्वारा बताए गए नुख्शे अपनाकर किसान होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.

रीफ फसल के लिये सुझाव

जिले में मक्का और सोयाबीन मुख्य फसल है और सोयाबीन लगभग पूरे जिले में बोई जाती है. जिले के कृषि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में सोयाबीन लगभग 3.5 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है और यह जिले की मुख्य फसल है. जिस जिलों में अच्छी बारिश हो चुकी है, वहां तो सोयाबीन की फसल बो सकते है लेकिन राजगढ़ के किसानों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए. यहां पर बारिश अच्छी नहीं हुई है.

कृषि वैज्ञानिक के सुझाव

  • जिले में 3 इंच की बारिश होने के बाद ही फसल की बुआई करें.
  • अपने खेतों में बीजों का उपचार करके ही बुआई करें
  • फसल को रोगों से बचाने के लिये केवल वैज्ञानिकों द्वारा बताये गये केमिकल का इस्तेमाल करें.
  • किसान पुरानी पद्धति से सोयाबीन की बुआई न करें और जो दो नई तकनीक है, उनके द्वारा फसल की बुआ ई करें

राजगढ़। जिले में मानसून आते ही बारिश का दौर शुरू हो चुका है. जिससे किसानों ने खरीफ की फसल बोना शुरू कर दी है. किसानों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक ने खास सलाह दी है. कृषि वैज्ञानिक द्वारा बताए गए नुख्शे अपनाकर किसान होने वाले नुकसान से बच सकते हैं.

रीफ फसल के लिये सुझाव

जिले में मक्का और सोयाबीन मुख्य फसल है और सोयाबीन लगभग पूरे जिले में बोई जाती है. जिले के कृषि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में सोयाबीन लगभग 3.5 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है और यह जिले की मुख्य फसल है. जिस जिलों में अच्छी बारिश हो चुकी है, वहां तो सोयाबीन की फसल बो सकते है लेकिन राजगढ़ के किसानों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए. यहां पर बारिश अच्छी नहीं हुई है.

कृषि वैज्ञानिक के सुझाव

  • जिले में 3 इंच की बारिश होने के बाद ही फसल की बुआई करें.
  • अपने खेतों में बीजों का उपचार करके ही बुआई करें
  • फसल को रोगों से बचाने के लिये केवल वैज्ञानिकों द्वारा बताये गये केमिकल का इस्तेमाल करें.
  • किसान पुरानी पद्धति से सोयाबीन की बुआई न करें और जो दो नई तकनीक है, उनके द्वारा फसल की बुआ ई करें
Intro:जहां मानसून ने अपनी दस्तक मध्यप्रदेश में दे दी है और लगभग मध्य प्रदेश के हर जिले में जोरदार बारिश ने अपना दौर शुरू कर दिया है वहीं जिले में हुई जोरदार बारिश के बाद किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है, और किसान अपने खेतों मैं अपनी फसल बो रहे हैं वहीं कृषि विज्ञानिक ने किसानों को लेकर कुछ सलाह दी है जो किसानों को फसल में काफी राहत देगी।


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में जहां बारिश का दौर शुरू हो चुका है और जिले में लगातार बारिश से किसानों के चेहरे पर एक खुशी की लहर छा गई है वहीं किसानों ने खरीफ की फसल अपने खेतों में बोना शुरू कर दी है और किसान अपने खेतों की ओर जाकर अपने खेत को जोतने लग गए है।
वही मानसून का आगमन काफी देरी से हुआ है वही इस मानसून की देरी से जिले के किसानों को इस बार काफी चिंता सताने लगी थी कि बारिश कैसी होगी ,परंतु लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर एक खुशी की लहर ला दी है,वही जहां किसान खरीफ़ की फसल अपने खेतों में बो रहे है, इसको लेकर कृषि वैज्ञानिक ने कुछ ख़ास सलाह दिए हैं जिनसे किसान इस बार होने वाली फसल में नुकसान होने से खुद को कैसे बचा सकते हैं और जहां जिले में मक्का और सोयाबीन मुख्य फसल है और सोयाबीन लगभग पूरे जिले में बोई जाती है इसको लेकर जिले के कृषि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि राजगढ़ जिले में सोयाबीन लगभग 3.5 लाख हेक्टर में बोई जाती है और राजगढ़ जिले में यह मुख्य फसल है , वहीं जहां जिले के सभी ब्लॉक में लगभग बारिश अच्छी हो चुकी है वे तो सोयाबीन की फसल बो सकते है ,परंतु राजगढ़ ब्लाक के किसानों को थोड़ा इंतजार करना चाहिए क्योंकि यहां पर बारिश अच्छी नहीं हुई है तो किसान जब तक अपनी सोयाबीन की फसल ना बोए जब तक ब्लॉक में 3 इंच की बारिश ना हो जाए, वहीं उन्होंने कुछ मुख्य बातें बताते हुए बताया कि

1. अपने खेतों में बीजों का उपचार करके ही उनको बोए।
2. वहीं सोयाबीन की फसल में कुछ ऐसे रोग अपन हो गए हैं जो सोयाबीन की फसल को ठीक से नहीं उगने देते हैं इसके लिए जरूरी है कि आप कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जो भी सूचनाएं दी जा रही है उनको ठीक से फॉलो करें और उन्हें केमिकल का इस्तेमाल करें जो सोयाबीन की फसल के लिए वैज्ञानिकों द्वारा बताए जा रहे हैं।
3. किसान पुरानी पद्धति से सोयाबीन को ना बोए और जो दो नई तकनीक है उनके द्वारा फसल को बोए, जिससे फसल में एक अच्छी उन्नति देखने को मिलेगी और फसल ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्राप्त होगी।


Conclusion:वहीं जमीन की उर्वरता बनाए रखने के लिए उन्होंने कहा कि खेती करते समय हमेशा कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं या कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही काम करें और उन केमिकल का छिड़काव करें जो वे उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं ,वहीं जमीन को सबसे ज्यादा नुकसान एडा मारने वाली दवाई से होता है और यह अपना असर फसल के अंदर भी दिखाती है, वहीं उन्होंने कहा कि आप जब जमीन में फर्टिलाइजर का उपयोग करें, तो उसमें भी वैज्ञानिकों की सलाह की अनुशंसा करते हुए ही उनका उपयोग करें।

विसुअल

किसान खेत की बोआई करते हुए
कृषि विज्ञान केंद्र

बाइट

डॉक्टर अखिलेश श्रीवास्तव ,वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र राजगढ़
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