राजगढ़। नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद की सुनामी में ताश के पत्तों की तरह कांग्रेस के दिग्गजों के गढ़ ढह गये. राष्ट्रवाद के आगे सारे मुद्दे धरे के धरे रह गये. ऐसा ही हाल कुछ एमपी की राजगढ़ लोकसभा सीट पर हुआ. यहां बीजेपी प्रत्याशी रोडमल नागर ने कांग्रेस की मोना सुस्तानी को 4 लाख 31 हजार वोटों से बुरी तरह से शिकस्त दी. वो भी तब जब ये सीट पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की परंपरागत सीट रही है.
राजगढ़ सीट पर दिग्विजय सिंह की साख दांव पर लगी हुई थी. वहीं उनके साथ यहां पर उनके बेटे नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह और उनके नजदीकी माने जाने वाले ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची की भी साख दांव पर लगी हुई थी, लेकिन इन दोनों ही मंत्रियों के जोरदार परफॉर्मेंस देने के बावजूद कांग्रेस इस सीट को नहीं बचा पाई.
वहीं ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची का गढ़ मानी जाने वाली खिलचीपुर विधानसभा में इस से भी बुरा हाल हुआ है. यहां बीजेपी ने सेंध लगाते हुए 54962 वोटों से यहां पर जीत हासिल की है. राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दिग्विजय सिंह के नजदीकियों ने पूरी ताकत झोंक दी थी. बावजूद इसके दिग्विजय सिंह की करीबी मानी जाने वाली मोना सुस्तानी को हार का मुंह देखना पड़ा. शुरू से ही इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन बीच-बीच में बीजेपी ने भी यह सीट जीतने में सफलता प्राप्त की है. पिछले करीब 34 साल से यह सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सीट के रूप में जानी जाती रही है.