ETV Bharat / state

अगले पांच माह तक नहीं होंगे एक भी मांगलिक कार्य, 19 सालों बाद बना ऐसा संयोग - No any Manglik work will done till next five months

एक जुलाई को देवशयनी एकादशी है, आज से चातुर्मास शुरु हो गया है. इस साल अधिक मास होने की वजह से ये चातुर्मास, पांच माह का है.

This time there will not be Manglik work for 5 months
इस बार 5 माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य
author img

By

Published : Jul 1, 2020, 5:27 PM IST

राजगढ़। आज देवशयनी एकादशी है, आज से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा संयोग है कि (मलमास) अधिक मास होने के कारण 19 सालों बाद चतुर्मास 4 माह का नहीं, बल्कि 5 माह का रहेगा. बताया जा रहा है कि इस बार काफी संयोग मिल रहे हैं, जिसका त्योहारों पर भी असर देखने को मिलेगा.

पंडित हेमंत शर्मा

भारतीय संस्कृति के अनुसार

कहते हैं कि भगवान विष्णु आज के पश्चात शयन करने के लिए पाताल लोक चले जाते हैं और वहां पर शयन करते हुए राजा बलि की पहरेदारी करते हैं. इसी को देव शयनी एकादशी कहते हैं. जिसमें माना जाता है कि भगवान विष्णु के चले जाने के बाद हिंदू रीति-रिवाजों में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं कराए जाते हैं और भगवान विष्णु की अनुपस्थिति की वजह से मांगलिक कार्यों का होना शुभ नहीं माना जाता. इसलिए हर वर्ष 4 माह के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास में आने वाली एकादशी को भगवान विष्णु वापस बैकुंठ लौटते हैं, उसी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. उसी के बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं.

इस बार 4 मास नहीं 5 मास का शयन

इस बार जहां 19 सालों के बाद एक जुलाई यानि देवशयनी एकादशी सहित शुरू होने वाला चातुर्मास, अधिक मास आ जाने के कारण 4 माह का नहीं, बल्कि 5 माह का होगा. इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक 5 माह का अन्तराल रहेगा. इसमें ये 1 जुलाई से प्रारंभ होकर 25 नवंबर को पड़ने वाली देव उठनी ग्यारस तक चलेगा.

क्या है अश्विनी मास

सूर्य वर्ष 365 दिन व 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का. इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर होता है. 3 साल में ये अंतर एक माह के बराबर हो जाता है. इस अंतर की पूर्ति के लिए हिंदू पंचांग में हर 3 साल बाद अधिक मास मनाया जाता है, ताकि सभी त्योहार तय समय पर मनाए जा सकें.

ये भी है खास

इस बार अधिक मास न सिर्फ चतुर्मास पर असर डाल रहा है, बल्कि इसका असर और चीजों पर भी देखने को मिलेगा. यहां अधिक मास श्राद्ध पक्ष के ठीक बाद आ रहा है. जिसकी वजह से श्राद्ध के बाद आने वाले नवरात्रि इस बार एक माह की देरी से आएंगे, जहां हर वर्ष पितृ अमावस्या के बाद से ही नवरात्रि की घटस्थापना की जाती है और नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार अश्विनी मास की वजह से नवरात्रि 1 माह बाद शुरू होगा, जबकि अन्य त्योहार जैसे दशहरा और दिवाली भी इससे प्रभावित होंगे और वो भी 20 से 25 दिन बाद अपने तय समय से आएंगे.

संत महात्माओं पर भी पड़ता है इसका असर

हर वर्ष जहां आयुर्वेद ऋतु कर्म को प्रधान मानता है, यानी ऋतु के अनुसार खान-पान व रहन-सहन होना चाहिए. वर्षा ऋतु में हमारी पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है. इसलिए इस ऋतु में आहार-विहार संतुलित करना चाहिए और इन दिनों पूरे देश में बारिश शुरू हो जाती है, वो लगभग 3 माह तक चलती है. जिसकी वजह से पुराने समय में आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था और हमारे देश में हर चीज को धर्म से जोड़कर बताया गया है, इसीलिए चातुर्मास में परंपरा होती है कि प्राचीन समय में जब चातुर्मास प्रारंभ होता था, तब संत महात्मा एक स्थान पर ही निवास कर साधना, बौद्ध धर्म प्रचार में तल्लीन रहते थे और ये 4 माह का होता था, लेकिन इस साल संत महात्माओं को 4 मास 25 दिन का चातुर्मास व्यतीत करना होगा.

राजगढ़। आज देवशयनी एकादशी है, आज से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है, लेकिन इस बार ऐसा संयोग है कि (मलमास) अधिक मास होने के कारण 19 सालों बाद चतुर्मास 4 माह का नहीं, बल्कि 5 माह का रहेगा. बताया जा रहा है कि इस बार काफी संयोग मिल रहे हैं, जिसका त्योहारों पर भी असर देखने को मिलेगा.

पंडित हेमंत शर्मा

भारतीय संस्कृति के अनुसार

कहते हैं कि भगवान विष्णु आज के पश्चात शयन करने के लिए पाताल लोक चले जाते हैं और वहां पर शयन करते हुए राजा बलि की पहरेदारी करते हैं. इसी को देव शयनी एकादशी कहते हैं. जिसमें माना जाता है कि भगवान विष्णु के चले जाने के बाद हिंदू रीति-रिवाजों में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं कराए जाते हैं और भगवान विष्णु की अनुपस्थिति की वजह से मांगलिक कार्यों का होना शुभ नहीं माना जाता. इसलिए हर वर्ष 4 माह के लिए मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं और भारतीय कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास में आने वाली एकादशी को भगवान विष्णु वापस बैकुंठ लौटते हैं, उसी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. उसी के बाद मांगलिक कार्य शुरू होते हैं.

इस बार 4 मास नहीं 5 मास का शयन

इस बार जहां 19 सालों के बाद एक जुलाई यानि देवशयनी एकादशी सहित शुरू होने वाला चातुर्मास, अधिक मास आ जाने के कारण 4 माह का नहीं, बल्कि 5 माह का होगा. इस बार आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक 5 माह का अन्तराल रहेगा. इसमें ये 1 जुलाई से प्रारंभ होकर 25 नवंबर को पड़ने वाली देव उठनी ग्यारस तक चलेगा.

क्या है अश्विनी मास

सूर्य वर्ष 365 दिन व 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का. इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिन का अंतर होता है. 3 साल में ये अंतर एक माह के बराबर हो जाता है. इस अंतर की पूर्ति के लिए हिंदू पंचांग में हर 3 साल बाद अधिक मास मनाया जाता है, ताकि सभी त्योहार तय समय पर मनाए जा सकें.

ये भी है खास

इस बार अधिक मास न सिर्फ चतुर्मास पर असर डाल रहा है, बल्कि इसका असर और चीजों पर भी देखने को मिलेगा. यहां अधिक मास श्राद्ध पक्ष के ठीक बाद आ रहा है. जिसकी वजह से श्राद्ध के बाद आने वाले नवरात्रि इस बार एक माह की देरी से आएंगे, जहां हर वर्ष पितृ अमावस्या के बाद से ही नवरात्रि की घटस्थापना की जाती है और नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार अश्विनी मास की वजह से नवरात्रि 1 माह बाद शुरू होगा, जबकि अन्य त्योहार जैसे दशहरा और दिवाली भी इससे प्रभावित होंगे और वो भी 20 से 25 दिन बाद अपने तय समय से आएंगे.

संत महात्माओं पर भी पड़ता है इसका असर

हर वर्ष जहां आयुर्वेद ऋतु कर्म को प्रधान मानता है, यानी ऋतु के अनुसार खान-पान व रहन-सहन होना चाहिए. वर्षा ऋतु में हमारी पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है. इसलिए इस ऋतु में आहार-विहार संतुलित करना चाहिए और इन दिनों पूरे देश में बारिश शुरू हो जाती है, वो लगभग 3 माह तक चलती है. जिसकी वजह से पुराने समय में आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था और हमारे देश में हर चीज को धर्म से जोड़कर बताया गया है, इसीलिए चातुर्मास में परंपरा होती है कि प्राचीन समय में जब चातुर्मास प्रारंभ होता था, तब संत महात्मा एक स्थान पर ही निवास कर साधना, बौद्ध धर्म प्रचार में तल्लीन रहते थे और ये 4 माह का होता था, लेकिन इस साल संत महात्माओं को 4 मास 25 दिन का चातुर्मास व्यतीत करना होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.