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यहां स्थित है भगवान शिव का हजारों साल पुराना मंदिर, दर्शन- पूजन से पूरी होती है भक्तों की मुराद

भगवान भोलेनाथ का राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में प्रसिद्ध मंदिर है. जो बड़े महादेव और बैजनाथ के नाम से प्रसिद्ध है. जिसका इतिहास एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है.

भगवान शिव का प्राचीन मंदिर
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Published : Jul 29, 2019, 11:49 PM IST

राजगढ़। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील में 'बड़े महादेव' और 'बैजनाथ महादेव' के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है. जिसका इतिहास एक हजार साल से ज्यादा का पुराना है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना यहां पर रहने वाले सहारिया जनजाति के द्वारा की गई थी. जिनको टोपलिया महादेव के नाम से जाना जाता है. इसके बाद इनकी दोबारा नई स्थापना नरसिंहगढ़ के महाराज मेहताब सिंह द्वारा 17वीं शताब्दी में की गई.

भगवान शिव का प्राचीन मंदिर

बड़ा महादेव मंदिर के पीछे की कहानी
महादेव मंदिर का इतिहास इतिहासकार श्याम सुंदर उपाध्याय बताते है कि नरसिंहगढ़ के बड़े महादेव की पहाड़ी के पीछे के क्षेत्र में कोटा रियासत थी. जिसमें लगभग एक लाख जनसंख्या निवास करती थी. वहीं पर बड़े महादेव की पहाड़ियों में सहारिया झील जनजाति रहा करती थी. जो बांस की टोकरी बनाकर पहाड़ी के पीछे लगने वाले बाजार में बेचा करती थी. उन्हीं के द्वारा मंदिर की स्थापाना की गई जो टोपलिया महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

वहीं जब राजगढ़ रियासत दो भागों में विभाजित हुई तो 1681 में दीवान परशुराम ने नरसिंहगढ़ की स्थापना की और उनके वंशज ने टोपलिया महादेव के थोड़ा सा नीचे बैजनाथ और बड़े महादेव की स्थापना की. वहीं इस मंदिर के पास रामकुंड है, जिसमें 12 महीने पानी रहता है और उस कुंड में पहाड़ी का ऐसा पानी है जो शरीर में गठिया के रोग को खत्म करता है.

लोगों ने बताया कि इस मंदिर में मानोकामना मांगने से संतानहीन दंपत्ति को भी संतान की प्राप्ति होती है. पंडित ध्रुव नारायण शर्मा ने बताया कि यहां पर प्राचीन महादेव है और यहां पर हर भक्त की मुराद पूरी होती है.

राजगढ़। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील में 'बड़े महादेव' और 'बैजनाथ महादेव' के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है. जिसका इतिहास एक हजार साल से ज्यादा का पुराना है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना यहां पर रहने वाले सहारिया जनजाति के द्वारा की गई थी. जिनको टोपलिया महादेव के नाम से जाना जाता है. इसके बाद इनकी दोबारा नई स्थापना नरसिंहगढ़ के महाराज मेहताब सिंह द्वारा 17वीं शताब्दी में की गई.

भगवान शिव का प्राचीन मंदिर

बड़ा महादेव मंदिर के पीछे की कहानी
महादेव मंदिर का इतिहास इतिहासकार श्याम सुंदर उपाध्याय बताते है कि नरसिंहगढ़ के बड़े महादेव की पहाड़ी के पीछे के क्षेत्र में कोटा रियासत थी. जिसमें लगभग एक लाख जनसंख्या निवास करती थी. वहीं पर बड़े महादेव की पहाड़ियों में सहारिया झील जनजाति रहा करती थी. जो बांस की टोकरी बनाकर पहाड़ी के पीछे लगने वाले बाजार में बेचा करती थी. उन्हीं के द्वारा मंदिर की स्थापाना की गई जो टोपलिया महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

वहीं जब राजगढ़ रियासत दो भागों में विभाजित हुई तो 1681 में दीवान परशुराम ने नरसिंहगढ़ की स्थापना की और उनके वंशज ने टोपलिया महादेव के थोड़ा सा नीचे बैजनाथ और बड़े महादेव की स्थापना की. वहीं इस मंदिर के पास रामकुंड है, जिसमें 12 महीने पानी रहता है और उस कुंड में पहाड़ी का ऐसा पानी है जो शरीर में गठिया के रोग को खत्म करता है.

लोगों ने बताया कि इस मंदिर में मानोकामना मांगने से संतानहीन दंपत्ति को भी संतान की प्राप्ति होती है. पंडित ध्रुव नारायण शर्मा ने बताया कि यहां पर प्राचीन महादेव है और यहां पर हर भक्त की मुराद पूरी होती है.

Intro:जहां भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह प्रारंभ हो चूका है और और हर कोई इस माह में भगवान शिव की तपस्या में लीन होना चाहता है सावन माह में जहां भगवान शिव के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ रहती है और हर कोई भगवान के दर्शन करना चाहता है ऐसा ही एक मंदिर बड़े महादेव और बैजनाथ के नाम से प्रसिद्ध नरसिंहगढ़ में स्थापित है जिसका इतिहास 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है और जहां पर श्रवण मास में हर साल हजारों भक्तों की भीड़ यहां पर दर्शन करने आती है और अनेक मान्यताओं के अनुसार अपने मन्नतओं को भगवान शिव के समक्ष रखती है


Body:मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ तहसील में बड़े महादेव और बैजनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध महादेव का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है जिसका इतिहास 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है वही कहा जाता है कि इसकी स्थापना यहां पर रहने वाली सहारिया जनजाति के द्वारा की गई थी ,जिनको टोपलिया महादेव के नाम से जाना जाता है इसके बाद इनकी दोबारा नई स्थापना नरसिंहगढ़ के महाराज मेहताब सिंह द्वारा 17 वी शताब्दी में की गई । वहीं महादेव का इतिहास बताते हुए श्याम सुंदर उपाध्याय ने बताया कि नरसिंहगढ़ के बड़े महादेव की पहाड़ी के पीछे के क्षेत्र में कोटा रियासत थी जिसमें लगभग एक लाख जनसंख्या निवास करती थी वहीं पर बड़े महादेव की पहाड़ियों में सहारिया झील नामक जनजाति रहा करती थी जो बांस की टोकरी आ बनाकर पहाड़ी के पीछे लगने वाले बाजार में बेचा करती थी उन्हीं के द्वारा स्थापित किया महादेव टोपलिया महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वहीं जब राजगढ़ रियासत दो भागों में विभाजित हुई तो 1681 में दीवान परशुराम ने नरसिंहगढ़ की स्थापना की और उनके वंशज ने टोपलिया महादेव के थोड़े से नीचे बैजनाथ और बड़े महादेव की स्थापना की। एक ऐसा कुंड जो करता है गठिया के रोग को दूर वहीं मंदिर के पास में ही एक रामकुंड है जिसमें 12 ही मास पानी रहता है और उस कुंड में पहाड़ी का ऐसा पानी है जो आपके शरीर में गठिया का कैसा भी रहोगे वह उस पानी से धीरे धीरे ठीक हो जाता है नहीं उन्होंने बताया कि उनके कुछ दोस्त जो यहां पर अधिकारियों के रूप में आए हुए थे उन लोगों के विवाह के बाद कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने महादेव पर आस्था रखी और उस कुंड का पानी पीना आरंभ किया तो उनके यहां पर भगवान शिव की कृपा से संतान की प्राप्ति हुई। वहीं इस कांड की या विशेषता है कि वहां पर लोग रोजाना पानी लेकर आते हैं और इसका सेवन करते हैं और वही इसका पानी गर्मियों में भी समाप्त नहीं होता है।


Conclusion:वहीं उन्होंने बताया कि यहां पर दो बार भगवान शिव के नाम पर उत्सव मनाया जाता है एक महाशिवरात्रि पर माता पार्वती और भगवान शिव की भव्य बारात निकाली जाती है और एक भव्य गठजोड़ बनाया जाता है वही दूसरा श्रवण मास में भगवान शिव का यहां पर मेला लगाया जाता है यहां पर श्रवण मास में मेला लगता है वही पहले यहां पर पशुओं का मेला भी लगा करता था नरसिंहगढ़ बेलों के लिए बहुत प्रसिद्ध था। वहीं उन्होंने बताया कि यहां पर सावन मास के दूसरे और तीसरे सोमवार पर भारी भक्तों की भीड़ भगवान शिव के दर्शन करने को आती है। वही पंडित ध्रुव नारायण शर्मा ने बताया कि यहां पर महादेव काफी पुराने महादेव है और वे यहां पर हर भक्तों की मुराद पूरी करते हैं। वहीं जब कुछ भक्तों से बात की गई तो वह आज यहां पर भगवान शिव से सावन में अच्छी बारिश करने की मनोकामना लेकर आए थे और भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि इस बार जो कम बारिश हुई है उसकी पूर्ति श्रवण मास में भगवान भोलेनाथ करने की कृपा करें। विसुअल बड़े महादेव के टोपलिया महादेव के बाइट श्याम सुंदर उपाध्याय नरसिंहगढ़ इतिहास के जानकार पंडित ध्रुव नारायण शर्मा शिव भक्तों की
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