राजगढ़। दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर कई घरों में गोवर्धन पूजा की जाती है. माना जाता है कि जब ब्रजवासी इंद्र की पूजा कर रहे थे , तब कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा की सब लोग इंद्र की पूजा क्यों कर रहे हैं. मां यशोदा ने बताया कि इंद्र की पूजा अच्छी वर्षा के लिए ब्रजवासी कर रहें हैं , जिससे अन्न की पैदावर अच्छी हो और गायों को चारा मिल सकें.
ये बात सुनकर कृष्ण ने कहा कि ऐसा है तो सबको गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि हमारी गायें तो वहीं चरती हैं. इसके बाद कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगें. जिससे इंद्रदेव ने आपना आपमान समक्षा और प्रलय के समान मूसलाधार बारिश शुरु कर दी. जिसके बाद ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया. जिसके बाद इंद्र को विष्णू के कृष्ण अवतार के बारे में पता लगा. जिसके बाद अपनी भूल मान कर इंद्र ने कृष्ण से क्षमा याचना की और गोवर्धन पर्वत नीचे रखने को कहा. इसके बाद भगवान कृष्ण ने पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से हर साल गोवर्धन पूजा करने को कहा. तब ही से दीपावली के दूसरे दिन लोग गोवर्धन पूजा पूरे विधि विधान से करते है , जिसमें गाए के गोबर से भगवान गोवर्धन को बनाया जाता है.