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जमनादास जी महाराज ने की थी पंचतत्व में विलीन होने की घोषणा, भक्तों को बच्चों की तरह करते थे प्रेम

100 साल पहले राजगढ़ के कागशीला नामक स्थान पर अवतरित हुए माखनदास बाबा के भक्त महान संत जमनादास जी महाराज ने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने हमेशा भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्रेम किया.

बाबा जमनादास
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Published : Feb 28, 2019, 8:52 PM IST

राजगढ़। राजगढ़ कई संतों की तपोभूमि रही है. यहां अनेक संतों ने तपस्या की और अपनी ख्याति पूरे विश्व में फैला दी. ऐसे ही एक संत थे जमनादास जी महाराज, जिन्होंने अपने पंचतत्व में विलीन होने की तारीख का एलान 6 माह पहले ही कर दिया और भक्तों से कहा था कि वे चैत्र सुधि ग्यारस को ब्रह्मलीन समाधि लेंगे.


100 साल पहले राजगढ़ के कागशीला नामक स्थान पर अवतरित हुए माखनदास बाबा के भक्त महान संत जमनादास जी महाराज ने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने हमेशा भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्रेम किया.

बाबा जमनादास


मुख्य पुजारी ने बताया कि एक बार कुछ शिक्षक भक्त उनके दर्शन करने के लिए आये हुए थे, तभी उनके स्कूल में कुछ अधिकारी निरीक्षण के लिए आए. तब अपने भक्तों की नौकरी और साख बचाने के लिए वे खुद चमत्कारी रुप से भक्तों के स्थान पर स्कूल में उपस्थित हुए और अधिकारियों के सभी प्रश्नों के उत्तर भी दिये. जब भक्तों को उनके इस चमत्कार के बारे में पता चला तो उनके गुरु पर उनकी आस्था और बढ़ गई. इसके अलावा भी बाबा के चमत्कार से कई लोगों की मनोकामना पूरी होने के किस्से प्रचलित हैं.

राजगढ़। राजगढ़ कई संतों की तपोभूमि रही है. यहां अनेक संतों ने तपस्या की और अपनी ख्याति पूरे विश्व में फैला दी. ऐसे ही एक संत थे जमनादास जी महाराज, जिन्होंने अपने पंचतत्व में विलीन होने की तारीख का एलान 6 माह पहले ही कर दिया और भक्तों से कहा था कि वे चैत्र सुधि ग्यारस को ब्रह्मलीन समाधि लेंगे.


100 साल पहले राजगढ़ के कागशीला नामक स्थान पर अवतरित हुए माखनदास बाबा के भक्त महान संत जमनादास जी महाराज ने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच हमेशा के लिए अमर हो गए. उन्होंने हमेशा भक्तों को अपने बच्चों की तरह प्रेम किया.

बाबा जमनादास


मुख्य पुजारी ने बताया कि एक बार कुछ शिक्षक भक्त उनके दर्शन करने के लिए आये हुए थे, तभी उनके स्कूल में कुछ अधिकारी निरीक्षण के लिए आए. तब अपने भक्तों की नौकरी और साख बचाने के लिए वे खुद चमत्कारी रुप से भक्तों के स्थान पर स्कूल में उपस्थित हुए और अधिकारियों के सभी प्रश्नों के उत्तर भी दिये. जब भक्तों को उनके इस चमत्कार के बारे में पता चला तो उनके गुरु पर उनकी आस्था और बढ़ गई. इसके अलावा भी बाबा के चमत्कार से कई लोगों की मनोकामना पूरी होने के किस्से प्रचलित हैं.

Intro:राजगढ़ जिला अनेक संतो की तपोभूमि रही है यह पर अनेक संतो ने तपस्या की और अपनी ख्याति पूरे विश्व मे फैला दी।ऐसे ही एक संत थे जमनादास जी महाराज ,जिन्होंने अपनी और परमात्मा के मिलन की तिथि 6 महीनें पूर्व ही अपने भक्त, शिष्यों और जनता को को बता दी थी और कहा था कि में आने वाली चेत्र सुधि ग्यारस को ब्रह्मलीन समाधि ले लूंगा।


Body:दअरसल बात ऐसी है कि कहा जाता है कि भारत संतो का देश है यह पर अनेक ऐसे सन्त हुए जैसे शिर्डी के साई,अकलकोट महाराज हो या चाहे गोरखनाथ हो जिन्होंने जन कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे हमेशा भगवान और जनकल्याण के बारे ही सोचा करते थे ।इन संतों ने अनेक बार अपने शिष्यों के जन कल्याण के लिए खुद को न्योछावर कर दिया ऐसे ही एक संत राजगढ़ जिले में भी अवतरित हुए थे जिन्होंने अपना जीवन जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया और लोगों के बीच मे हमेशा के लिए अमर हो गए ।
आज से तकरीबन 100 वर्ष ऐसे ही एक सन्त ने राजगढ़ की भूमि पर अवतरण हुआ था ।राजगढ़ जिले के कागशीला नामक स्थान पर माखनदास बाबा के भक्त जमनादास जी भी कुछ ऐसे ही एक सन्त थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भक्तों के लिए समर्पित कर दिया था ।
बताया जाता है कि जमनादास जी एक महान संत थे जिन्होंने अपने भक्तों को हमेशा अपनी संतान की तरह प्रेम किया और उनके लिए हमेशा तत्पर रहते थे ।उनके बारे में अनेक किस्से सुनने को मिले जिसमे कुछ लोगो ने और मुख्य पुजारी ने बताया कि एक बार कुछ शिक्षक भक्त उनके दर्शन करने के लिए आये हुए थे तभी उनके स्कूल में कुछ अधिकारी उनका कार्य परखने के लिए उनके स्कूल में पहुंचे ,अपने भक्तों की नौकरी और साख बचाने के लिए बाबा खुद उनके स्थान पर स्कूल में शिक्षकों के रूप में उपस्थित हुए और अधिकारियों के सारे प्रश्नों के उत्तर देते हुए शिक्षकों की लाज बचा ली।वही जब उनके भक्त वापस अपने स्थान पर पहुंचे और उनको इस बात की जानकारी लगी तो उनको अपने गुरू पर और ज्यादा आस्था बढ़ गई परंतु उन लोगों को इस बात का दुख हुआ उनके वजह से उनके ग्रुप को इस कार्य के लिए कष्ट उठाना पड़ा वही अनेक चमत्कार हुए पुजारी जी ने बताया कि पास के गांव रामगढ़ के एक व्यक्ति के यहां पर संतान नहीं हुई थी बाबा के आशीर्वाद से उनके यहां पर संतान हुई जिसके बाद उस व्यक्ति ने वह पर बाबा के आशीर्वाद से एक धर्मशाला का निर्माण करवाया।
वहीं पुजारी जी ने बताया कि जमना दास जी ने अपने ब्रह्मलीन समाधि की घोषणा 6 महीनें पूर्व ही अपने भक्त, शिष्यों और जनता के समक्ष कर दी थी और उनको बताया था कि में आने वाली चेत्र सुधि ग्यारस को ब्रह्मलीन समाधि ले लूंगा।



Conclusion:विसुअल
समाधि के
जमनादास जी महाराज के

बाइट
मुख्य पुजारी नंद लाल शर्मा
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